ADVERTISEMENT

बास्केटबॉल गांवः जहां सपनों का पीछा कर रहे लड़के-लड़कियां, ये गुरू बने जरिया

'बास्केटबॉल गांव' के नाम से फेमस गेझा गांव की हर गली में एक बास्केटबॉल खिलाड़ी रहता है.

रोज का डोज

निडर, सच्ची, और असरदार खबरों के लिए

By subscribing you agree to our Privacy Policy

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा (Noida) के गेझा गांव की हर गली में एक बास्केटबॉल खिलाड़ी रहता है, जो अपने सपनों का पीछा कर रहे हैं. गरीब परिवारों के बच्चे बास्केटबॉल से अपना जीवन बदल रहे हैं. 'बास्केटबॉल गांव' के नाम से गेझा फेमस हो चुका है.

ADVERTISEMENT

आज Teachers Day पर मिलिए ऐसे गुरू जी से जिन्होंने गांव में लड़कियों को बास्केटबॉल खेलन की अच्छी लत लगाई.

बास्केटबॉल खिलाड़ी प्रद्युत वोलेटी और इनकी ड्रिबल एकेडमी ने गेझा को 'बास्केटबॉल गांव' बना दिया. 2016 में गेझा में अधूरे कोर्ट और बांस की दो बल्लियों के साथ ड्रिबल एकेडमी फाउंडेशन शुरू हुआ था.ये एकेडमी अब तक 8 गांवों के 3000 बच्चों को प्रशिक्षित कर चुकी है. एकेडमी में हर रोज दोपहर 3 से रात 8 बजे के बीच कई बैच में गेझा के 600 बच्चों को ट्रेनिंग दी जाती है .

प्रद्युत वोलेटी कहते हैं, "मैं अपना पूरा जीवन एक बास्केटबॉल खिलाड़ी रहा हूं, यही मेरा पहला प्यार रहा है गांवों के बच्चों के लिए संगठित खेल सीखने की सुविधाएं नहीं होती हैं. उनके पास जरूरी चीजें नहीं होती हैं बस यहीं से ड्रिबल एकेडमी का आइडिया आया ताकि हम बास्केटबॉल के खेल को गांवों तक ले जा सकें और यहां के बच्चों को एक मौका दे सकें. उन्होंने कहा कि शुरू में मां-बाप बच्चों को खेलों के लिए भेजने में हिचकिचाते थे, केवल दो बच्चों के साथ हमने शरुआत की थी. लेकिन हम लोगों को समझाते रहे और आग्रह करते रहे इस तरह बच्चे बढ़ते गए और फिर एक साल में ही 150 बच्चे बास्केटबॉल खेलने लगे."

"ये बच्चे काफी संघर्षशील परिवारों से आते हैं इनमें से कुछ टूटे घरों में रहते हैं लेकिन आज वो यहां हैं, कड़ी मेहनत कर रहे हैं बेस्ट से बेस्ट हासिल करने का इरादा रखते हैं और हम भी इनसे प्रेरित होते हैं इनके लिए और ज्यादा करने के लिए प्रेरित होते हैं"
प्रद्युत वोलेटी, फाउंडर, ड्रिबल एकेडमी
ADVERTISEMENT

गेझा गांव में सिर्फ लड़के ही नहीं बल्कि यहां की लड़कियां भी खेल में आगे आ रही हैं. उर्मिला काजल सिंह 2016 में एकेडमी में बास्केटबॉल खेलने आई थीं, जो अब यहां एक कोच बन चुकी हैं.

"मैंने प्रद्युत वोलेटी सर जैसे कोच जीवन में नहीं देखे, वो कभी गिवअप नहीं कहते हैं. मुझे उनकी ये खूबी सबसे अच्छी लगी. मैं भी जीवन में कभी गिवअप नहीं करुंगी."
उर्मिला काजल सिंह

2018 से ड्रिबल एकेडमी में खेल रही सोनाली कहती हैं," शुरू में लोग कहते थे कि लड़कियां घर का काम करती हैं ,खेलती नहीं हैं . इस गांव में कौन खेल रहा है जो तुम खेलने जाओगी. लेकिन, अब धीरे-धीरे लोगों का माइंडसेट चेंज हुआ और सब सपोर्ट करते हैं.

ADVERTISEMENT

एकेडमी के जरिए कई बच्चों को स्कूल-कॉलेज में मिली स्कॉलरशिप

"मेरा बैकग्राउंड इतना अच्छा नहीं था कि नोएडा के टॉप स्कूलों में पढ़ पाती. ड्रिबल एकेडमी की मदद से ही मुझे उतने बड़े स्कूल में स्कॉलरशिप मिली और अब वहां पढ़ रही हूं."
सोनाली, 2018 से ड्रिबल एकेडमी में.
गेझा के दो लड़के ओरनाल्डो में NBA वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.

प्रद्युत वोलेटी कहते हैं, "सरकारी स्कूलों में या कम फीस वाले निजी स्कूलों में शिक्षा का स्तर ठीक नहीं होता है. ड्रिबल एकेडमी में हमारा एक मकसद इस फर्क को कम करना भी है. हमारा अपना एक डिजिटल लिट्रेसी सेंटर भी है. और हम वहां बच्चों को भरपूर शिक्षा दे रहे हैं ऐसी चीजें सिखा रहे हैं जो क्लासरूम में नहीं बताई जाती हैं. जैसे आर्मी कैसे ज्वाइन करें, सिविल सर्विसेज के लिए कैसे तैयारी करें, ऐसी कौनसी परीक्षाएं हैं जिनके लिए उन्हें तैयारी करनी चाहिए."

"हमने अब बच्चों के साथ इस तरह का रिश्ता बना लिया है कि अगर उन्हें कोई भी समस्या है तो वो हमसे बात करते हैं हम यहां काउंसलर, मेंटल हेल्थ थेरेपिस्ट को बुलाते हैं ताकि वो बच्चों की मदद करें"
प्रद्युत वोलेटी, फाउंडर, ड्रिबल एकेडमी
ADVERTISEMENT

प्रद्युत वोलेटी का 2030 तक लक्ष्य ?

क्विंट से प्रद्युत वोलेटी कहते हैं, "हमारा प्लान सिम्पल है: 2030 तक 100 गांव हम 1 लाख बच्चों तक पहुंचना चाहते हैं हम उम्मीद कर रहे हैं कि ज्यादा से ज्यादा, कंपनियां, ट्रस्ट और स्कूल हमारा साथ दें, हमारे साथ पार्टनरशिप करें और समझें कि ये बच्चे भी हर स्तर पर बेहतर करने के लिए एक समान अवसर के हकदार हैं. क्योंकि, इस खेल को आसानी से गलियों तक ले जाया जा सकता है. इसके लिए बहुत ज्यादा खर्च नहीं चाहिए. बहुत से उपकरणों की जरूरत नहीं आपको बस एक हूप और बास्केटबॉल चाहिए"

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×