मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले क्विंट ने की मध्य प्रदेश बीजेपी प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे से खास बातचीत.सहस्त्रबुद्धे ने मध्य प्रदेश में पिछले 15 साल में बीजेपी के कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाई है और कहा कि कांग्रेस लगातार उन पर इसलिए हमले कर रही है क्योंकि वो अभी सत्ता में नहीं है और इस वजह से भारी गुस्से में है.
मध्य प्रदेश में 28 नवंबर को 230 सीटों पर चुनाव होने हैं, माना जा रहा है कि ये चुनाव बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर है.
कांग्रेस के विज्ञापन को लेकर सहस्त्रबुद्धे ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा है,
‘बीजेपी बेवजह तीन बार चुनकर आई है’ ऐसा कोई कहेगा, तो मैं मानता हूं कि या तो ये भोलापन है या शरारत. उनका एक विज्ञापन चलता है कि ‘हमें तो गुस्सा आया है’. वाकई में उनका गुस्सा इस बात का है कि 15 साल लगातार जनता ने हमें सत्ता से दूर रखा.विनय सहस्त्रबुद्धे, बीजेपी प्रभारी, मध्य प्रदेश
चुनाव की गंभीरता को देखते हुए सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि पार्टी हर चुनाव को चुनौती मांगते हैं और वो हर चुनाव को उतनी ही गंभीरता से लड़ते हैं. अपने काम को लेकर सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि, 'विकास की राजनीति को आधार मानकर हमने काम किया है. अब जनता के बताने का इंतजार है'
मध्य प्रदेश में बीजेपी के कार्यकाल को 15 साल हो चुके हैं अपने कामों का डंका पिटते हुए उन्होंने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा है कि कांग्रेस को अब भी ये जानकारी नहीं है कि उनका नेता है कौन.
रणनीति तो तब होगी, जब नेतृत्व एक दिशा में सोचने वाला होगा. यहां तो धनपतियों, राजाओं, महराजाओं को सारी सत्ता के सूत्र देकर बैठे हैं. हर जिले में जाओ, हर क्षेत्र में जाओ, तो मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की अलग-अलग फसलें आती दिखाई देती हैं. ऐसी स्थिति में न उनके पास नेतृत्व है, न कहने के लिए कोई नीति है और उनकी नीयत के बारे में क्या कहना.विनय सहस्त्रबुद्धे, बीजेपी प्रभारी, मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत को लेकर सहस्त्रबुद्धे ने कहा है कि वो जीतकर आ रहे हैं, लेकिन आंकड़ों के खेल में जब तक ये सारा गणित, कौन किसके सामने है, ये सब तय नहीं होता. तब तक बताना उचित नहीं होगा.
विनय सहस्त्रबुद्धे ने कुल मिलाकर विश्वास जताते हुए कहा है कि मध्य प्रदेश में फिर एक बार बीजेपी की सरकार शिवराज सिंह के नेतृत्व में बनने जा रही है लेकिन वो कांग्रेस को चुनौती जरूर मानते हैं. अब देखना ये होगा कि मध्य प्रदेश पर बीजेपी के 15 साल का तख्ता पलट होता है या लोग अब भी बीजेपी का साथ देते हैं.
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