बिहार (Bihar) के भागलपुर (Bhagalpur) जिले में शिक्षा की बदहाली का ताजा मामला सामने आया हैं. भागलपुर के एक सरकारी स्कूल में बरसात के मौसम में स्टूडेंट क्लास में छाता लेकर पढ़ाई करते हैं.
दरअसल, स्कूल की जर्जर हालत के चलते बारिश होने पर स्कुल की छत से पानी टपकता है , टपक रहीं पानी की बूंदों से बचने के लिए बच्चे क्लास में छाता लेकर बैठते हैं.
स्कूल के बच्चे और टीचर क्लास में डर के साए में रहते हैं कि कहीं कोई दुर्घटना न हों जाएं. इसके अलावा स्कूल के छात्रों को पढ़ाई के दौरान काफी परेशानियों का सामना भी करना पड़ता हैं.
'देश को कई IAS दे चुका हैं यह 82 साल पुराना स्कूल'
भागलपुर जिले के गोपालपुर प्रखंड का यह सैदपुर उच्च विद्यालय है. बताते है कि यह स्कूल अंग्रेजी शासनकाल 1941 में बना था. उस समय इस स्कूल को गांव वालों की मदद से ईंट और खपरैल से बनाया गया था. स्कूल में 6 कमरे बने हुए है.
अपनी स्थापना के लगभग 82 साल बाद स्कूल जर्जर स्थिति में पहुंच चुका है. स्कूल की हालत यह है कि बारिश के समय छतों में से पानी टकपता है जिसके चलते अप्रिय घटना की संभावना बनी रहती है. ग्रामीणों की माने तो यह स्कूल देश को कई आईएएस अधिकारी दे चुका है.
'बच्चे भी स्कूल आने में डरते हैं कि कहीं कोई घटना न हो जाएं'
इस स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक गिरीश कुमार मंडल ने बताया,
बारिश के समय में स्कूल में पढ़ाई नहीं हो पाती है. बच्चे भी स्कूल आने में डरते हैं कि कहीं कोई घटना न हो जाएं. स्कूल की हालत बेहद खस्ता हाल है, छत से पानी टपकता है, दीवारों पर दरारें पड़ गई है. बारिश के समय बच्चों को यहां नहीं बैठाते हैं, डर लगता है".गिरीश कुमार मंडल,प्रभारी प्रधानाध्यापक
उन्होंने आगे बताया, "कई बार बच्चों के अभिभावक भी स्कूल की जर्जर हालत को लेकर शिकायत करने आए हैं. कई बार शिक्षा विभाग से लेकर उच्च अधिकारियों को पत्र लिखा कि स्कूल में मरम्मत करवाएं या भवन का निर्माण करवाया जाए लेकिन कोई संतुष्ट जवाब नहीं मिला".
'हम लोग स्कूल नहीं आना चाहते'- छात्र का दर्द
दसवीं कक्षा में पढ़ने वाले सिंटू कुमार ने बताया,
"बारिश के समय में छत से पानी टपकता है. जिसके कारण से हम लोग स्कूल नहीं आना चाहते हैं. सही से पढ़ाई-लिखाई भी नहीं हो पाती है. बारिश के समय में पूरे स्कूल में पानी भर जाता है. जिस वजह से बारिश के समय में हमलोग क्लास रूम में छाता लेकर बैठते हैं."सिंटू कुमार ,छात्र
एक अन्य छात्र हर्ष राज ने बताया, "बारिश के समय पानी पूरी क्लास में भर जाता है जिससे की हमे पढ़ने में और शिक्षकों को पढ़ाने में दिक्कत होती है और जान जोखिम में डालकर पढ़ना पड़ता है".
लगभग 400 बच्चों की संख्या वाले स्कूल की बदहाल स्थिति
बदहाली का शिकार सैदपुर उच्च विद्यालय में आसपास के कई गांव के बच्चे पढ़ने आते हैं. विद्यालय की जर्जर स्थिति के सुधार के लिए स्कूल परिसर में लगभग 13 वर्ष पूर्व शिक्षा विभाग द्वारा 26 लाख की लागत से नया भवन बनाने का कार्य शुरू किया गया था लेकिन वह भी अधूरा रह गया.
अधूरे भवन निर्माण के बाद आज तक कभी भी मरम्मत का काम नहीं हुआ है. स्कूल में टपकती छतों के बीच रखे बेंच, डैस्क, टेबल समेत कई लाखों के सामान बर्बाद हो रहे हैं और छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ है.
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