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Ground Report| 'अग्नि-पथ' पर हरियाणा के जवान क्या 4 साल की नौकरी से खुश हैं?

Haryana Election: हरियाणा विधानसभा चुनाव में अग्निपथ योजना का कितना असर पड़ेगा?

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हरियाणा (Haryana) के नूंह जिले का उजीना (Ujina) गांव, 'सैनिकों की फैक्ट्री' के नाम से मशहूर है. चुनावी सरगर्मी के बीच गांव का माहौल शांत दिखता है. न तो प्रचार गाड़ियों की शोर सुनाई देती है और न ही गांव में नारे लगाते लोग दिखते हैं. हालांकि, तालाब किनारे कुछ लोग चुनाव पर चर्चा करते जरूर नजर आते हैं.

प्रदेश में इस बार तीन मुद्दों की खूब चर्चा है- किसान, पहलवान और जवान. अग्निपथ योजना लागू होने के बाद पहली बार चुनाव हो रहे हैं. ऐसे में ये मुद्दा अहम माना जा रहा है.

हरियाणा विधानसभा चुनाव में क्या अग्निवीर योजना का कोई असर पड़ सकता है? क्या इससे सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को नुकसान होगा या फिर कांग्रेस फायदा उठाने में कामयाब रहेगी? और अग्निपथ योजना पर क्या है लोगों की राय? ये सबस जानने के लिए क्विंट हिंदी की टीम उजीना गांव पहुंची.

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"नौजवानों के लिए अग्निवीर बहुत अच्छी योजना है"

करीब 12 हजार की आबादी वाले इस गांव से लगभग 1 हजार लोग या तो सेना में अपनी सेवा दे रहे हैं या फिर दे चुके हैं.

गांव के पूर्व फौजी इस योजना को युवाओं के हित में बताते हैं. क्विंट हिंदी से बातचीत में सेना से रिटायर्ड सूबेदार बाबूलाल कहते हैं, "सरकार ने जो अग्निवीर योजना चलाई है, वो नौजवानों के लिए बहुत अच्छी योजना है. इससे बेरोजगारी की समस्या दूर होगी और देश को एक अनुशासित जवान भी मिलेगा."

वहीं सेना रिटायर्ड मेजर रणसिंह कहते हैं,

"अग्निपथ योजना से एक अनुशासित फोर्स तैयार हो रही है. इससे निकलने वाले युवाओं को सरकार से एकमुश्त राशि मिलेगी, जिससे वो अपना कुछ नया रोजगार कर सकते हैं. वहीं सेना में मिलने वाली ट्रेनिंग से भी उन्हें आगे फायदा होगा और वो काम करने का तरीका सीखेंगे."

इस साल उजीना गांव के चार युवकों का अग्निवीर के रूप में चयन हुआ है. अब तक गांव के 12 युवक अग्निपथ योजना के तहत सेना में भर्ती हो चुके हैं.

"4 साल की नौकरी से मतलब नहीं"

अग्निपथ योजना में चयनित अभ्यर्थी कहते हैं कि उन्हें इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि 4 साल की नौकरी है. हालांकि, उन्हें आत्मविश्वास है कि वो चार साल बाद स्थायी सेवा में बहाल हो जाएंगे.

अग्निवीर जितेंद्र कहते हैं, "हमें इस बात से मतलब नहीं है कि नौकरी चार साल की है. सेना में जाना ही मेरा लक्ष्य था. मैंने उस लक्ष्य को हासिल कर लिया है. इस नौकरी से हमारा मकसद पैसा कमाना नहीं है."

वहीं, कृष्णा कहते हैं कि उनके दादा सेना में थे. वहीं से उन्हें फौज में जाने की प्रेरणा मिली. वो कहते हैं, "मेरे बाबा फौज में थे. उनका सपना था कि लड़का फौज में लगे, लेकिन पापा फौज में नहीं लग पाए. फिर मेरा सिलेक्शन हुआ. घरवाले इससे बहुत खुश हैं."

"मेरा शुरू से ही आर्मी में ही जाने का सपना था. इसके लिए तैयार की. अग्निवीर से हमें मतलब नहीं है, चाहें चार साल का हो या फिर पर्मानेंट. हमें सिर्फ फौज में जाने से मतलब है."
तरुण सिंह, अग्निपथ योजना में चयनित अभ्यर्थी

अग्निपथ योजना की शुरुआत साल 2022 में हुई थी. इस योजना के तहत 25 फीसदी जवानों को ही स्थायी सेवा में रखने का प्रावधान है. बाकी बचे 75 फीसदी जवानों को चार साल बाद रिटायर करने का प्रावधान है. चार साल की सेवा के बाद पेंशन, मेडिकल और कैंटीन की सुविधा नहीं मिलती.

"अग्निपथ योजना हमारे बच्चों के साथ खिलवाड़ है"

वहीं उजीना गांव के कुछ लोग इस योजना का विरोध भी कर रहे हैं.

गांव के रहने वाले बदराम कहते हैं, "अग्निवीरों को उनका हक मिलना चाहिए. उतनी सैलरी मिलनी चाहिए. उतनी सर्विस का टाइम मिलना चाहिए. सरकार ने ये जो चार साल का प्लान बनाया है ये गलत है. इससे फौज का स्टेटस भी डाउन हुआ है."

वहीं एक और ग्रामीण अग्निपथ योजना को बच्चों के साथ खिलवाड़ बताते हैं. वो कहते हैं,

"फौज में नौकरी करने के लिए एक तो देशभक्ति के लिए जाएगा. दूसरा अपने बीबी-बच्चों के लिए. चार साल बाद क्या सुविधा देंगे. हमारे अग्निवीर में जो लड़के लगेंगे उनकी चार साल के अंदर शादी भी नहीं होगी. फिर वो अपने बीबी-बच्चों के क्या देंगे."

एक तरफ गांव के कुछ लोग इस योजना में बदलाव की मांग कर रहे हैं. वहीं कुछ ऐसे भी हैं, जो इसे खत्म करने की मांग कर रहे हैं.

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