ADVERTISEMENTREMOVE AD

लंपी वायरस से मर रही गाय, गौरक्षक कहां हैं?

भारत में लंपी वायरस (Lumpy Virus) की वजह से करीब एक लाख मवेशी मारे गए हैं.

छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

गाय हमारी माता है, हमको कुछ नहीं आता है.

बचपन में ये कविता सुनी थी. अब उम्र के साथ राइम भी बदल गया. अब है

गाय हमारी माता है

उससे हमारा वोटों का नाता है

गोरक्षा का टेंडर लेकर

मनुष्य को मारा जाता है

गौशाला हो बदहाल या लंपी वायरस होता है

गौवंश को बचाने कोई नहीं आता है

ये सब हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि भारत में लंपी वायरस (Lumpy Virus) की वजह से करीब एक लाख मवेशी मारे गए हैं. इनमें भी सबसे ज्यादा मौत गायों की हुई है और गायों पर ही लंपी का 90 फीसदी तक प्रभाव देखने को मिल रहा है. गाय के नाम पर हत्याएं, धमकी, वोट, समाज में बंटवारा सब हो रहा है लेकिन लाखों गाय मर रही हैं तो भी जरूरत भर परवाह नहीं है. ऐसे में हम पूछेंगे जनाब ऐसे केसै?

एक बात बताइए, मान लीजिए आपके बरामदे में गेहूं सूख रहा है. तभी एक 'गोमाता' आकर गेहूं खाने लगती है. आप क्या करेंगे?’

‘बच्चा? हम उसे डंडा मारकर भगा देंगे.’

‘पर स्वामीजी, वह गोमाता है न. पूज्य है. बेटे के गेहूं खाने आई है. आप हाथ जोड़कर स्वागत क्यों नहीं करते.

‘बच्चा, तुम हमें मूर्ख समझते हो?’

‘नहीं, मैं आपको गोभक्त समझता था.’

‘सो तो हम हैं, पर इतने मूर्ख भी नहीं हैं कि गाय को गेहूं खा जाने दें.’

ये सब Anti धार्मिक बातें मैंने नहीं बल्कि व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई ने ‘एक गोभक्त से भेंट’ शीर्षक से अपने व्यंग्य में लिखी थी. परसाई इसलिए याद आए क्योंकि भारत में लंपी वायरस का कहर जारी है. Ministry of Fisheries, Animal Husbandry and Dairying के पास मौजूद आंकड़ों से पता चलता है कि लंपी वायरस इस समय देश के 15 राज्यों के 251 जिलों में फैल चुका है और 23 सितंबर 2022 तक 20 लाख से ज्यादा जानवर इस बीमारी की चपेट में आए हैं.

लंपी की वजह से सबसे ज्यादा मौतें राजस्थान में हुई हैं, राजस्थान में 23 सितंबर 2022 तक 64,311 जानवरों की मौत हो चुकी है. इसके बाद पंजाब में इस बीमारी के कारण 17,721 मवेशियों की मौत हुई है. तीसरे नंबर पर गुजरात है. जहां करीब 6000 जानवर जान गंवा चुके हैं. चौथे नंबर पर हिमाचल प्रदेश और पांचवे पर हरियाणा है.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या होता है लंपी वायरस?

लंपी वायरस की वजह से हुई बीमारी से पशु के शरीर पर गांठें बन जाती हैं और मक्खी-मच्छर जब इस पर बैठते हैं, तो यह बीमारी दूसरे पशुओं में ट्रांसफर हो जाता है. संक्रमित मवेशियों में नाक बहना, बुखार और पैरों में सूजन भी देखा जाता है. लंपी स्किन डिजीज का वर्तमान प्रकोप अफ्रीका में शुरू हुआ और पाकिस्तान के रास्ते भारत में फैल गया.

अब पाकिस्तान का नाम सुनते ही कहीं न्यूज चैनल वाले बेचैन न हो जाएं, और स्क्रीन पर आने लगे. पाकिस्तान का लंपी अटैक, लंपी का दोषी पाकिस्तान.

खैर वापस भारत पर आते हैं. फिलहाल आंकड़ों से पता चलता है कि 23 सितंबर 2022 तक 1.66 करोड़ मवेशियों को इस बीमारी से बचाने के लिए टीका लगाया जा चुका है. वहीं पशुपालन और डेयरी विभाग की वेबसाइट के मुताबिक भारत में 22,80,07,531 रजिस्टर्ड जानवर हैं.

