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इजराइल के रोशन और काशी के आनंद की जोड़ी ने यूं मचा रखी है धूम

आनंद और रोशन दोनों ही संगीत के प्रेमी हैं और अपनी कला के मुकाम के लिए जगह-जगह भटक रहे हैं

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दोस्ती रंग-रूप, वेशभूषा देखकर नहीं होती. दोस्ती तो बस हो जाती है. बनारस में कुछ ऐसा ही देखने को मिला, आनंद और रोशन के बीच. देव दीपावली के मौके पर इस बार इन दोनों की दोस्ती काशी के घाटों पर चर्चा का विषय बनी रही.

आनंद और रोशन दोनों की चर्चा हो भी क्यों न? एक बनारस की गलियों का रहने वाला है, तो दूसरा दूर देश इजरायल का. बनारस के आनंद के एक बुलावे पर रोशन देव दीपावली में शामिल होने इजरायल से दौड़े चले आए.

कुछ समय पहले तक बिल्कुल अनजान आनंद और रोशन को देखकर ऐसा लगता है, मानो ये एक-दूजे के लिए ही बने हैं. इनकी दोस्ती जैसे सदियों पुरानी है.

म्यूजिक कंसर्ट में हुई थी मुलाकात

दोनों ही संगीत के प्रेमी हैं और अपनी कला के मुकाम के लिए जगह-जगह भटक रहे हैं. इसी मुकाम की तलाश में कुछ महीने पहले आनंद हिमाचल के धर्मशाला में एक म्यूजिक कन्सर्ट में शामिल होने गए थे. यहीं पर उनकी मुलाकात इजरायल के रोशन से हुई.

दोनों संगीत प्रेमी हैं, लिहाजा दोनों में दोस्ती हो गई. चंद दिनों में ही ये दोस्ती ऐसी परवान चढ़ी कि देव दीपावली के मौके पर आनंद के एक बुलावे पर रोशन इजरायल से बनारस चले आए.

दोनों में खूब जम रही

बनारस के आनंद को बांसुरी से मधुर आवाज निकालने में महारत हासिल है. वहीं इजराइल के रोशन को गाने और गिटार बजाने का शौक है. गीत-संगीत के साथ रोशन चार भाषाओं- हिब्रू, अरबी, स्‍पेनिश, इंग्लिश के जानकार हैं. अब आनंद उन्हें पांचवीं भाषा हिंदी सिखा रहे हैं.

इतना ही नहीं, आनंद अपने इस इजरायली दोस्त को बांसुरी भी सिखा रहे हैं और उनसे हिब्रू भाषा सीख रहे हैं. दोनों में खूब जम रही है.

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हमें इंडिया से बहुत प्यार है. यह मेरे दिल में बसता है. मैं पूरा भारत घूमना चाहता हूं और अपना बैण्ड बनाना चाहता हूं. इसके लिये ज्‍यादा समय मैं बनारस में ही बिताऊंगा.
रोशन  

वहीं आनंद भी अपने इस दोस्त का खास खयाल रख रहे हैं.

मैंने इन्हें दीपावली के लिये इन्वाइट किया. वो कुछ दिन पहले यहां पहुंचे हैं, हम दोनों घर पर साथ रहते हैं. हम लोग एक दूसरे से काफी कुछ सीख रहे हैं.  
आनंद

गंगा किनारे जमती है इनकी महफिल

वाकई, फिलहाल दोनों स्ट्रगलर है, लेकिन एक-दूसरे के लिए कुछ भी करने को हमेशा तैयार रहते हैं. सुबह-सुबह दोनों घर में रियाज करते हैं और शाम को खुले आसमान के नीचे गंगा की घाट पर महफिल जमाते हैं.

घाट पर घूमने आये पर्यटक दर्शक बन इस महफिल का लुत्फ उठाते हैं और इन्‍हीं की तरह संगीत में अपना मुकाम तलाश रहे नए गायक-संगीतकार इनके साथी बन रहे हैं. इन दिनों उनका ये सिलसिला ऐसे ही चल रहा है. उम्मीद है कि जल्द ही ये लोग अपना बैंड बनाकर अपने सपने को हकीकत में बदलने के साथ लोगों का भरपूर मनोरंजन करेंगे.

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