वीडियो एडिटर: प्रज्ज्वल कुमार
वीडियो प्रोड्यूसर: मयंक चावला
बीते 30 अक्टूबर को गुजरात (Gujarat) के मोरबी शहर में हुए हादसे में मच्छु नदी पर बना 137 साल पुराना सस्पेंशन ब्रिज टूट (Morbi Cable Bridge accident) गया. इस हादसे में 56 बच्चों समेत 135 लोगों मारे गए. इस हादसे को देखकर मोरबी के लोगों को 1979 की त्रासदी की यादें ताजा हो गई होंगी. जब 11 अगस्त 1979 को इसी मच्छू नदी का डैम टूट गया था, और पूरा शहर श्मशान में तब्दील हो गया था.
मच्छू डैम फेलियर की भयानक याद
10 अगस्त 1979 को गुजरात के मोरबी में सामान्य से सात गुना ज्यादा बारिश हुई. इस तूफानी बारिश ने मच्छू नदी में उफान ला दिया. 11 अगस्त 1979 को अपनी पूर्ण क्षमता में चलते रहने के बाद 4KM लम्बा मच्छू डैम दरकने लगा और डैम की दीवारें टूट गईं.
दोपहर तक ऑल इंडिया रेडियो से स्थानीय लोगों को ऊंची जगहों पर जाने के निर्देश दिए गए लेकिन तब तक उफान मारते पानी में मोरबी के करीब का एक छोटा गांव लीलापर डूब चुका था.
चूंकि बाढ़ की चेतावनी एक आम बात थी. इसलिए, नदी से सटे इलाकों में लोगों ने ध्यान नहीं दिया. आसपास के गांव के लोग ऊंची जगहों पर नहीं गए उन्हें नहीं पता था क्या होने वाला है..
मोरबी के पास एक मंदिर में बाढ़ में 100 से ज्यादा लोग डूब गए. लोग सुरक्षित जगहों पर पहुंच पाते,तब तक बहुत देर हो चुकी थी, और गांव के गांव डूब गए.
इस त्रासदी में कथित तौर पर कई महिलाओं को खुद को बचाने के लिए अपने बच्चे पीछे छोड़ने पड़े. इस हादसे में करीब 2000 लोगों की मौत हो गई. आसपास के गांव की इमारतें तबाह हो गई,राशन तबाह हो गया. हादसे में बचे लोगों के रहने के लिए ना घर बचा और ना ही खाने के लिए राशन.
1985 में, केन्द्रीय जल आयोग के पूर्व चेयरमैन डॉ. वाय के मूर्ति की रिपोर्ट में दावा किया गया कि जल प्रवाह स्पिलवे क्षमता के दोगुने से अधिक था.
1989 में मच्छू डैम फिर से बनाया गया. इस बार मूल स्पिलवे क्षमता से 4 गुना बढ़ाकर.
मोरबी डैम त्रासदी गिनीज बुक ऑफ रिकार्ड्स में 'सबसे भयानक डैम फेलियर' के तौर पर दर्ज है.
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