चीता के भारत आने पर इवेंट-मय हो जाने वाले शायद गाय को भूल गए हैं इसलिए उन्हें थोड़ा गौवंश की हालत से भी मिलवा देते हैं.

गुजरात में सड़कों पर हजारों गाय

अभी हाल ही में गुजरात के बनासकांठा में हजारों गाय सड़क पर आ गईं. दरअसल, गौशाला संचालकों का आरोप है कि गुजरात सरकार ने मार्च 2022 में गायों के लिए आश्रय गृहों को चलाने के लिए 500 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता देने का ऐलान किया था. लेकिन 7 महीने बीत जाने के बाद भी यह पैसा नहीं मिला. जिससे नाराज होकर सैकड़ों गाय आश्रय गृह यानी ट्रस्टियों ने हजारों गायों को सड़कों पर और सरकारी बिलडिंग के सामने छोड़ दिया.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
  • नाराजगी इतनी बढ़ी कि गुजरात के कच्छ में गाय आश्रय गृह चलाने वालों ने सरकार को चाबियां सौंपते हुए कहा कि वे चुनाव में बीजेपी को वोट नहीं देंगे.

  • 2022 के अगस्त के महीने में उत्तर प्रदेश के अमरोहा की गौशाला में 60 से ज्यादा गायों की मौत हो गई थी. जहरीला चारा देने की बात सामने आई थी.

  • जनवरी के महीने में मध्यप्रदेश के भोपाल के पास बेरासिया में एक गोशाला में गायों के शवों का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसका संचालन बीजेपी नेता निर्मला देवी शांडिल्य के हाथ में था. इलाके के लोगों ने आरोप लगाया कि गौशाला में दो कुएं जैसी जगह थी जिसमें लगभग 200 गायों के शव थे.

प्लास्टिक खाती, कचरे के ढेर में खाना ढूंढ़ते गौवंश आपको अकसर दिख जाते होंगे, लेकिन गायों की मौत का एक और आंकड़ा देख लीजिए.

कोविड के दौरान ट्रेन से कटकर 27,000 से ज्यादा जानवरों की मौत

इंडियन एक्सप्रेस में Avishek G Dastidar ने लिखा है कि भारतीय रेलवे ने अप्रैल 2020 और मार्च 2021 के बीच मवेशियों के कुचले जाने के 27,000 से ज्यादा मामले दर्ज किए हैं. ये आंकड़े तबके हैं जब कोविड था और सामान्य तरीके से ट्रेन नहीं चल रहीं थीं. वहीं कोरोना महामारी से पहले अप्रैल 2019 से मार्च 2020 में 38,000 से अधिक गायों की मौत रेलवे ट्रैक पर ट्रेन की चपेट में आने से हुई थी.

वहीं जब कोविड के बाद लगभग ट्रेन वापस अपनी रफ्तार पकड़ चुकी थी तब गौवंश की सांसे थमने लगी थी. अप्रैल 2021 से सितंबर 2021 के बीच 20,000 से ज्यादा गाय ट्रेनों से कुचल कर मारी गईं.

जिस गाय के नाम पर पहलू खान से लेकर अखलाक और न जाने कितने लोग इस देश में मार दिए गए, वो गाय भी सुरक्षित नहीं है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

राजस्थान से लेकर गुजरात में बड़ी संख्या में पशुपालक हैं, जिनके परिवार का पालन दूध बेच कर ही होता है. लंपी बीमारी की वजह से दुधारू पशुओं के दूध की बिक्री पर भी असर पड़ रहा है. पशुओं की मौत के डर के साथ-साथ परिवार पालने की भी चिंता है. आर्थिक मदद से लेकर मुआवजे की उम्मीद है. राजस्थान सरकार मांग कर रही है कि इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए लेकिन केंद्र के तरफ से जवाब नहीं आया है.

उत्तर प्रदेश चुनाव के समय आवारा पशु का मुद्दा भी उठा था. जानवर खेत बर्बाद कर रहे थे. सड़कों पर गौवंश और गाड़ियों के टक्कर की भी घटनाएं आए दिन सामने आती हैं. अब आप ही बताइए ये कैसी गोभक्ति है जब गाय की जिंदगी पर बात बन आई है. इसलिए हम पूछ रहे हैं जनाब ऐसे कैसे?

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×