क्या 1947 में भारत को जो आजादी मिली थी वो सो कॉल्ड यानी तथाकथित आजादी थी? या वो आजादी थी ही नहीं?
क्या 2014 से पहले तक हिंदुओं की भारत में अपनी पहचान नहीं थी और अब जाकर पहचान मिल रही है?
दरअसल, ये सवाल इसलिए क्योंकि एक्टर विक्रांत मैसी 12वीं फेल फिल्म से नाम कमाने के बाद अब 2002 के गोधरा कांड पर आधारित द साबरमती रिपोर्ट नाम की फिल्म लेकर आए हैं. फिल्म के ट्रेलर में विक्रांत गोधरा का 'सच' छिपाने के नाम पर नाराजगी जाहिर कर रहे हैं, लेकिन फिल्म के प्रमोशन के लिए दिए अलग-अलग इंटरव्यू में कई सच को ही बदल रहे हैं.
इस वीडियो में हम विक्रांत मैसी के दावों की पड़ताल करेंगे. साथ ही आपको ये भी बताएंगे कि द साबरमती रिपोर्ट फिल्म बनाने से पहले तक विक्रांत यूपीएससी के एस्पीरेंट टाइप जागरुक थे. फिर अचानक उनका 'ह्रदय परिवर्तन' हुआ. ऐसा परिवर्तन कि अब उन्हें देश में सब चंगा सी लग रहा है. इसलिए हम पूछ रहे हैं जनाब ऐसे कैसे?
नेता हो या फिल्मी एक्टर. अगर फेक न्यूज कोई भी फैलाएगा तो हम उसकी पड़ताल करेंगे और आपको सच से रूबरू कराएंगे. और सच का पता लगाने के लिए हमें संसाधन की जरूरत है और इसलिए आपका साथ चाहिए. क्विंट के मेंबर बनिए. यूट्यूब पर क्विंट हिंदी के चैनल को सब्सक्राइब भी कीजिए.
अब बात विक्रांत मैसी की. प्रोड्यूसर शोभा और एकता कपूर की फिल्म द साबरमती रिपोर्ट में विक्रांत मैसी लीड रोल में हैं. 27 फरवरी 2002 को 59 लोगों की मौत और गोधरा कांड से जुड़ा सच बताने का दावा है. इसी को लेकर विक्रांत और उनके साथी एक्टर अलग-अलग जगह फिल्म प्रमोशन के लिए इंटरव्यू दे रहे हैं.
इसी प्रमोशन के लिए विक्रांत, टीवी एंकर रहे सुशांत सिन्हा के पॉडकास्ट में शामिल हुए, इसी दौरान विक्रांत ने कहा,
"मुगल आए, डच आए, फ्रांसीसी आए फिर अंग्रेज आए.. सैकड़ों सालों के जुल्म के बाद हमें तथाकथित आजादी मिली, लेकिन क्या ये वाकई आजादी थी? कॉलोनियल हैंगओवर जो वो छोड़कर गए, उसी में हम लग गए. मेरा ये मानना है कि आज जो हिंदू है अब उसे फाइनली वो जगह मिली है जहां वो अपनी पहचान की मांग रख रहा है अपने ही देश में.."
आजादी वाले बयान पर विक्रांत मैसी बीजेपी सांसद कंगना रनौत की याद दिला रहे हैं.. कंगना ने एक इंटरव्यू में कहा था - 'असली आजादी हमें 2014 में मिली, 1947 में तो भीख मिली थी.'
चलिए अब आपको भारत की सो कॉल्ड आजादी की कहानी बताते हैं.
7 मार्च 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिक्शनरी ऑफ मार्टर्स के आखिरी पार्ट को लॉन्च किया. डिक्शनरी ऑफ मार्टर्स का मतलब है वो डिक्शनरी जिसमें साल 1857 में हुए पहले विद्रोह से लेकर 1947 में भारत को आजादी मिलने तक जो लोग शहीद हुए उनके नाम दर्ज है.
पांच पार्ट में छपी इस डिक्शनरी में 13,500 शहीदों का ब्यौरा है. 1857 की लड़ाई की 150वीं सालगिरह यानी साल 2009 में संस्कृति मंत्रालय ने इस डिक्शनरी को बनाने का काम शुरू किया था. पहले 3 पार्ट 2011 से लेकर 2014 के बीच आए यानी कांग्रेस की सरकार के वक्त और बाकी दो पार्ट मोदी सरकार में आए.
