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MSP पर बिक्री के सरकारी दावे की किसानों ने खोली पोल

लखीमपुर में किसानों को नहीं मिल पा रही फसल की सही कीमत

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19 नवंबर को जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया तो साथ ही साथ किसानों को ये वादा भी किया था कि उनकी फसलें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदी जाएगी. अपनी चुनावी यात्रा के दौरान क्विंट लखीमपुर पहुंचा. लखीमपुर में चौथे चरण में विधानसभा चुनावों के लिए मतदान होना है. यहां हमने किसानों से बात कर उनके मुद्दे जानने की कोशिश की.

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अक्टूबर 2021 में लखीमपुर खीरी की उपज मंडी में एक किसान ने MSP पर बिक्री नहीं होने के कारण अपनी फसल में आग लगा दी थी. आज भी यहां किसानों को समय पर खाद नहीं मिल पा रहा न ही MSP पर फसल की बिक्री हो रही है.

“मंडी जाते हैं तो कहते हैं एक हफ्ता लगेगा, दो हफ्ते लगेंगे. यहां रोक दीजिए फिर बात-बतोल होगी. इतना किसी के पास समय नहीं होता है. चार-चार दिन ट्रॉलियां खड़ी रहती हैं, कोई हाथ तक नहीं लगाता. तो इस तरह खरीद बिक्री होगी तो कौन किसान अपनी फसल बेच पाएगा? इसी के चक्कर में किसान सोचता है बाजार में बेच दें या मील में. लेकिन वहां दाम कम मिलता है.
गयासुद्दीन (किसान)
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फसल के कम दामों से नाराज हैं किसान

किसानों से बात-चीत कर पता चला मंडी और बाजार में बिचौलियों की सक्रियता से भी उन्हें काफी परेशानी होती है. उन्हें उनकी फसलों का दाम भी समय पर नहीं मिलता. जबकि सरकार का दावा था कि गन्ने का भुगतान 14 दिनों के अन्दर हो जाता है.

“पिछले साल का पैसा अब मिला है. इस साल का पैसा आ ही नहीं रहा. कब आएगा पता नहीं! 14 दिन में अगर मिल जाए तो किसान मस्त रहे.”
सर्वेश कुमार वर्मा (किसान)
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विधायक का दावा “पहले से बेहतर है स्थिति”

“मैं भी किसान हूं और बड़ा किसान हूँ. पूर्ववर्ती सरकारों ने जिस तरह गेहूं और धान की खरीद में धांधली की थी, उसको सुधारने में थोडा सा समय लगा. गन्ने के मामले को लीजिए. पहले मीलों के जरिए जो गन्ना माफिया थे, उन्हें ही मीलों की पर्ची मिल पति थी, और आज हर काश्तकार को ऑनलाइन प्रक्रिया के ज़रिए पर्ची मिल रही है...”
योगेश वर्मा, बीजेपी विधायक
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हालांकि जिन किसानों से हमने बातचीत की सभी का कहना है सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था. लेकिन फसल की सही कीमत ही नहीं मिल पा रही है.

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