भारत की स्वर कोकिला कही जाने वाली लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) का आज 06 जनवरी की सुबह मुंबई (Mumbai) के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया. उनका मुंबई के शिवजी पार्क (Shivaji Park) में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. भारत रत्न से सम्मानित लता मंगेशकर के निधन की खबर सुनकर पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने मुंबई पहुंचे. स्वर कोकिला लता मंगेशकर का जीवन हमेशा ही एक प्रेरण का स्रोत रहा है. आइए हम आपको बताते हैं उनके जीवन से जुड़े कुछ अनसुने किस्से.
लता मंगेशकर की जिंदगी से जुड़े कुछ मशहूर किस्सें
लता मंगेशकर का करियर साठ साल से ज्यादा समय तक चला और इस बीच वह पद्म भूषण और भारत रत्न से नवाजी गईं. लता मंगेशकर ने इंडियन म्यूजिक इंडस्ट्री को बदल दिया. उन्होंने पांच साल की उम्र में म्यूजिक सीखना शुरू किया था और उन्होंने अपने पिता के मराठी म्यूजिकल में काम किया था.
आपको शायद यह जानकार हैरानी हो की उन्हें और उनके भाई बहनों को फिल्में देखने और फिल्मी गाना गाने की इजाजत नहीं थी! उनका पहला पब्लिक परफॉरमेंस 1938 में पिता के साथ था. लता मंगेशकर जब सिर्फ 13 साल की थी तो उनके सर से पिता का साया उठ गया था.
घर में सबसे बड़ी लता को चार भाई-बहनों और मां को सपोर्ट करने के लिए फिल्मों में काम करना और गाना पड़ा लेकिन उन्हें एक्टिंग पसंद नहीं थी.
गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में इतिहास में सबसे ज्यादा गाना रिकॉर्ड करने वाली आर्टिस्ट के तौर पर लता मंगेशकर का नाम दर्ज किया गया. उन्होंने 14 भारतीय भाषाओं में 25,000 से ज्यादा गानें गाये. लता मंगेशकर ने 'आनंदघन' के तहत संगीत निर्देशन किया और वह कुछ मराठी फिल्मों की भी निर्माता रहीं.
उन्होंने अनगिनत गानों और एक्टर्स को अपनी आवाज दी लेकिन उनकी पसंदीदा थीं मीना कुमारी, नरगिस, नूतन और साधना. मुकेश और मोहम्मद रफी से साथ गाना उन्हें अच्छा लगता था लेकिन उनके पसंदीदा किशोर कुमार थे.
मंगेशकर परिवार में भाई-बहनों के प्यार से तो हम वाकिफ हैं लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब कुछ सालों तक लता और आशा के बीच बातचीत बंद थी. केएल सहगल को वो अपना आदर्श मानती थीं. और बचपन में उनसे शादी भी करना चाहती थीं.
लता का पाकिस्तानी गायिका नूरजहां से खास लगाव था, लता के "ऐ मेरे वतन के लोगों..." ने देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की आंखों में आंसू ला दिए थे. लेकिन मानिए या नहीं, वो भजन और क्लासिकल म्यूजिक सुनना पसंद करती थीं. फिल्मी गानें तो वह कभी कभार ही सुना करती थी.
दिवंगत निर्देशक यश चोपड़ा के साथ भी उनका खास रिश्ता था. यश चोपड़ा 'वीर जारा' में हर कैरेक्टर के लिए लता की ही आवाज चाहते थे. 1963 में लता बीमार पड़ गईं क्योंकि कोई उन्हें धीमा जहर दे रहा था.
इस घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा था कि एक बयान में उन्होंने कहा था "हम मंगेशकर इसके बारे में बात नहीं करते हैं. क्योंकि ये हमारे जिंदगी का एक खौफनाक फेज था. वो साल 1963 था. मुझे काफी कमजोरी महसूस होने लगी थी. और मुश्किल से अपने बेड से उठ पाती थी. हालात ऐसे हो गए थे कि मैं खुद चल भी नहीं पाती थी."
बाधाओं और हमेशा बदलते रहने वाली इंडस्ट्री के बावजूद लता ताई की आवाज हमारे दिलों में हमेशा रहेगी.
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