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VIDEO | ‘राष्ट्रोदय’ के बहाने RSS ने ताकत नापी है या 2019 की नब्ज?

एकता का मंत्र, दलित वोट पर नजर?

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नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे,

त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोऽहम्.

मेरठ के जागृति विहार में सजे भव्य मंच पर लगी भारत माता की विशाल तस्वीर के सामने खड़ा आठवीं कक्षा का छात्र अमित कुमार संघ की शाखाओं में गाई जाने वाली प्रार्थना गुनगुना रहा है. उसकी आंखें बंद हैं और दायां हाथ खास अंदाज में छाती पर रखा है. अमित ने हमें बताया:

मैं पिछले एक साल से शाखा जा रहा हूं. वहां जाने से मुझमें देशभक्ति की भावना बढ़ती है. लेकिन मैं मुस्लिम विरोधी नहीं हूं. सबको एक नजर से नहीं देखना चाहिए.
अमित कुमार, स्कूली छात्र

अमित उन लाखों स्वयंसेवकों में से एक है जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 14 जिलों से संघ के समागम ‘राष्ट्रोदय’ में शिरकत करने मेरठ पहुंचे हैं.

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एकता का मंत्र, दलितों पर नजर?

संघ के सबसे बड़े जमावड़े के लिए इस इलाके का चुनाव राजनीतिक नजरिये से काफी अहम है.

पिछले कुछ महीनों में पश्चिम यूपी में दलितों से जुड़ी खबरें सुर्खियों में रहीं. चाहे वो दलित उत्पीड़न की हों या दलित आंदोलनों की. पिछले साल हुई सहारनपुर हिंसा तो दलित बनाम सवर्ण ही थी. ऐसे में 2019 से पहले दलितों को अपने वोट बैंक का हिस्सा बनाने की बैचेनी बीजेपी में साफ दिखती है.

2014 के आमचुनावों में तो दलितों ने बीएसपी का साथ छोड़ कर बीजेपी को वोट दिया था लेकिन वो मोदी-लहर थी.

2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में दलित वापस अपनी ‘झंडाबरदार’ मायावती की बहुजन समाज पार्टी की तरफ खिसकते दिखे. लेकिन इन दिनों बीएसपी ढलान पर है दलितों को राष्ट्रवाद और हिंदूवाद की छतरी के लाकर बीजेपी की तरफ खींचने का बढ़िया मौका है.

तो क्या ‘राष्ट्रोदय’ उसी रणनीति का हिस्सा है?

ये भी देखें : तस्वीरों में | 2019 चुनावों से पहले RSS का सबसे बड़ा जमावड़ा

कार्यक्रम में पहुंचे संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मंच से कहा:

हर हिंदू मेरा भाई है. पंथ कोई हो, पूजा का तरीका कोई भी हो, जाति कोई भी हो, देवी-देवता कोई भी हो, कहीं का भी रहने वाला हो लेकिन हर हिंदू मेरा अपना भाई है.
मोहन भागवत, संघ प्रमुख

हालांकि स्वयंसेवकों को अपने सरसंघचालक के बयान में राजनीति नहीं दिखती. मेरठ के कारोबारी विनीत जैन ने क्विंट से कहा:

दलित तो वैसे भी हिंदू ही है. हमें इसमें राजनीति नहीं देखनी चाहिए. जैसा संघ प्रमुख ने कहा है, हम उन्हें अपने साथ लेकर चलने की पूरी कोशिश करेंगे.
विनीत जैन, कारोबारी

भागवत ने ‘कट्टरता’ का भी अपने अंदाज में समर्थन किया:

कट्टरता का मतलब कट्टर उदारता है, कट्टर अहिंसा है. दुनिया अच्छी चीजों को तभी मानती है जब उनके पीछे डंडा हो. देवता भी बकरे की बलि इसलिए मांगते हैं क्योंकि वो दुर्बल है.
मोहन भागवत, संघ प्रमुख
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क्विंट ने कार्यक्रम में पहुंचे युवा स्वयंसेवकों से गोरक्षा जैसे मुद्दों पर भी बात की. वो गोरक्षा के पक्ष में तो दिखे लेकिन हिंसा और गुंडागर्दी के एकदम खिलाफ. स्कूली छात्र तनिष्क बंसल ने कहा:

गोरक्षा होनी चाहिए लेकिन मैं अपने विचार किसी पर थोपे जाने के खिलाफ हूं.
तनिष्क बंसल, स्कूली छात्र

बजरंग दल से जुड़े आदेश ने कहा:

गोकशी के मामलों में भी हिंसा अपने हाथ में लेने के बजाए पुलिस और कानून की मदद लेनी चाहिए.
आदेश, छात्र

कुछ दिनों पहले तीन दिन में सेना बनाने का बयान देकर विवादों में घिरे संघ प्रमुख ने ये भी कहा:

एक जगह पर लाखों स्वयंसेवकों को इकट्ठा करके हमने शक्ति-प्रदर्शन नहीं किया बल्कि शक्ति नापी है.
मोहन भागवत, संघ प्रमुख

लेकिन मौजूदा माहौल में सवाल यही है कि संघ ने इस कार्यक्रम के बहाने वाकयी अपनी शक्ति नापी है या 2019 आमचुनाव की नब्ज?

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