एडिटर: अभिषेक शर्मा
प्रोड्यूसर: मौशमी सिंह
बेगूसराय को सीपीआई का गढ़ कहा जाता है, लेकिन पिछले कुछ सालों में यहां पार्टी की लोकप्रियता में गिरावट आई है. 2019 लोकसभा चुनाव में कन्हैया कुमार के साथ क्या बेगूसराय में एक बार फिर सीपीआई की लोकप्रियता वापस लौटेगी? सीपीआई के छात्र नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ इसी मुद्दे पर क्विंट ने चौपाल की.
सीपीआई कार्यकर्ताओं को भरोसा है कि कन्हैया के आने से सीपीआई में नई जान आएगी. इस बार बेगूसराय की धरती पर एक बार फिर सीपीआई का लाल झंडा फहरेगा.
धनुष का कमान जितना पीछे जाता है, बाण उतना आगे जाता है. इस बार कन्हैया के आने के बाद हमारा बाण बिलकुल सटीक है. वो बीजेपी को बिलकुल काट देगा और बेगूसराय की धरती ‘लाल’ हो जाएगी.शंभू, छात्र नेता
कार्यकर्ताओं का मानना है कि बीजेपी सरकार की नीतियों से जनता त्रस्त है. इसलिए उन्हें उम्मीद है कि लोगों का समर्थन उन्हें मिलेगा.
जनता देख रही है कि 350 रुपये का गैस सिलिंडर करीब एक हजार रुपये तक पहुंच गया है. जनता लगातार परेशान है. नोटबंदी और जीएसटी की वजह से भी परेशान है. नीरव मोदी और मेहुल चौकसी को भी देख रहे हैं. इसलिए जनता अब संघर्षों के साथ है.सुशील कुमार, एक्टिविस्ट
सीपीआई को किन मामलों में थोड़े बदलाव की जरूरत है के सवाल पर पीएचडी छात्रा अंशु का कहना है:
हमारे मेनिफेस्टो में कास्ट के मुद्दे पर एक बार सोचना चाहिए. हम कास्ट में विश्वास नहीं करते हैं. सभी बराबर हैं. महिलाओं को 33% आरक्षण को लेकर संघर्ष तेज करने और जनकल्याण के लिए संघर्ष करने की जरूरत है.
बेगूसराय में इस बार त्रिकोणीय मुकाबला है. सीपीआई के कन्हैया कुमार का मुकाबला बीजेपी के गिरिराज सिंह और आरजेडी के तनवीर हसन से है. 2014 में डॉ. भोला सिंह बीजेपी के टिकट पर यहां से जीते थे. डॉ. सिंह को 4,28,227 वोट मिला था, जबकि तनवीर हसन को 3,69,892 वोट मिले. वहीं सीपीआई के उम्मीदवार राजेंद्र प्रसाद सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे. उन्हें 1,92,639 वोटों से संतोष करना पड़ा था. 29 अप्रैल को यहां वोटिंग है.
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