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चूड़ीवाले की पिटाई: इंदौर में पीड़ित कैसे बना 'अपराधी', क्रोनोलॉजी समझिए

इंदौर में चूड़ी वाले की पिटाई की कहानी में ट्विस्ट पर ट्विस्ट.

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‘ये मुसलमान है'

'किसी भी हिंदू क्षेत्र में दिख मत जाना'

'एक-एक तो सब मारो...'

मध्यप्रदेश की इंदौर (Indore) में चूड़ी बेचने वाले शख्स की कुछ लोगों ने जमकर पिटाई की. वीडियो सबके सामने है. धमकी दी गई कि चूड़ी बेचने हिंदुओं के इलाके में न आए. लात, घूंसे, थप्पड़ मारे गए. भीड़ में मौजूद लोग आसपास खड़े तमाशबीन से कह रहे थे कि बदला ले लो. इन सबके बाद अब जिसकी पिटाई हुई वो जेल में है. सवाल है कि जिसकी पिटाई हुई वही जेल में कैसे पहुंच गया? जब पुलिस आरोपियों को ढूंढ़ रही थी तो फिर पीड़ित ही कैसे निशाना बन गया? जिसके हाथ में राज्य की सुरक्षा की जिम्मेदारी हो वो गृह मंत्री कैसे भीड़ की दरिंदगी को 'तल्खी' कह रहे हैं. भीड़ द्वारा कानून की धज्जियां उड़ाने को समाज में तल्खी बतांगे तो हम पूछेंगे जरूर जनाब ऐसे कैसे?

पुलिस ने वायरल वीडियो पर खुद नहीं लिया संज्ञान

मध्य प्रदेश के इंदौर में चूड़ी बेचने वाले एक व्यक्ति को कुछ लोगों ने बुरी तरह पीटा. पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. इंदौर की पुलिस ने भी देखा. लेकिन जिस बाणगंगा थाना इलाके में ये सब हुआ वहां के थाना प्रभारी का तर्क था कि अभी तक किसी ने शिकायत नहीं की है इसलिए हमने कार्रवाई नहीं की.

अब जब फरियादी खुद थाना पहुंचा तो पुलिस ने 14 धाराओं के तहत आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया. ये तो हुई वो बात जिसके समझने के लिए बहुत ज्यादा दिमाग पर प्रेशर नहीं डालना पड़ा.

अब आपको इस केस और उससे निकले पूरे 'पॉलिटिकल गेम' की क्रोनोलोजी समझाते हैं..

22 अगस्त का मामला है. वीडियो में देखा जा सकता है कि कुर्ता पहने एक शख्स चूड़ी बेचने वाले का पहले बैग चेक करता है, फिर कुछ लोग चूड़ी बेचने वाले के सर पर हाथ मारते हैं. आसपास लोगों की भीड़ है. पीटने वाला शख्स कह रहा है कि हिंदू इलाके में चूड़ी बेचने अब नहीं आना. पीटते हुए वीडियो भी बनाया जा रहा है. वीडियो में दिख रहा है कि पीटने वाला शख्स भीड़ को उकासाता है. कहता है बदला ले लो. उस चक्कर मे ही मार दो की बम्बई बाजार का बदला ले रहे हो. अचानक कई लोग तस्लीम पर टूट पड़ते हैं, उसे बुरी तरह से पीटते हैं.

दरअसल, इंदौर के बम्बई बाजार में पिछले दिनों वर्ग विशेष की दो लड़कियों और उनके साथ मौजूद एक व्यक्ति के साथ कथित अभद्रता मारपीट और उनके आधार कार्ड चेक करने का मामला सामने आया था. उस मामले में पुलिस ने कई लोगों को गिरफ्तार कर लिया है.

जब चूड़ी वाले के पिटने का वीडियो बाहर आया तो कांग्रेस के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष इमरान प्रतापगढ़ी ने ट्विटर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पीएम मोदी से आरोपियों पर कार्यवाही करने की मांग की. कवि डॉक्टर कुमार विश्वास ने भी नाराजगी जताई.

अब आपको यहां से पुलिस के बयानों को बताते हैं.

पहले पुलिस ने वीडियो पर खुद संज्ञान नहीं लिया. फिर जब चूड़ी बेचने वाले ने शिकायत की तो एफआईआर दर्ज किया. इंदौर एसपी आशुतोष बागरी ने कहा बाणगंगा इलाके में एक लड़का चूड़ी बेचने गया था जिसके साथ कुछ लोगो ने मारपीट की. पुलिस ने फरियादी की शिकायत पर मामला दर्ज कर लिया है. पुलिस ने आरोपी की पहचान कर ली है. आरोपी वीडियो में दिख रहे हैं वो लोगों को उकसा रहा है. आरोपी का नाम है राकेश पवार, राजकुमार भटनागर और विवेक व्यास.