अब कोई विक्रांत मैसी से पूछे कि सो कॉल्ड आजादी के लिए 13500 लोगों ने फिर क्यों अपनी जान दी. यही नहीं विक्रांत ने आगे कहा कि आज जो हिंदू है अब उसे फाइनली वो जगह मिली है जहां वो अपनी पहचान की मांग रख रहा है अपने ही देश में.
अब जरा विक्रांत बताएं कि संविधान बनाने से लेकर इस देश के प्रधानमंत्रियों की लिस्ट में क्या हिंदू नहीं थे, उन्हें पहचान नहीं मिली थी? मोहनदास करमचंद गांधी कौन थे, उनका धर्म क्या था? विवेकानंद से लेकर सरदार पटेल, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, नेहरू, अटल बिहारी वाजपेयी किस धर्म के मानने वाले थे? क्या ये किसी पहचान की मोहताज थे?
न्यूज 24 को दिए एक इंटरव्यू में जब एकंर मानक गुप्ता ने सवाल किया कि क्या गोधरा कांड के बाद जो दंगे हुए उसमें भी सच छिपाने की कोशिश हुई? तब विक्रांत मैसी कहते हैं- हां.. मिसइंफॉर्मेशन बहुत थी. आंकड़ों को लेकर, कारण को लेकर..
एंकर ने पूछा कि गुजरात दंगे को एंटी मुस्लिम दंगा बताया गया. बहुत से लोग कहते हैं कि मुस्लिमों के खिलाफ था, लेकिन बाद में जो लोग मरे थे, घायल हुए थे. उनका आंकड़ा आया.दोनों तरफ लोग मरे थे और घायल भी हुए थे. आपको लगता है यही सच छिपाया गया? एंटी मुस्लिम बताया गया. जबकि नुकसान दोनों तरफ हुआ.
विक्रांत जवाब देते हैं- सर ज्यादा आवाज तो यही थी. लेकिन जब तक आंकड़े हाथ में आए तबतक बहुत देर हो चुकी थी.
मुझे नहीं पता कि विक्रांत की रिसर्च में कौन सा डेटा हाथ लगा था. लेकिन उन्हें बता दूं कि 11 मई 2005 को उस वक्त के गृह राज्य मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने राज्यसभा में एक आधिकारिक रिपोर्ट में बताया था कि 2002 दंगे में 790 मुसलमान और 254 हिंदू मारे गए थे. 223 लोग लापता हो गए और 2500 घायल हुए थे.
मौत ही नहीं लोगों के करोड़ों रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ था. सैकड़ों लोग बेघर हुए थे. जो कभी फिर अपने घर नहीं लौटे.
क्या गोधरा कांड पर विक्रांत मैसी की द साबरमती रिपोर्ट से पहले कोई दूसरी फिल्म नहीं बनी थी?
विक्रांत मैसी अपने अलग-अलग इंटरव्यू में कह रहे हैं कि गुजरात दंगे पर चर्चा होती है लेकिन जिसकी वजह से गुजरात दंगा हुआ उस गोधरा कांड पर उतनी चर्चा नहीं हुई. फिल्में नहीं बनी. हालांकि विक्रांत मैसी ने ये नहीं बताया कि इनकी फिल्म से ठीक पहले 19 जुलाई 2024 को ही एक फिल्म आई थी. Accident or Conspiracy: Godhra. रणवीर शौरी इस फिल्म में लीड रोल में थे. हालांकि ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर पिट गई थी. ऐसे में सवाल है कि गोधरा पर बनी एक फिल्म के फ्लॉप की कहानी से सीख लेकर क्या विक्रांत मैसी बहुसंख्यक हिंदुओं को सिनेमाघरों में लाना चाह रहे हैं?
विक्रांत मैसी को ये भी जानना चाहिए कि गुजरात दंगे पर बनी फिल्म परजानिया को बैन कर दिया गया था. गुजरात दंगों से जुड़ी नंदिता दास की फिल्म फिराक भी सिनेमा घरों में जगह पाने के लिए जद्दोजेहद करती रही.
