ADVERTISEMENTREMOVE AD

महाराष्ट्र के पहले कोविड वॉर्ड के योद्धाओं की कहानी और एक आरजू

कस्तूरबा गांधी अस्पताल के वॉर्ड नंबर 30 में ही हुई थी महाराष्ट्र की पहली कोविड-19 मौत

Updated
छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

कैमरामैन: गौतम शर्मा
एडिटर: प्रशांत चौहान
एडिशनल एडिटिंग: वीरु कृष्ण मोहन
प्रोड्यूसर: त्रिदीप के मंडल/दिव्या तलवार
एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर: रितु कपूर/रोहित खन्ना

आज महाराष्ट्र फिर से कोरोना की चपेट में है. फिर लॉकडाउन लग रहे हैं. फिर वही हड़कंप है. लेकिन इस डर को सबसे करीब से, सबसे पहले देखा था, वॉर्ड नंबर 30 ने. मुंबई के कस्तूरबा गांधी अस्पताल का वॉर्ड नंबर 30 महाराष्ट्र का पहला कोविड वॉर्ड है. इस वीडियो में क्विंट हिंदी इसी वॉर्ड कोविड योद्धाओं की कहानी लेकर आया है.

0

महाराष्ट्र की पहली कोविड मौत

ये वो जमाना था जब न मरीजों को इस वायरस के बारे में उतनी जानकारी थी और न ही हमारा मेडिकल सिस्टम तैयार था. कोरोना के भयानक प्रकोप का पूरे देश को एहसास होने से पहले इन कोविड योद्धाओं ने महाराष्ट्र के पहले कोविड वॉर्ड में अपनी जान दांव पर लगा दी थी. पीपीई किट के अंदर और हीरो के टैग के पीछे असाधरण काम करने वाले ये साधारण इंसान हैं. जब 17 मार्च, 2020 को महाराष्ट्र में कोरोना की पहली मौत दर्ज हुई, तब सभी की निगाहें मुम्बई के इसी के.जी. हॉस्पिटल के वॉर्ड नं. 30 पर थी.

“हमने कोविड की पहली डेड बॉडी को कॉटन बेड शीट में बांधा. क्योंकि तब हमारे पास कोई डिस्पोजेबल बैग उपलब्ध नहीं था.”
कल्पेश वनेल, वार्ड बॉय, के. जी. हॉस्पिटल

कल्पेश के घर में उनकी बीवी, दो छोटी बेटियां और बुजुर्ग माता - पिता हैं. कल्पेश के काम का उन्हें गर्व है लेकिन मन में डर भी है.

पिछले एक साल से हॉस्पिटल की हेड नर्स मंजिरी सालुंखे अस्पताल में कोविड योद्धाओं को लीड कर रही हैं. वो कहती हैं-

"हमने एक बार यूनिफॉर्म पहन लिया तो हम घर के रिश्ते बाजू में रखते हैं, फिर हम और हमारे मरीजों के बीच का रिश्ता ही हमारे लिए सबसे अहम होता है."
मंजिरी सालुंखे, हेड इंचार्ज नर्स, के.जी. हॉस्पिटल

तन ही नहीं,मन का भी करते थे इलाज

मरीजों से मिलने उनके रिश्तेदार आ नहीं सकते थे, लिहाजा डॉक्टर और नर्सों ने मरीजों के रिश्तेदारों जैसी सेवा की. तब भी जब इन हेल्थ वर्कर्स और उनके परिजनों को संक्रमण का खतरा था. जून और जुलाई के बीच हेड नर्स मंजिरी और उनके पति मिलिंद सालुंखे भी कोरोना के शिकार हुए.

"मुझे मेरी वाइफ ने बहुत सपोर्ट किया. वो हमेशा कहती रही कि तुम्हें कुछ नहीं होगा. मैंने जवाब दिया कि तुम मेरे साथ हो तो मुझे यकीन है कि वाकई में मुझे कुछ नहीं होगा."
मंजिरी के पति मिलिंद सालुंखे
ADVERTISEMENTREMOVE AD

मिलिंद वाकई में ठीक हुए, लेकिन उस वक्त को याद करके मिलिंद की आंखों में आंसू आ जाते हैं. मंजिरी को एक मलाल है कि उनके और पति के इलाज में खर्च हुई रकम आज तक सरकार से नहीं मिली, जबकि उनसे इसका वादा किया गया था.

लोकसभा में सरकार ने बताया है कि 5 फरवरी, 2021 तक कुल 174 डॉक्टर, 116 नर्स और 199 हेल्थ वर्कर की कोविड की वजह से मौत हो चुकी है.

''मरीजों के मन का खौफ ही सबसे बड़ा विलन''

देखते-देखते संक्रमितों और मौतों का आंकड़ा इतनी तेजी से बढ़ने लगा कि बिना किसी तत्काल इलाज के मरीजों के मन से खौफ निकलना डॉक्टरों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गई.

उस समय को याद करते हुए वॉर्ड नं. 30 के हेड डॉक्टर साहिल मोरीवाला बताते हैं कि, "मरीज इतने डरे हुए थे कि उन्हें ऑक्सिजन चेक करवाने से भी परहेज था. कोविड टेस्ट तो बहुत दूर की बात है, कुछ मरीज तो कह रहे थे कि हम उन्हें मार डालेंगे. इसलिए उन्हें विश्वास दिलाना कि वो ठीक हो सकते हैं ये सबसे बड़ी चुनौती थी."

देश से अपील

वॉर्ड 30 के हेल्थ वर्कर्स की एक ही गुजारिश है- सावधान रहें. मास्क पहनें, हैंडवॉश करें और सोशल डिस्टेंसिंग रखें. वॉर्ड बॉय निखिल कांबले कहते हैं-"जो लोग सावधानी नहीं बरत रहे उन्हें कोविड वॉर्ड में जाकर देखना चाहिए कि हम लोग कैसी परिस्थितियों में यहां पर काम कर रहे हैं."

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×