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गलवान में भारत-चीन की झड़प के बाद इन चार सवालों के जवाब नहीं मिले

ये जो इंडिया है ना...चीन की रणनीति को समझने में देरी करता रहा है.  

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(एडिटर- वरुण शर्मा)

जैसे ही ये लगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कह दिया है कि चीन ने भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ नहीं की है, कार्टूनिस्ट मंजूल ने इंस्टा पर ये कार्टून शेयर किया. स्वर्ग में टीवी देखते भारत के 20 शहीद - टीवी पर प्रधानमंत्री को ये कहता सुन....कि कोई घुसपैठ नहीं हुई....सकते में..

पीएम के बयान पर आई कुछ और प्रतिक्रिया देखते हैं-

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  • रि.लेफ्टिनेंट जनरल रामेश्वर रॉय -मैं ये देखकर दुखी हूं कि चीन पूर्वी लद्दाख में LAC को बदल रहा है और भारत चुपचाप बर्दाश्त कर रहा है. मेरे जैसे हर सैनिक के लिए ये कितना दुखद दिन है
  • पूर्व विदेश सचिव और चीन में भारत की पूर्व राजदूत निरुपमा राव- चीन की ताकत देखते हुए सरकार ने संयम बरतने का फैसला किया है-ये एक विनम्र तरीका है कहने का कि - LAC पर भारत ने सिर झुका लिया है क्योंकि चीन ज्यादा मजबूत है
  • सामरिक मामलों के एक्सपर्ट ब्रह्मा चेलानी-मोदी का नया बयान चीन को सूट करता है. चीन हमसे हथियाई गई जमीन पर तेजी से निर्माण कर रहा है, और इसे सही बताने के लिए वो मोदी के शब्दों का ही इस्तेमाल करेगा. कहेगा कि - देखिए कहा था ना कि भारतीय सैनिक चीन के इलाके में घुसे थे.
चीनियों ने तो हमारे हवाले से खुद क्लीन चिट भी दिया है -टीवी जर्नलिस्ट और डिफेंस एनालिस्ट Shin Shewei ने ट्वीट किया- ‘लद्दाख में भारतीय क्षेत्र में कोई विदेशी नहीं है, - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बयान- ये बयान बताता है कि घटना चीनी जमीन पर हुई’

तो क्या पीएण मोदी ने चीन को क्लीन चिट दी? चीनियों ने जिस जगह टेंट लगाए--यानी गलवान घाटी में पेट्रोल प्वाइंट 14-वो LAC के भारतीय तरफ है या नहीं? 'कोई घुसपैठ नहीं'...ये कहकर लगता है कि पीएम ने ये कह दिया कि ये चीन की तरफ है और ऐसा कहने से ये भी लगा कि दरअसल हमीं लोगों ने घुसपैठ की थी. और 18 जून को उनके विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता Zhao Lijian ने यही कह दिया. ''इस मामले में सही और गलत क्या है, सब साफ है. 20 सैनिकों की मौत चीन की जमीन पर हुई और इसके लिए चीन को दोष मत दीजिए''

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20 जून को PMO की तरफ से एक बयान जारी कर डैमेज कंट्रोल की कोशिश की गई. कहा गया कि - प्रधानमंत्री के बयान की ‘शरारतपूर्ण व्याख्या करने’ की कोशिश की जा रही है. स्टेटमेंट में ये भी कहा गया-

गलवान में हिंसा इसलिए हुई क्योंकि चीनियों ने LAC के इस तरफ ढांचा खड़ा करने की कोशिश की, मना करने पर नहीं माने और हमारे सैनिकों ने चीनियों को रोक दिया और LAC पर अतिक्रमण की कोशिश की नाकाम कर दिया.’

पीएम या पीएमओ के बयान में ये नहीं बताया गया कि चीन के कितने सैनिक मरे. कुछ दावे जनरल वीके सिंह ने किए थे, और न्यूज एंजेसी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि - 40 चीनी सैनिक मरे. लेकिन रहस्यमय तरीके से आधिकारिक तौर पर कोई नंबर नहीं आया. साफ है कि जितना हमें नुकसान हुआ उतना चीन को नहीं हुआ तो पीएम या पीएमओ को कहना चाहिए था कि भारत को जवाब देने का हक है वो अपनी पसंद की जगह और वक्त पर जवाब देगा.

