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Modi@4: PM मोदी, महिलाओं की तरफ से 4 सालों का ये रहा रिपोर्ट कार्ड

इन 4 सालों में किन उतार-चढ़ाव से गुजरी भारतीय महिलाएं

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इलस्ट्रेटर: इरम गौर और अर्निका काला

वीडियो एडिटर: विवेक गुप्ता

कैमरापर्सन: शिव कुमार मौर्या

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पीएम नरेंद्र मोदी ने सत्ता में 4 साल पूरे किए. इस मौके पर हम आपको दिखा रहे हैं इन गुजरे चार सालों में भारतीय नारी के 'सिर उठने' और 'सिर झुकने' की कहानी हमारी 'बुरी लड़की' की निगाहों से.

'बुरी लड़की' जो अपनी बात बखूबी, बिना डरे रखना जानती हो, जी हां, जो संस्कारी नहीं होतीं!

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साल 2018

वो रिपब्लिक डे परेड याद है? जब पहली बार BSF की महिला टुकड़ी ने सीमा भवानी के नेतृत्व में एक बाइक पर मोर्चा संभाला. तब हम सोचने लगे कि ये शायद पितृसत्ता के टूटने की शुरुआत है.

हमारी लड़कियां साइना नेहवाल, मनिका बत्रा, मैरिकाॅम कॉमनवेल्थ गेम्स में मेडल बटोर रही थीं.
सुप्रीम कोर्ट में हदिया के हक में फैसला आया, उसे अपने पति के साथ रहने का हक मिला.
इसी साल बलात्कारी बाबा आसाराम को सजा हो गई.

हां, बीच में थोड़ा गुस्सा जरूर आया, जब जेएनयू स्टूडेंट को सेक्सुअल वायलेंस का विरोध करने पर मारपीट झेलनी पड़ी. और उसके बाद देश शर्मिंदा महसूस करने लगा. कठुआ-उन्नाव जैसे रेप की कई-कई वारदातें सामने आई.

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साल 2017

2017 याद दिलाता है जब प्रियंका चोपड़ा को ट्रोल किया गया. उनका कुसूर? उन्होंने ऊंची ड्रेस पहनकर पीएम से मुलाकात की थी, और वो तस्वीर इंस्टाग्राम पर पोस्ट की थी. लेकिन प्रियंका ने इन सब पर ध्यान नहीं दिया. जो ट्रोलर्स के लिए करारा जवाब सरीखा था.

इसी साल सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल तलाक पर ऐतिहासिक फैसला दिया. लेकिन फिर हमने जैसे पलटी मार दी.

एक्सेंचर की एक रिपोर्ट आई कि महिलाओं के मुकाबले पुरुष 67% ज्यादा पैसा कमाते हैं.

हमने बुरा दौर भी देखा जब एक बहादुर महिला पत्रकार को मार दिया गया. 5 सितंबर 2017 को गौरी लंकेश की हत्या कर दी गई.

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साल 2016

"मुंबई कॉलेज ने छात्राओं के डिस्ट्रेस्ड जींस पहनने पर लगाई रोक". हमने साल के अंत में ऐसी हेडलाइन पढ़ी, जिसने हमें गुस्से से भर दिया.

लेकिन फिर कुछ अच्छी खबरें आईं. भारतीय वायु सेना को अपनी पहली महिला लड़ाकू पायलट मिली.

साक्षी मलिक, दीपा कर्माकर और पीवी सिंधु ने खेल में अपने शानदार प्रदर्शन से हमारे दिल में जगह बनाई.

जम्मू-कश्मीर को महबूबा मुफ्ती के रूप में पहली महिला मुख्यमंत्री मिली.

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साल 2015

ये साल तनाव भरा रहा.

दीपिका पादुकोण को 'माई चॉइस' वीडियो के लिए ट्रोल किया गया जो महिलाओं के सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए था.

दिल्ली के कई कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के छात्र महिला स्टूडेंट पर लगाए गए प्रतिबंधों से लड़ने के लिए पिंजरा तोड़ आंदोलन के लिए इकट्ठे हुए.

महिलाओं के सबरीमाला मंदिर में घुसने को लेकर उनके माहवारी को चेक करने की मशीन लगाए जाने वाले सुझाव के खिलाफ सोशल मीडिया कैंपेन 'हैप्पी टू ब्लीड' को गति मिली. ये अजीबो-गरीब सुझाव सबरीमाला मंदिर बोर्ड की थी.

इस साल महिलाओं को उनकी राय, उनके आंदोलन, और फिर दुनिया की सबसे प्राकृतिक घटना- मासिक धर्म के लिए लड़ाई करनी पड़ी.

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साल 2014

कई कहानियां आई-गईं, लेकिन जेंडर को लेकर असमानता वैसी ही बनी रही.

पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लोकसभा के लिए चुने गए 543 सांसदों में से सिर्फ 61 महिलाएं हैं.

यूएनडीपी रिपोर्ट के मुताबिक, 80% से अधिक महिलाओं की बैंक खातों तक पहुंच नहीं है.

और हां, भारतीय पुरुष एक दिन में सिर्फ 19 मिनट घर का काम करते हैं. ये आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) का एक सर्वे कहता है.

लेकिन मिशेल ओबामा की तरफ से एसिड अटैक सर्वाईवर लक्ष्मी को सम्मानित किया जाना इस साल की हमारी पसंदीदा खबर बनी.

बीते 4 सालों में, लाख मुश्किलों का सामना करते हुए भी महिलाएं आगे बढ़ी हैं. सोचिए, अगर वो पूरी तरह आजाद हों तो क्या कुछ नहीं कर सकती हैं. वक्त आ गया है कि दो कदम आगे और चार कदम पीछे वाली मानसिकता को छोड़ें. अब वक्त, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ नारे को जीने का है.

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