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पोखरण | जब अटल बिहारी वाजपेयी के मजबूत इरादों ने इतिहास रच दिया

1998 के परमाणु परीक्षण की पूरी कहानी

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वीडियो एडिटर- पूर्णेन्दु प्रीतम

11 मई 1998. 21 साल पहले ठीक इसी दिन इतिहास रचा गया था. भारत ने परमाणु परीक्षण कर अपनी ताकत की पहचान दुनिया को कराई. भारतीय सेना के पोखरण टेस्ट रेंज में किए इस ऑपरेशन को नाम दिया गया--ऑपरेशन शक्ति. भारत ने तीन परमाणु बमों का परीक्षण किया- शक्ति I, शक्ति II, शक्ति III. दो दिन बाद, 13 मई 1998 को दो और बम टेस्ट किए गए- शक्ति IV और शक्ति V.

आज दोपहर 3.45 पर भारत ने पोखरण में तीन भूमिगत परमाणु परीक्षण किए. इन टेस्ट को फिशन और थर्मो-न्यूक्लियर डिवाइस के जरिए अंजाम दिया गया. ये तय हो चुका है कि इन टेस्ट की वजह से वातावरण में कोई रेडियोएक्टिव पदार्थ रिलीज नहीं हुआ है. ये मई 1974 की तरह के ही परीक्षण थे. मैं वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को इन कामयाब परीक्षणों के लिए बधाई देता हूं.
अटल बिहारी वाजपेयी, तत्कालीन प्रधानमंत्री
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देश का पहला परमाणु परीक्षण, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्ध 18 मई 1974 को हुआ. जिसके साथ, भारत न्यूक्लियर क्लब में शामिल होने वाला छठा देश बन गया.

भारत के परमाणु शक्ति बनने के सफर पर डालते हैं एक नजर:

  • 1962: भारत-चीन युद्ध में 4, 000 से ज्यादा सैनकिों की मौत.
  • 1964: चीन के पहले परमाणु परीक्षण के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में कहा, “एटम बम का जवाब एटम बम है”
  • 1974: इंदिरा गांधी के नेतृत्व में भारत, न्यूक्लियर क्लब में शामिल होने वाला छठा देश बना.
  • 1974 से: पहले राजीव गांधी और फिर वीपी सिंह गुप्त परमाणु परीक्षणों पर काम करते रहे.
  • 1995: नरसिम्हा राव ने परमाणु परीक्षण की इजाजत दी लेकिन अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA के जासूस सैटेलाइट ने टेस्ट को लेकर होने वाली गतिविधियों को भांपकर भारत को आर्थिक प्रतिबंधों की चेतावनी दी.
  • 1996: एक बार फिर तैयारी शुरू हुई लेकिन इस बार अमेरिकी अधिकारी खुद भारत आए और परमाणु गतिविधियों की जानकारी की बात रखी.
  • 1996: अटल बिहारी वाजपेयी ने परीक्षण का आदेश दिया लेकिन महज दो दिन बाद उनकी सरकार गिर गई.
  • 19 March 1998: वाजपेयी ने 13वें प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली.
  • 20 March 1998: वाजयेपी ने साउथ ब्लॉक में तत्कालीन DRDO चीफ डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, एटॉमिक एनर्जी चीफ डॉ. आर चिदंबरम और BARC के मुखिया डॉ. अनिल काकोदकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ब्रजेश मिश्रा और तत्कालीन गृहमंत्री एलके आडवाणी से गुपचुप मुलाकात की.
  • 8 April 1998: एक और ऐसी ही मुलाकात के बाद वाजपेयी ने परमाणु परीक्षण को हरी झंडी दिखा दी.
  • 27 April 1998: तारीख तो तय हुई लेकिन इस तारीख को परीक्षण नहीं हो सका. वजह थी डॉ. चिदंबरम की बेटी की शादी. ऐसा इसलिए भी किया गया ताकि शादी में चिदंबरम की गैर-मौजूदगी से बात खुल न जाए.
  • 7 May 1998: भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर से लाकर उपकरण जैसलमेर एयरपोर्ट पर उतारे गए. जहां से कर्नल उमंग कपूर की कमांड में उन्हें चार आर्मी ट्रकों के जरिए ले जाया गया.
  • 11 May 1998: इसी ऐतिहासिक दिन तीन परमाणु बमों का परीक्षण किया गया.
  • 13 May 1998: दो दिन के अंतर से दो और टेस्ट किए गए.
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इन परीक्षणों की सबसे खास और दिलचस्प बात थी- जिस तरह CIA के जासूस उपग्रहों को छकाया गया. ये सैटेलाइट, भारत के किसी भी टेस्ट को पकड़ नहीं पाए.

DRDO अधिकारियों ने पता लगाया कि CIA के सैटेलाइट कब-कब भारत पर नजर रखते हैं. इसी के हिसाब से ज्यादातर रात को काम किया गया ताकि पकड़े जाने की संभावना कम से कम हो. वैज्ञानिक, आर्मी की वर्दी में काम करते थे. थोड़े भी मोटे वैज्ञानिकों को मिशन से हटा दिया गया ताकि वो सेना के फिट जवानों के बीच पहचाने न जा सकें. हर वैज्ञानिक को एक कोड नेम दिया गया. डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का नाम था-मेजर जनरल पृथ्वीराज.

भारत के कामयाब परमाणु परीक्षणों के बाद CIA ने खुद चूक की बात मानी:

हम कई साल से भारत के परमाणु कार्यक्रम पर नजर बनाए हुए हैं. लेकिन ये मानने में मुझे गुरेज नहीं कि इस बार हमसे चूक हुई और हम नहीं बता सके कि ऐसा कोई परीक्षण कब होने जा रहा है. सीधे शब्दों में कहें तो हम फेल हो गए. ये मेरी जिम्मेदारी है कि मैं अमेरिकी लोगों को बताऊं कि हम ये पता नहीं लगा सके. 
जॉर्ज टेनेट, डायरेक्टर, CIA (1996 - 2004)

उस ऐतिहासिक लम्हे को यादगार बनाने के लिए 11 मई को राष्ट्रीय तकनीकी दिवस के तौर पर मनाया जाता है.

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