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लद्दाख में एक साल से ‘लॉकडाउन’, बिन सैलानी ठप इकनॉमी

लद्दाख टूरिज्म इंडस्ट्री ठप, हो रहा करोड़ो का नुकसान: लद्दाखी  

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वीडियो एडिटर: मोहम्मद इब्राहिम

पूरे देश में लॉकडाउन का लंबा दौर चला और कुछ मायने में अब भी चल रहा है, लेकिन लद्दाख में तो जैसे लॉकडाउन लगने के पहले से लॉकडाउन था. करीब एक साल से. बाकी देश में ये खुल गया है लेकिन लद्दाख में नहीं. लद्दाखियों को आज भी सैलानियों का इंतजार है, जिनके बिना उनकी जिंदगी रुक सी गई है.

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होटल बंद, दुकानें बंद और सड़कें सुनसान. यहां अधिकतर बिजनेस टूरिज्म पर निर्भर करता है और COVID-19 महामारी के चलते यात्रा बंद है. इससे लद्दाख को काफी नुकसान हुआ है. लद्दाख में 50% से ज्यादा राजस्व पर्यटन से आता है. अब जब पर्यटन ही बंद है तो लद्दाख की इकनॉमी भी बंद है.

कई लोगों को ये नहीं पता है कि लद्दाख साल में सिर्फ 6 महीने ही ऑपरेशनल होता है. हमारे यहां काफी कड़ी सर्दी होती है. जिसके कारण हम कारोबार नहीं कर सकते. COVID-19 की वजह से गर्मी के मौसम में भी कारोबार पर काफी असर पड़ा हैयानी एक पूरा साल हो गया हमें लॉकडाउन में. ये हमारी बदकिस्मती है
स्टेंजीन पल्मोउद्यमी और फैशन डिजाइनर
पिछला साल टूरिज्म के लिहाज से काफी अच्छा था. लेकिन इस साल, तो टूरिज्म इंडस्ट्री ठप है. लद्दाख की टूरिज्म इंडस्ट्री पर काफी असर पड़ा है. पिछले साल सितंबर में काम बंद हुआ और अब जून आ गया है यानी 9 महीने से टूरिज्म से जुड़े लोगों के पास न काम है, न कमाई.
डेलेक नामग्याल, जनरल सेक्रेटरी, आल लद्दाख टूर ऑपरेटर्स एसो.

लद्दाख के ट्रेवल एजेंट देश-विदेश से सैलानियों को बुला रहे हैं. टूरिज्म इंडस्ट्री टैक्सी वालों, होटलों, हेल्पर और कैटरर को काम देती है. इसलिए बड़ी आबादी पर लॉकडाउन का असर पड़ा है.

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हमारा रेस्टोरेंट बंद है. हम यहां लद्दाखी खाना सर्व करते हैं और हम चाहते हैं कि लोग आएं और यहां के खाने का मजा लें. लेकिन इस वक्त इसे खोलने का फायदा नहीं क्योंकि टूरिस्ट नहीं हैं. इस साल हम लोग क्या करेंगे पता नहीं.
राधा, रेस्टोरेंट मालिक

ऑल लद्दाख टूर ऑपरेटर एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी डेलेक नामग्याल कहते हैं कि ''हम एक एसोसिएशन के तौर पर मिलजुलकर इस महामारी से उबरने की कोशिश कर रहे हैं. ये अस्तित्व का सवाल बन गया है. इस साल तो इंडस्ट्री नहीं उबर पाएगी. ये छोटे कारोबारियों के लिए बड़ी चुनौती है. फिर भी उम्मीद है कि चीजें आगे ठीक होंगी और अच्छे दिन आएंगी.

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