तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों के साथ मारपीट का फेक वीडियो पोस्ट करने के आरोप में यूट्यूबर मनीष कश्यप (Youtuber Manish Kashyap) को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. ऐसा पहली बार नहीं है जब मनीष विवादों में फंसा है. अपने वीडियो को लेकर कई बार सुर्खियों में आ चुका है. लेकिन कौन है मनीष कश्यप उर्फ त्रिपुरारी कुमार तिवारी जो आज देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है, जिसके एक वीडियो ने दो राज्यों की सरकारों के कान खड़े दिए?
कौन है मनीष कश्यप?
मनीष कश्यप के विवादों पर बात करने से पहले आपको बताते हैं कि वो है कौन? 9 मार्च 1991 को बिहार के पश्चिम चंपारण के डुमरी महनवा गांव में जन्में मनीष कश्यप का असली नाम त्रिपुरारी कुमार तिवारी है. वो खुद को 'सन ऑफ बिहार' कहता है. उसने 2016 में पुणे से इंजीनियरिंग की है. इसके बाद से वो बिहार आ गया.
मनीष ने 2018 में 'सच तक न्यूज' नाम से अपना यूट्यूब चैनल शुरू किया. इसके जरिए उसने रिपोर्टिंग शुरू की. पहले वह सरकार की बुनियादी सेवाओं में खामियों को लेकर खबरें दिखाता था. गांव के छोटे-छोट मुद्दों को उठाता था. जैसे-जैसे उसकी लोकप्रियता बढ़ती गई, उस पर प्रोपेगेंडा चलाने का आरोप भी लगता रहा. कई लोगों का मानना है कि यूट्यूब चलाने के पीछे उसका राजनीतिक एजेंडा है.
मनीष ने 2020 में बिहार की चनपटिया विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था लेकिन वो हार गया था. उसे कुल 9,239 वोट मिले थे. बीजेपी और कांग्रेस प्रत्याशी के बाद सबसे अधिक वोट मनीष कश्यप को ही मिला था.
मनीष कश्यप की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि फेसबुक पर उसके 40 लाख फॉलोअर्स हैं. यूट्यूब पर 'सच तक न्यूज' के 64 लाख फॉलोअर्स हैं. ट्विटर पर मनीष कश्यप के 72 हजार से ज्यादा फॉलोअर्स हैं. हालांकि, उसका ट्विटर अकाउंट सस्पेंड कर दिया गया है.
मनीष कश्यप की बड़े लोगों के साथ तस्वीर भी सोशल मीडिया पर मौजूद है.
विवादों से पुराना नाता
चलिए अब आपको मनीष कश्यप से जुड़े विवादों के बारे में बताते हैं. मनीष कश्यप चर्चा में तब आया जब पिछले साल उसने गुरुग्राम के एक मॉल में हुई CBI की छापेमारी को तेजस्वी यादव का बताया. बाद में तेजस्वी यादव ने मीडिया के सामने आकर खुद इसकी सच्चाई बताई. इसके बाद से मनीष लगाातर तेजस्वी पर हमलावर है. हाल में हुई लालू यादव परिवार पर सीबीआई की रेड पर मनीष ने तेजस्वी को आड़े हाथों लिया था.
मनीष कश्यप के खिलाफ 10 मामले दर्ज हैं, जिसमें हत्या का प्रयास, पुलिस पर हमला, संप्रदायिक पोस्ट और गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है. ये केस बेतिया, पटना और तमिलनाडु में दर्ज हुए हैं.
2019 में पटना में दर्ज एक मामले में मनीष को जेल भी जाना पड़ा था. वहीं 2021 में पश्चिमी चंपारण के मझौलिया थाना में दर्ज मामले में हाई कोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के बाद पुलिस ने 18 मार्च को कुर्की जब्ती की कार्रवाई की है. वहीं पांच मामलों में चार्जशीट दाखिल है.
दरअसल, मनीष के कई वीडियो विवादित रहे हैं. उस पर आरोप है कि वो स्क्रिप्टेड तरीके से चीजों को अपने यूट्यूब पर पेश करता है. हालांकि, मनीष इन आरोपों को खारिज करता रहा है.
गलत ट्वीट कर फंसा मनीष कश्यप
मनीष कश्यप ने 8 मार्च को एक ट्वीट किया था. इस ट्वीट में उसने कुछ तस्वीरें शेयर कर तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों के साथ मारपीट का दावा किया था. इसके साथ ही डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर भी निशाना साधा था. हालांकि, क्विंट कि वेबकूफ टीम ने जब उन तस्वीरों की पड़ताल की तो वो फेक निकले.
9 मार्च 2023 को क्विंट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, वीडियो का जो स्क्रिनशॉट मनीष कश्यप ने शेयर किया था वह काल्पनिक था. उस वीडियो को 'मनोरंजन के लिए बनाया गया' था. तमिलनाडु पुलिस ने भी वीडियो को स्क्रिप्टेड बताया था.
क्विंट हिंदी से बातचीत में वेब जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष आनंद कौशल ने कहा कि,
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि, भारत सरकार द्वारा न्यूज पोर्टलों और ओटीटी प्लैटफार्म्स अथवा यू ट्यूब के लिए एक गाइडलाइन जारी की गई है जिसके तहत सभी कंटेंट क्रिएटर एवं यू ट्यूबर्स को अपनी सभी सूचनाएं केंद्र सरकार से साझा करनी है और किसी भी स्वनियामक संस्था मतलब एसआरबी से जुड़ना है. सभी डिजिटल क्रिएटर्स को पत्रकारिता के लिए जरूरी सीमाओं का अतिक्रमण किसी भी परिस्थिति में नहीं करना चाहिए.
लेकिन कहा जा सकता है कि मनीष कश्यप ने इन बातों पर ध्यान नहीं दिया. तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों पर हमले की गलत खबरें प्रसारित करने के बाद उसकी विश्वसनीयता सवालों के घेरे में है. तो दूसरी तरफ उसे कानूनी कार्रवाई का भी सामना करना पड़ रहा है.
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