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ममता Vs गर्वनर- कोरोना से लड़ने के बजाय आपस में ही क्यों लड़ रहे?

ममता बनर्जी और गर्वनर धनखड़ के बीच चल रहा है लेटर वॉर

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अभी लॉकडाउन के समय हमें और आपको भले ही चिट्ठियां नहीं आ रही होंगी, लेकिन दो लोगों को को बहुत सारी आ रही हैं. ये हैं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और गवर्नर जगदीप धनखड़ दोनों के बीच चिट्ठियों की जंग लोकल न्यूज की सुर्खियों में कई हफ्तों से है. पिछले कई दिनों से राज्य के ये दो टॉप ऑफिस चिट्ठियों, ट्विटर और यहां तक कि एसएमएस का फी इस्तेमाल करके एक दूसरे से दो-दो हाथ कर रहे हैं.

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सच बताएं तो पहले-पहले ये तू-तू, मैं-मैं काफी इंटरटेनिंग लग रहा था. लेकिन अब थोड़ा ज्यादा हो रहा है. हालांकि धनखड़ साहब और ममता दीदी के बीच रिश्ते कभी अच्छे नहीं थे. लेकिन इन चिट्ठियों की जंग ने उनमें और खटास घोल दी है.

ये चिट्ठियों की जंग वैसे 20 अप्रैल को शुरू हुई. जब सोशल मीडिया पर ममता की कोविड-19 तैयारियों की जमकर आलोचना कर चुके गवर्नर ने उन्हें एक दो पन्नों की चिट्ठी भेजी.
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चिट्ठी में गवर्नर ने मुख्यमंत्री को दोनों के बीच गतिरोध खत्म करने और काम करने के मोड में लाने को कहा था, ताकि राज्य में कोरोना की हालत को सही तरीके से संभाला जा सके.

टेस्टिंग किट्स और पीडीएस सिस्टम में कमियों के बारे में जिक्र करते हुए राज्यपाल धनखड़ ने ममता से बोला कि वो उनसे इन जरूरी मुद्दों पर चर्चा के लिए कुछ वक्त निकालें. इस लंबी सी चिट्ठी के जवाब में ममता ने एक तीन लाइन का जवाब भेजा. जिसे देखकर उस दोस्त की याद आ गई जो 100 शब्दों के वॉट्सऐप मैसेज पर सिर्फ 'K' बोलकर रिप्लाई कर देता है. मुख्यमंत्री ने लिखा,

“मैं 20 अप्रैल की चिट्ठी के लिए आपका शुक्रिया अदा करती हूं. आपको जाहिर तौर पर ये सुनकर अच्छा लगेगा कि राज्य की पूरी मशीनरी कोरोना महामारी से लड़ने में जुटी है.”

लेकिन ये जवाब धनखड़ साहब को लगता है पसंद नहीं आया और उन्होंने ममता दीदी को कुछ एसएसएस भेजे. से सारे एसएसएस ममता ने गवर्नर का नाम लेत हुए अपनी अगली चिट्ठी में सार्वजनिक किए. 7 पन्नों की इस चिट्ठी ने पिछली चिट्ठी के छोटे होने की कमी को पूरा कर दिया.

जहां ये जानना जरूरी है कि पश्चिम बंगाल गवर्नर ने अब तक कोरोना के डेटा को लेकर ऐसा एक भी डॉक्युमेंट जारी नहीं किया है, जो इतने पन्नों का हो. ये 7 पन्नों का लेटर लिखते हुए लगता है कि पीछे बैकग्राउंड में गाना चल रहा था - आ देखें जरा किसमें कितना है दम.

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मतलब ममता दीदी ने कुछ ऐसे लाइन लिखी जैसे कि, "लगता है आप भूल गए हैं कि मैं स्वाभिमानी राज्य की चुनी हुई मुख्यमंत्री हूं. आप शायद ये भी भूल गए हैं कि आप नॉमिनेटेड गवर्नर हैं."

इसके बाद अंबेडकर और सरकारिया कमीशन के कुछ भारी भरकम कोट लिखने के बाद सीएम ममता ने ये कहते हुए अपनी चिट्ठी को खत्म किया कि,

“वो नहीं बल्कि गर्वनर साहब खुले तौर पर संवैधानिक धर्म का उल्लंघन कर रहे हैं.” इसी तरह चिट्ठियों का ये सिलसिला चलता रहा.

लेकिन धनखड़ साहब, ममता दीदी- हमें पता है लॉकडाउन चल रहा है. हम सभी अलग-अलग शौक आजमा रहे हैं. अगर आपको भी चिट्ठी लिखने को अपना शौक बनाना है तो कृपा करके एक दूसरे के अलावा किसी और को भी चिट्ठी लिखिए. क्योंकि हम एक हेल्थ इमरजेंसी में हैं और इस समय आप दोनों के ईगो की लड़ाई से किसी को भी लेना देना नहीं है.

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