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"पिता को ढूंढती रहती है 4 साल की बेटी", कश्मीर में मारे गए हेड कांस्टेबल के घर पसरा मातम

Target Killing in Kashmir: पिछले तीन दिनों में घाटी में यह तीसरा आतंकवादी हमला है.

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Kashmir Head Constable Shot: “गुलाम का परिवार तबाह हो गया है. उनकी सात बेटियां हैं. सबसे छोटी बेटी महज चार साल की है. वह घर के आसपास अपने पिता को ढूंढती रहती है". कश्मीर में हेड कांस्टेबल गुलाम मोहम्मद डार की हत्या के एक दिन बाद बहनोई बशीर अहमद पर्रे ने द क्विंट से बातचीत में यह बताया.

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31 अक्टूबर को कश्मीर के बारामूला जिले में हेड कांस्टेबल गुलाम मोहम्मद डार की संदिग्ध आतंकियों ने कथित रूप से गोली मारकर हत्या कर दी थी. उनकी मौत के बाद से डार के घर में मातम पसर गया है.

गुलाम मोहम्मद डार 1996 में पुलिस फोर्स में शामिल हुए थे और पर्यटन पुलिस के एक विशेष अधिकारी के रूप में गुलमर्ग, अनंतनाग और पहलगाम सहित पूरे कश्मीर में कई स्थानों पर वे अपनी सेवा दे चुके थे. 52 साल के डार की पुलवामा में भी पोस्टिंग हुई थी.

पार्रे ने आगे कहा...

“उनकी 27 साल की सर्विस में, उनके खिलाफ कभी कोई शिकायत नहीं हुई. वे एक ईमानदार अधिकारी थे, जो हर किसी की मदद करते थे. वे बहुत मिलनसार थे और सभी के साथ उनके अच्छे संबंध थे.''

घाटी में ये तीसरा आतंकवादी हमला

पिछले तीन दिनों में घाटी में यह तीसरा आतंकवादी हमला है.

श्रीनगर के ईदगाह मैदान में रविवार को क्रिकेट खेलते समय एक ऑफ-ड्यूटी पुलिस इंस्पेक्टर मसरूर अहमद वानी को गोली मार दी गई. उनकी हालत गंभीर बनी हुई है और उनका श्रीनगर के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है.

इसके एक दिन बाद, उत्तर प्रदेश के उन्नाव के एक प्रवासी श्रमिक की पुलवामा में आतंकवादियों ने कथित तौर पर गोली मारकर हत्या कर दी गई.

कश्मीर जोन पुलिस ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा "आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर पुलिस के हेड कांस्टेबल गुलाम मोहम्मद डार पर बारामूला जिले के वेलू क्रालपोरा में उनके घर पर गोलीबारी की. घायल डार को पास के एक अस्पताल में ले जाया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया."

उन्होंने 'X' पर किए गए पोस्ट में लिखा...

"घायल पुलिसकर्मी ने दम तोड़ दिया और शहादत प्राप्त कर लिया. हम शहीद को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और इस महत्वपूर्ण समय में उनके परिवार के साथ खड़े हैं. इलाके की घेराबंदी कर दी गई है. सर्च ऑपरेशन जारी है."

पुलिस ने कहा कि सर्च ऑपरेशन के लिए इलाके की घेराबंदी कर दी गई है और पट्टन बारामूला पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई है.

'नमाज से पहले फायरिंग की आवाज सुनी, बेटे ने बताया गुलाम को गोली मारी गई'

डार को कथित तौर पर जब गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, उस भयावह दिन को याद करते हुए पैरे ने द क्विंट को बताया:

“शाम के लगभग 6:45 बजे थे. मैं नमाज पढ़ने जा रहा था, तभी हमने इलाके में गोलीबारी की आवाज सुनी. पांच गोलियां चलाई गईं. मैंने तुरंत अपने बेटे को हमारी दुकान से घर वापस आने के लिए कहा. वापस जाते समय उन्होंने मुझे फोन किया और कहा कि गुलाम चाचा अपने घर के बाहर खून से लथपथ पड़े हैं."

पैर्रे, डार के घर से मुश्किल से एक किलोमीटर की दूरी पर रहते हैं. उन्होंने कहा कि डार को क्रिकेट खेलना बहुत पसंद था और उसे कश्मीरी मांस और चावल खाने का शौकीन था.

परिवार ने उप राज्यपाल से की अपील

उन्होंने आगे अपील करते हुए कहा...

“वह नौ लोगों के परिवार में एकमात्र कमाने वाला सदस्य था. हम उप राज्यपाल (मनोज सिन्हा) से मामले में हस्तक्षेप करने और डार की बेटियों के रोजगार के रूप में परिवार को कुछ सहायता प्रदान करने का अनुरोध करते हैं."

टारगेट किलिंग में बढ़ोतरी

इन घटनाओं पर संज्ञान लेते हुए जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने "कायरतापूर्ण कृत्यों" की निंदा की. उन्होंने एक्स पर लिखा:

"कुछ ही दिनों में हम टारेगेट किलिंग्स में दुर्भाग्यपूर्ण बढ़ोतरी देख रहे हैं. मैं इनमें से प्रत्येक कायरतापूर्ण कृत्य की निंदा करती हूं. गुलाम मोहम्मद डार के परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं, जिन्हें आज तंगमर्ग में गोली मार दी गई."

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यह घटना उस दिन हुई, जब जम्मू-कश्मीर पुलिस में बदलाव हुआ, केंद्र शासित प्रदेश के खुफिया प्रमुख और 1991 बैच के आईपीएस अधिकारी आर.आर. स्वैन ने जम्मू-कश्मीर पुलिस के नए महानिदेशक के रूप में पदभार संभाला.

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी हेड कांस्टेबल डार की हत्या पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा...

“आज शाम एक आतंकवादी हमले में हेड कांस्टेबल गुलाम मोहम्मद डार की मौत के बारे में सुनकर गहरा दुख हुआ. उनकी मौत उस भयानक कीमत का एक संकेत है, जिसका जम्मू कश्मीर पुलिस कर्मियों ने क्षेत्र में आतंक के खिलाफ दशकों से चली आ रही लड़ाई में चुकाई है. मैं प्रार्थना करता हूं कि उन्हें जन्नत में जगह मिले और उनके प्रियजनों को इस कठिन समय में शक्ति मिले.”

2019 में जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा छीनने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद, प्रवासी श्रमिकों और गैर-मुस्लिम कर्मचारियों पर टारगेटेड अटैक के मामले बढ़ गए हैं.

2022 में 29 टारगेटेड अटैक

द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में कश्मीर में नागरिकों और गैर-स्थानीय मजदूरों पर 29 टारगेटेड अटैक हुए हैं, जबकि उसी साल आतंकवादियों ने घाटी में सुरक्षा बलों पर ग्रेनेड फायरिंग सहित 12 हमले किए.

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