कहानी में ट्विस्ट

अब कहानी में ट्विस्ट यहीं से आता है. आगे की कहानी समझने के लिए मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा क्या कहते हैं वो सुनिए -

"इंदौर में सामने आई घटना की छानबीन में जो तथ्य मिले हैं, उसके मुताबिक चूड़ी वाला नाम बदलकर चूड़ियां बेच रहा था. वह हिंदू नाम रखकर चूड़ियां बेच रहा था. उसके पास अलग-अलग नाम के आधार कार्ड भी बरामद हुए हैं. सावन के दौरान हिंदू महिलाओं को चूड़ियां पहनाने को लेकर ये विवाद शुरू हुआ था. दोनों पक्षों के खिलाफ कार्रवाई की गई है."
नरोत्तम मिश्रा, गृह मंत्री, मध्य प्रदेश

नरोत्तम मिश्रा कहते हैं कोई व्यक्ति नाम छिपाएगा, धर्म छिपाएगा तो तल्खी आती हैं. तो क्या कानून में भीड़ के पास ये हक है कि वो जिसे चाहे पीटे, फैसला सुना दे?

हालांकि चूड़ी बेचने वाले इस शख्स ने अलग-अलग नाम से आधार कार्ड या पहचान पत्र होने के आरोप का जवाब देते हुए कहा कि, हमारे दोनों पहचान पत्र सही हैं. जो पुराना पहचान पत्र था, उसमें भूरा नाम से था. क्योंकि हमें गांव में भूरा नाम से बुलाते थे. जब नया आधार कार्ड बनाया तो हमने भूरा से अपना नाम तस्लीम कर दिया. कोई भी कार्ड फर्जी नहीं है.

अब इस कोरोनोलोजी में एक और ट्विस्ट

वीडियो वायरल होने के बाद इंदौर के सेंट्रल कोतवाली थाना क्षेत्र में लोगों की भीड़ जमा हुई और तुरंत आरोपियों पर एफआईआर दर्ज करने की मांग करने लगी. पुलिस के मुताबिक लोगों की भीड़ ने थाने पर हंगामा किया. थाने पर भीड़ इकठ्ठा करने वाले लोगों पर भी मामला दर्ज किया गया. तीन नामजद और 25-30 अज्ञात पर मामला दर्ज किया गया है. इंदौर के कलेक्टर मनीष सिंह ने बताया है कि बाणगंगा थाना क्षेत्र में चूड़ी वाले से मारपीट की घटना सामने आने के बाद सेंट्रल कोतवाली थाने पर रात में हुए प्रदर्शन में पीएफआई का हाथ सामने आ रहा है. एसडीपीआई ओर पीएफआई पर इंटलीजेंस नजर रख रहा है.

आपको बता दें इन सब बातों के बीच अब तक कहीं भी चूड़ी वाले पर छेड़छाड़ का आरोप नहीं लगा था. पुलिस ने कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं किया था. लेकिन घटना के 24 घंटे बाद चूड़ी बेचने वाले तस्लीम पर पॉक्सो एक्ट समेत 9 गंभीर धाराओं में केस दर्ज हो गया. पुलिस ने तस्लीम को गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस के मुताबिक युवक के पास से दो आधार कार्ड पाए गए हैं. जिसमें एक में उसका नाम तस्लीम और पिता का नाम मोहर अली था और दूसरे आधार कार्ड में उसका नाम तो जला हुआ था, लेकिन पिता का नाम मोहन सिंह दिखाई दे रहा है. एक बालिका ने शिकायत की है कि तस्लीम नाम के युवक ने उससे छेड़छाड़ की. जिसके बाद छेड़छाड़ और फर्जी दस्तावेज तैयार करने की एफआईआर दर्ज की गई है. अगर सच में तस्लीम ने छेड़खानी की है तो कानून के हिसाब से उसे सजा मिले. लेकिन भीड़ के हाथों फैसला क्यों?

मामले पर हिंदू संगठनों ने भी प्रदर्शन किया. इस पर कांग्रेस नेता वयने ट्वीट किया

बीजेपी के इन नेताओं की भाषा

भोपाल की हुजूर विधानसभा से बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा ने इंदौर में हिंदूवादी संगठनों द्वारा किए गए प्रदर्शन की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा- यहां शरिया नही केसरिया है.

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा बोले, "यह सॉफ्ट आतंकवाद है, नाम बदलकर काम करने की क्या जरूरत है. ऐसे लोगो के खिलाफ कार्यवाही नही इन्हें उखाड़ कर फेंक देना चाहिए."

अब कई सवाल हैं जो इंसाफ चाहने वाले जरूर पूछेंगे. सवाल है कि अगर मान लीजिए तस्लीम के पास अलग-अलग नाम के आधार कार्ड थे तो क्या भीड़ को उसे मारने का हक है? अगर झूठे नाम की वजह से भीड़ पीट रही थी तो बंबई बाजार में हुई घटना का बदला लेने की बात क्यों कही गई? अगर तस्लीम ने छेड़खानी की थी तो पुलिस को क्यों नहीं खबर किया गया या क्यों नहीं तुरंत एफआईआर दर्ज कराई गई? पुलिस नहीं तस्लीम खुद पुलिस के पास गया था एफआईआर दर्ज कराने.. पुलिस ने वायरल वीडियो पर संज्ञान क्यों नहीं लिया? क्या नरोत्तम मिश्रा को ये हक है कि वो कानून तोड़ने को जस्टिफाई कर सकें?

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