ADVERTISEMENTREMOVE AD

दंगों के बावजूद मुजफ्फरनगर का ये स्कूल बना एकता की मिसाल

इन बच्चों के लिए धर्म मायने नहीं रखता   

Published
छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

मुजफ्फरनगर के दंगा पीड़ित बच्चों के लिए बना स्कूल एक मिसाल कायम कर रहा है. शुरुआत में ये सिर्फ मुस्लिम बच्चों के लिए था जो दंगा पीड़ित थे, लेकिन इस साल सर सईद नेशनल स्कूल ने 12 गैर-मुस्लमान बच्चों का एडमिशन किया है.

0

300 छात्र संख्या के इस स्कूल में न सिर्फ CCTV है बल्कि WiFi, कंप्यूटर लैब, लाइब्रेरी और मिनरल वॉटर डिस्पेंसर जैसी सुविधाएं भी हैं. स्कूल में 8 महिला टीचर हैं जो देश के अलग-अलग कोने से आती हैं, सुबह 7 बजे से दोपहर के 12:30 बजे तक पढ़ाती हैं.

यहां पर बच्चे जिस बैकग्राउंड से आते हैं उसमे काफी कुछ है बच्चों को सिखाने के लिए और वो मौका मैं खोना नहीं चाहती थी. मुझे जैसे ही मौका मिला मैने ले लिया काफी बच्चे हैं जो वीक है, उनको पढ़ाने में अच्छा लगता है उनको कुछ नहीं आता था, जैसे पहले उन्हें कुछ नहीं अाता थाऔर अब उन्हें काफी कुछ आ गया है.
रजिया नसीम, टीचर 

सुनील शर्मा ने अपने बच्चे का दाखिला, मुजफ्फरनगर में दंगों के पीड़ित बच्चों के लिए खोले गए स्कूल में कराया. जिसे खासतौर पर मुस्लिम बच्चों के लिए बनवाया गया था. उनका कहना है कि

जहां पढ़ाई अच्छी है वहीं पढ़ाओ चाहे वो स्कूल मुसलमान का हो या हिंदू का हो हमें इससे कुछ नहीं लेना-देना
सुनील कुमार शर्मा, पिता
ADVERTISEMENTREMOVE AD

दंगा पीड़ित बच्चों के साथ-साथ ऐसे बच्चों का भी खयाल रखा जता है जो पढ़ाई में कमजोर हैं और जिनका बेस काफी कमजोर है. स्कूल ऐसे बच्चों के लिए AICU (एकेडमिक ICU) क्लासेज चलाता है. जो स्कूल के बाद डेढ़ बजे के बाद दो घंटे चलती हैं, सुबह भी चलती हैं और इसमें बच्चों के सिर्फ बेस पर काम किया जाता है. ऑडियो-विजुअल के जरिए, सारे टीचर 8 से 10 बच्चों के बीच काम करते हैं.


(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×