'न्याय मांगना अवैध है?' 'मोदी के अघोषित आपातकाल के खिलाफ,' 'धर्मनिरपेक्ष भारत की रक्षा में अपनी आवाज उठाएं' - ये कुछ ऐसे बैनर थे जो पत्रकार और एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ (Teesta Setalvad) को गुजरात क्राइम ब्रांच द्वारा गिरफ्तार किए जाने के एक दिन बाद सोमवार, 27 जून को मुंबई के दादर रेलवे स्टेशन पर लगे थे.
सीतलवाड़ के साथ-साथ संजीव राजेंद्र भट्ट और आरबी श्रीकुमार की गिरफ्तारी के विरोध में , ऑल इंडिया यूथ फेडरेशन (एआईवाईएफ) के झंडे लहराते हुए और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के बैनर लेकर सैकड़ों लोग स्टेशन के आसपास जमा हो गए.
द क्विंट से बात करते हुए पुलिस रिफॉर्म्स वॉच की संयोजक डॉल्फी डिसूजा ने कहा,
"पूरा मुद्दा जिस पर हमें गौर करने की जरूरत है वह है न्याय. पीड़ित खुद का बचाव करने के लिए किसी जगह पर नहीं हैं, एक जनभावना होनी चाहिए जो उस जिम्मेदारी को एक समय के लिए बेजुबानों की रक्षा करने के लिए एक बड़ा जोखिम ले, जैसे कि तीस्ता ने किया था. हमारी अपील है - यदि आप कानून की उचित प्रक्रिया चाहते हैं, तो प्रक्रिया को स्वयं दंड न बनाएं. यह महत्वपूर्ण है कि वे इन लोगों को रिहा करें और जांच करें कि उन्हें क्या करना है."
विरोध प्रदर्शन की कुछ झलकियां:
डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई), स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई), और सेंटर ऑफ ट्रेड यूनियन्स (सीटीयू) सोमवार को आंदोलन में शामिल होने वाले समूहों में शामिल थे.
पूरे स्टेशन पर ' शाह तेरी दादागिरी नहीं चलेगी ' और ' मोदी सरकार हाय है' के नारे गूंजे.
एक अन्य प्रदर्शनकारी कार्यकर्ता अमृता भट्टाचार्य ने कहा, "मैं यहां तीस्ता के साथ खड़े होने के लिए आई हूं. और मुझे लगता है कि आज हर भारतीय को ऐसा करने की जरूरत है."
तीस्ता सीतलवाड़ को शनिवार को मुंबई के जुहू स्थित उनके आवास से उठा लिया गया और उन्हें अहमदाबाद लाया गया, जहां से उन्हें अगले दिन गिरफ्तार कर लिया गया.
कोलकाता, बेंगलुरु में प्रदर्शन
रविवार को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने भी कोलकाता में एक नागरिक रैली का आयोजन किया था, जिसमें सीतलवाड़ की तत्काल रिहाई के लिए दबाव डाला गया था.
इस बीच बेंगलुरु में नागरिक समूहों और कार्यकर्ताओं ने भी गिरफ्तारी का विरोध करने के लिए सड़कों पर उतर आए.
सीतलवाड़ की गिरफ्तारी का आधार
संजीव राजेंद्र भट्ट और आरबी श्रीकुमार के साथ सीतलवाड़ पर जालसाजी, सबूत गढ़ने और आपराधिक साजिश का आरोप लगाया गया है.
अहमदाबाद अपराध शाखा में दर्ज प्राथमिकी सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2002 के गुजरात दंगों के मामले में एसआईटी द्वारा प्रस्तुत अंतिम रिपोर्ट को स्वीकार करने के मजिस्ट्रेट के फैसले को बरकरार रखने के बाद आई, जिसमें तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को क्लीन चिट दी गई थी.
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