''मैंने पीसीआर को दिखाया कि ये देखो लाश घसीट रही कार, लेकिन पुलिस ने मुझे नजरअंदाज.''
ये बात क्विंट हिंदी से कही कंझावला केस के चश्मदीद दीपक ने. दीपक वो शख्स हैं जिसने देखा कि एक बलेनो कार से एक शव घिसट रहा है. उसने अपनी गाड़ी से डेढ़ घंटे तक बलेनो का पीछा किया और लगातार पुलिस को लोकेशन बताता रहा. दीपक के मुताबिक-''उसकी 18-20 बार पुलिस से बात हुई, लेकिन पुलिस नहीं आई.'' क्विंट ने कंझावली से तीन किलोमटर दूर लाडपुर गांव के दीपक से विस्तार से बात की. दीपक ने हमें बताया कि उस रात उन्होंने देखा, क्या किया और पुलिस ने क्या किया?
दिल्ली के सुल्तानपुरी के कंझावला (Kanjhawala case) में एक 20 साल की युवती की मौत में एक के बाद एक नई बात सामने आ रही है. कई किलोमीटर तक कार से घसीटे जाने के मामले में अब पुलिस पर लापरवाही बरतने के आरोप लग रहे हैं.
लाड़पुर गांव के रहने वाले दूध व्यापारी और चश्मदीद दीपक ने क्विंट हिंदी को बताया कि सुबह करीब 3 बजे जब वो अपने दुकान पर पहुंचा तो देखा कि सुल्तानपुरी की तरफ से एक ग्रे रंग की कार आ रही थी. कार के पहिए के पास से आवाज आ रही थी. दीपक के मुताबिक, उसने देखा कि कार के नीचे कुछ है, जो सड़क पर घसीटा रहा है. थोड़ी ही देर में दीपक को अंदाजा हो गया कि कार से एक शव लटका हुआ है और कार कुतुबगढ़ की ओर जा रही थी. दीपक ने तुरंत पुलिस को 112 पर कॉल कर इस बात की जानकारी दी. पुलिस ने भी कुछ किलोमीटर आगे के गांव का जिक्र करते हुए गाड़ी को पकड़ने की बात कही, लेकिन थोड़ी ही देर में वो कार यू-टर्न लेकर वापस आ गई.
दीपक ने बताया,
"मैंने दोबारा पुलिस को कॉल किया और बताया कि कार में शव है किसी की और अब कार दूसरी तरफ जा रही है. फिर मैंने अपनी स्कूटी से कार का पीछा करना शुरू किया. लेकिन वो कार दो-ढाई किलोमीटर चलने के बाद फिर वापस कुतुबगढ़ की ओर जाने लगी. मैंने भी यू टर्न लिया और पीछा करना शुरू कर दिया. इसी दौरान मैंने अपने चाचा के बेटे को साथ ले लिया और अब बड़ी गाड़ी में हम दोनों बैठकर पीछा करने लगे. थोड़ी ही दूर बाद जब गाड़ी जॉन्टी गांव पहुंची तो लड़की का शव गाड़ी से हटकर सड़क पर गिर गया. मैंने फिर पुलिस को जानकारी दी और कार के पीछे चल दिया."
चश्मदीद ने बताया कि पीसीआर वालों को जब उसने मिलकर जानकारी दी तो उन्होंने उसकी बात को नजरअंदाज कर दिया.
'पुलिसवालों को बताया, किसी ने कार नहीं रोकी'
दीपक दहिया के मुताबिक रास्ते में उन्होंने 2 पीसीआर वैन देखी, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की. दहिया ने कहा कि बेगमपुर में उन्होंने तीसरी पीसीआर वैन में बैठे अधिकारियों को बताया कि लड़की की बॉडी जिस कार में फंसी थी वो आगे जा रही है लेकिन पुलिस ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया.
दीपक दहिया ने कहा कि कार में करीब 4-5 लोग सवार थे. और वो दो लोग थे, इसलिए उन्होंने कार सवार को रोकने की कोशिश नहीं की.
दीपक के मुताबिक बार-बार कोशिश के बाद भी जब पुलिस ने एक्शन नहीं लिया तो वो थक हार कर घर लौट आए.
अब इसमें कुछ सवाल हैं?
18-20 बार कॉल के बावजूद क्यों नहीं पहुंच पाई पुलिस?
पीसीआर को कार दिखाने के बाद भी पुलिस ने क्यों किया नजरअंदाज?
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