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नोएडा की सड़कों पर रात में दौड़ता प्रदीप कहां तक पहुंचा?

Pradeep Mehra शायद अपनी शिफ्ट के बाद नोएडा की सड़कों पर नहीं दौड़ रहा होता, अगर उसकी मां बीमार नहीं पड़ती

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जब 19 वर्षीय प्रदीप मेहरा (Pradeep Mehra) की आधी रात की दौड़ का एक वीडियो वायरल हुआ,तब वह कई दिनों तक मुश्किल से काम पर या ट्रेनिंग के लिए जा पाया. नोएडा (Noida) में उसके किराए के एक कमरे के मीडियाकर्मियों और YouTubers की भीड़ थी.

लेकिन मेहरा शायद अपनी शिफ्ट के बाद नोएडा की सड़कों पर नहीं दौड़ रहा होता, अगर उसकी मां बीमार नहीं पड़ती. 19 वर्षीय प्रदीप मेहरा इस "एक्सीलेंस के क्षेत्र" में आने से पहले उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में अपने पैतृक गांव में ट्रेनिंग ले रहा था.

प्रदीप मेहरा के 21 वर्षीय बड़े भाई पंकज कुछ साल पहले नोएडा चले गए थे, जहां उन्होंने छोटी-छोटी नौकरियां कीं. लेकिन जब उनकी मां बीमार पड़ गईं और उन्हें शहर में महंगे इलाज की जरूरत पड़ी, तो पंकज ने प्रदीप को मैकडॉनल्ड्स में काम करने के लिए कहा. दोनों भाई मिलकर हर महीने करीब 20,000 रुपये कमाते हैं.

क्योंकि प्रदीप अब सुबह नहीं दौड़ सकता था जैसा कि वह उत्तराखंड में करता था. इसलिए उसे घर चलाने के लिए अपनी लगभग 10 घंटे की शिफ्ट पूरी करने के बाद मजबूरी में दौड़ना पड़ता है.

वायरल होने के बाद से लम्बे समय तक प्रदीप का फोन बजना बंद नहीं हुआ, और उसे भारतीय सेना के लिए युवाओं को ट्रेनिंग देने वाले कैम्प्स से कई प्रस्ताव मिले.

अब तक प्रदीप को उनके शुभचिंतकों से 3,50,000 रुपये की आर्थिक सहायता मिल चुकी है. इस बीच, नोएडा प्रशासन ने अपने अधिकार क्षेत्र के तहत एक अस्पताल में उसकी मां के इलाज में मदद करने का वादा भी किया था.

यह जानते हुए कि उसके वायरल स्टेटस से मिली प्रसिद्धि और स्टारडम केवल अस्थायी है, प्रदीप को उम्मीद है कि यह सब खत्म होने के बाद वह काम पर वापस आ जाएगा और उसी तरह जमकर ट्रेनिंग करेगा जैसे कि वह पहले करता था.

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