लेकिन चलिए हम घुसपैठ पर फिर चर्चा कर लेते हैं- जैसे कि क्या पीएम के बयान में पैंगॉन्ग झील के उत्तरी छोर पर फिंगर 4 तक चीन की घुसपैठ को स्वीकार किया गया है? Retired Lt Gen HS Panag ने दावा किया है कि अप्रैल के आखिर तक चीन LAC के पूर्व में फिंगर 8 से फिंगर 4 तक 8 किलोमीटर अंदर घुस आया था...यानी 35-40 स्कॉवयर जमीन पर कब्जा..डिफेंस जर्नलिस्ट शिव अरूर का कहना है कि चीनियों ने दस मई के बाद से...फिंगर 4 से 5 के बीच 62 नई चौकियां बना ली हैं और जहां फिंगर 4 पैंगॉन्ग झील को छूता है, वहां बुलडोजर और अर्थमूवर देखे देखे गए हैं.

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अब चूंकि भारत फिंगर 8 पर LAC को मानता है तो क्या क्या बड़ी संख्या में चीनी भारतीय क्षेत्र में नहीं घुस आए हैं? तो जब पीएम कहते हैं- कोई घुसपैठ नहीं हुई- तो क्या इसका ये मतलब है कि भारत ने फिंगर 4 से 8 के बीच अपना दावा छोड़ दिया है? भारतीय सेना का कोई भी शख्स बता देगा कि भारतीय सैनिक फिंगर 8 तक के इलाके में पेट्रोलिंग करते थे और अब जब भारतीय पेट्रोलिंग फिंगर 4 तक रह गई है, ऐसा लगता है कि हमने LAC पर नई स्थिति को चुपचाप कबूल कर लिया है और 40 स्कॉवयर किलोमीटर की जमीन छोड़ दी है.

अगर इसपर सरकार से सफाई मांगिए तो कोई जवाब नहीं मिलता है. हां ये वाजिब सवाल पूछने पर गोदी मीडिया और ट्रोल आर्मी आपको गद्दार जरूर बोलने लग जाती है. कारगिल युद्ध के समय भारतीय सेना के चीफ रहे जनरल वीपी मलिक भी कहते हैं कि चीन ने फिंगर 4 और 8 के बीच घुसपैठ की है.

एक के बाद एक ट्वीट में जनरल मलिक ने उन्होंने चीन के गोलपोस्ट बदलने की रणनीति का खुलासा किया. जनरल मलिक पूछते हैं कि 1996 में चीन और भारत सहमत हुए कि अपनी-अपनी समझ के मुताबिक LAC के नक्शे को तुरंत शेयर करेंगे. लेकिन चीन आज तक ऐसा क्यों नहीं किया? इन नक्शों के न होने से ही गलवान में बर्बरता पूर्ण घटना हुई. मैप साझा न करने से चीन को नई घुसपैठ करने और नई सच्चाई को स्थापित करने में मदद मिलती है.

चूंकि यथास्थिति बनाए रखने के लिए LAC पर सफाई नहीं है. इसलिए फिजिकल कंट्रोल के तीन ऐसे इलाके हैं जिनका दोनों देशों को सम्मान करना है. एक जो भारत का इलाका है, दूसरा जो चीन का है और तीसरा जो सबसे जरूरी है- जिसके बारे में दोनों सहमत हैं कि ये किसी का नहीं है - यानी नो मेंस लैंड...

इस इलाके में दोनों पक्ष पेट्रोलिंग कर सकते हैं लेकिन जिसपर दावा नहीं कर सकते. लेकिन चीन में रह चुके पूर्व राजनयिक टीसीए रंगाचारी बताते हैं कि चीन ने इस नो मेंस लैंड के नियम को मानना बंद कर दिया है. इन इलाकों में वो रोड, स्थाई चौंकियां, बैरेक बनाता है, यहां वो भारी हथियार तैनात करता है. चीन का मकसद है कि वो धीरे-धीरे LAC के पास गलवान घाटी, हॉट स्प्रिंग्स पैनगॉन्ग सो में यथास्थिति को बदल दे और जब भी घुसपैठ करे कुछ स्कॉवयर किलोमीटर भारतीय जमीन हथिया ले. हर अतिक्रमण के साथ और नए दावे करे..जैसे कि चीन का नया दावा - पूरी गलवान घाटी हमारी है.

अफसोस... ये जो इंडिया है ना...चीन की इस रणनीति को समझने और इसका कूटनतिक और सैन्य जवाब देने में देरी करता रहा है. उन्हें क्लीन चिट देकर, खुलेआम घुसपैठ को नजरअंदाज करके और पीछे हटकर हम चीन के हाथों में खेल रहे हैं

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