वीडियो एडिटर: वरुण शर्मा
20 दिसंबर को वाराणसी के बजरडीहा में 10 साल का सगीर पड़ोस में जमा हो रही भीड़ को देखने के लिए घर से बाहर निकला था. हजारों प्रदर्शनकारी बजरडीहा में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे.
प्रदर्शन के दौरान पुलिस लाठीचार्ज के कारण इलाके में भगदड़ मच गई. सगीर के पिता वकील अहमद शादियों में वेटर का काम करते हैं, करीब रात 8 बजे उन्हें बड़े बेटे जहीर का बार-बार फोन आने लगा. जैसे ही अहमद घर पहुंचे तो उनके पड़ोसी ने बताया कि उनके बेटे सगीर को गंभीर चोट आई है, उसे पास ही के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
सगीर की 70 साल की दादी शहनाज अख्तर बताती हैं कि सगीर एक सुरक्षित जगह प्रदर्शन देखने के लिए खड़ा था. इसलिए वो बाकी बच्चों को ढूंढने के लिए गई.
उसने जाने से पहले कुछ कहा नहीं, उस दिन शुक्रवार की नमाज का दिन था, वो नहाया और घर से निकला, मैंने खुद देखा था, वो प्रदर्शन देखने के लिए एक जगह जाकर खड़ा हो गया, मैं बाकी बच्चों को देखने के लिए गई क्योंकि सगीर सुरक्षित जगह पर खड़ा था.शहनाज अख्तर, सगीर की दादी
सगीर के घर की गली में ही 16 साल के तनवीर आलम का भी घर था, वो भी प्रदर्शन देखने के लिए घर से बाहर निकला था, उसके चाचा ने सभी बच्चों को बाहर जाने से मना किया था.
जैसे ही लाठीचार्ज हुआ और भगदड़ मची तो तनवीर के पिता ने उसे बेहोश पड़ा देखा, उसके पिता उसको बचाने के लिए दौड़े, उन्होंने तनवीर को ऊपर से ढक लिया ताकि पुलिस की लाठी तनवीर को न लग जाए.
तनवीर 20 दिसंबर की उस घटना के बाद से अभी तक बेहोश है, तनवीर का परिवार उम्मीद कर रहा है कि वो जल्द से जल्द ठीक हो जाए. बजरडीहा पुलिस स्टेशन ने प्रदर्शन के दौरान हिंसा करने वालों की पहचान करने के लिए जगह-जगह पोस्टर लगाए हैं. बजरडीहा के लोगों का कहना है कि पुलिस ने जो पोस्टर लगाए हैं, वो वहां के स्थानीय लोगों के ही हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)