पॉलिटिकल फिल्म पर पॉलिटिकल सवाल न हो की अपील करने वाले विक्रांत मैसी से जब एक इंटरव्यू में पूछा गया कि पहले बीजेपी क्रिटिकल से अब आप पर आरोप लग रहा है बीजेपी फ्रेंडली हो गए. तब विक्रांत कहते हैं, "जो चीजें मुझे बुरी लगती थीं वो असल में बुरी है नहीं. लोग कहते हैं मुसलमान खतरे में है. कोई खतरे में नहीं है, सब सही चल रहा है."
सब इतना सही चल रहा है कि साल 2024 में हेट क्राइम की 56 घटनाएं हुई हैं. एक और जरूरी बात- देश में बढ़ रहे हेट क्राइम की जानकारी आपको क्विंट के अनकवरिंग हेट पेज पर बने हेट ट्रैकर से मिल जाएगा. इसलिए कहता हूं क्विंट के मेंबर बनें ताकि नफरत के खिलाफ आवाज बुलंद हो.
हेट क्राइम की बड़ी घटनाएं
विक्रांत मैसी, मुंबई में रहते हैं, वहीं पले बढ़ें हैं, तो शायद उनकी नजर इस स्टोरी पर भी गई होगी.
हाजी अशरफ अली नाम के एक बुजुर्ग को महाराष्ट्र में ट्रेन में पिटाई. हाजी अशरफ एक डिब्बे में मीट लेकर जा रहे थे.
महाराष्ट्र से BJP विधायक नितेश राणे कहते हैं, "मस्जिद में घुस कर चुन चुनकर मारेंगे."
31 जुलाई 2023 को जयपुर-मुंबई सेंट्रल सुपरफास्ट एक्सप्रेस में रेलवे सुरक्षा बल (RPF) के एक कॉन्स्टेबल चेतन सिंह चौधरी ने चार लोगों की कथित तौर पर गोली मारकर हत्या कर दी थी. जिसमें से तीन मुसलमान थे. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कॉन्स्टेबल चेतनसिंह चौधरी ने बुर्का पहनी एक महिला यात्री से जबरन 'जय माता दी' बुलवाया था.
तेलंगाना में बीजेपी विधायक टी राजा मुसलमानों के खिलाफ अपशब्द बोल रहे हैं. धमकी दे रहे हैं.
बुलडोजर एक्शन, मॉब लिंचिंग, मुसलमानों को किराए से लेकर खरीदने के लिए मकान नहीं मिलना, मुसलमान सब्जी वाले से लेकर फेरी वालों पर हमले तो कभी आर्थिक बहिष्कार का ऐलान. फ्लाइट से लेकर ट्रेन में भजन और धार्मिक नारे लग रहे हैं, लेकिन वहीं कोई नमाज पढ़ ले तो उसे कानूनी कार्रवाई से लेकर नफरत का शिकार होना पड़ता है.
मैसी बताएं. इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद भी क्या आपको लगता है कि भारत में किसी को खतरा नहीं है?
सब एक समान
हालांकि विक्रांत मैसी की कई बातों से मैं सहमत भी हूं. विक्रांत कहते हैं कि हम हिंदू की जान या मुसलमान की जान को कैटेग्राइज न करें. जान जिसकी भी हो उसकी वैल्यू हो. उस एक इंसान की और उस 59 लोगों की भी. बात सही है. जब हम हर जिंदगी की वैल्यू करेंगे तब ही भारत में किसी को खतरा नहीं होगा. आप किसी नेता को पसंद कर सकते हैं, आपकी विचारधारा बदल सकती है. आप पीएम मोदी के शपथ ग्रहण में जा सकते हैं. सरकार की तारीफ कर सकते हैं. लेकिन सच को छिपा नहीं सकते.
भारत की आजादी सो कॉल्ड नहीं थी. और न ही हिंदुओ को अचानक उनकी पहचान मिली है. बात बस इतनी सी है कि धर्म के रथ पर सवार होकर कोई वोट तो कोई फिल्मी टिकट बेचेगा और सच से मुंह फेरेगा तो हम पूछेंगे जनाब ऐसे कैसे?
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)