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मुन्ना भाई से सुनिए, 1993 में संजय दत्त के गिरफ्तार होने की कहानी

क्या था संजय दत्त और दाऊद इब्राहिम का कनेक्शन?

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पूरे देश को मालूम है कि साल 1993 में संजू बाबा जेल गए थे, लेकिन ये नहीं मालूम कि उन्हें जेल क्यों जाना पड़ा था. तो आज इस वीडियो के जरिए मुन्ना भाई की जुबानी ही सुन लीजिए, संजय दत्त के जेल जाने की पूरी कहानी.

दरअसल, साल 1992 में बाबरी मस्जिद दंगे हुए, इसके तीन महीने बाद मार्च, 1993 में मुंबई में सिलसिलेवार बम धमाके हुए. एक के बाद एक 12 धमाके हुए. इस हादसे में करीब 300 लोगों की जान चली गई. इस धमाके के पीछे दाऊद इब्राहिम का हाथ था. साथ ही कुछ बॉलीवुड हस्तियों का नाम भी आ गया. जिसमें संजय दत्त का नाम भी शामिल था.

संजय दत्त को अबू सलेम और रियाज सिद्दीकी से अवैध रूप से बंदूक लेने और उन्हें अपने पास रखने का दोषी माना गया था. ये हथियार उस जखीरे का हिस्सा थे, जिन्हें मुंबई में बम धमाकों के दौरान इस्तेमाल किया जाना था.

क्या था संजय और दाऊद का कनेक्शन?

साल 1991 में संजय दत्त दुबई में फिल्म 'यलगार' की शूटिंग कर रहे थे. वहां फिरोज खान ने संजय दत्त को दाऊद इब्राहिम और उनके गैंग से मिलवा दिया. दाऊद का छोटा भाई संजय दत्त का बहुत खास हो गया. संजय दत्त की शूटिंग के दौरान अक्सर वो लोग आ जाते थे. सब लोग अक्सर पार्टी भी करते थे.

संजय के घर हथियार कहां से आए?

साल 1992 बाबरी मस्जिद दंगो के बाद संजय दत्त के पिता सुनील दत्त ने पीड़ित लोगों की काफी मदद की थी. लेकिन कुछ नेताओं को ये अच्छा नहीं लगा. वो सुनील दत्त को डराने लगे, मारने की धमकी भी देने लगे. इस दौरान सुनील दत्त भूख हड़ताल पर बैठे थे. इसके बाद संजय दत्त को भी धमकियां मिलने लगी.

संजय दत्त काफी टेंशन में रहने लगे थे. तब संजय ने समीर हिंगोरा और हनीफ कडावाला से मदद मांगी. समीर और हनीफ साल 1991 में आई संजय की फिल्म 'सनम' के प्रोड्यूसर थे. इन दोनों के दाऊद और उसके गैंग से अच्छे कनेक्शन थे. संजय ने जब इनसे मदद मांगी, तो इन दोनों ने संजय को आत्मरक्षा के लिए तीन AK-56 दे दी. संजय ने अपने परिवार की रक्षा के लिए ये हथियार रख लिए. पहले कुछ दिन उन्होंने ये हथियार अपनी गाड़ी की डिक्की में रखे फिर घर में छुपा दिए.

कुछ दिनों बाद संजय की टेंशन फिर बढ़ गई, क्योंकि उन्हें समीर-हनीफ के दाऊद के साथ कनेक्शन के बारे में मालूम था. संजय ने तीन में दो बंदूके उन्हें वापस कर दी. जैसे ही माहौल थोड़ा ठीक हुआ, संजय ने उन्हें फोन कर तीसरी बंदूक वापस ले जाने के लिए भी कहा लेकिन उन्होंने मना कर दिया.

साल 1993 में जब संजय दत्त अपनी फिल्म 'जय विक्रांत' की शूटिंग कर रहे थे, तब मुंबई में उन्हें बम धमाकों की खबर मिली. मार्च में बम धमाके हुए. अप्रैल में संजय दत्त अपनी फिल्म 'आतिश' की शूटिंग के लिए मॉरिशस में थे. वहां उन्हें पता चला कि समीर-हनीफ का नाम मुंबई धमाकों में आ रहा है.

इसके बाद संजय ने अपने दोस्त युसूफ नलवाला से हथियार को ठिकाने लगाने के लिए मदद मांगी. लेकिन तब तक काफी देर हो गई थी. पुलिस को संजय के घर से AK-56 मिल गई थी. इसके बाद संजय दत्त ने जैसे ही मॉरिशस से मुंबई में लैंड किया, पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया.

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