वीडियो एडिटर: विशाल कुमार
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के केरल में वायनाड से चुनाव लड़ने के फैसले ने सुर्खियां बटोरीं. हालांकि, दक्षिण भारत के साथ नेहरू परिवार का संबंध इससे कहीं अधिक पुराना है. राहुल गांधी के दक्षिण भारत की चुनावी राजनीति में एंट्री से 40 साल पहले, उनकी दादी इंदिरा गांधी कर्नाटक के पहाड़ी शहर चिकमगलूर आई थीं.
1978 में लोकसभा क्षेत्र चिकमगलूर उस समय राष्ट्रीय चर्चा में आ गया था, जब इंदिरा गांधी ने अपनी राजनीतिक वापसी के अभियान के तहत वहां से उपचुनाव लड़ने का फैसला किया था. इंदिरा गांधी, आपातकाल हटाए जाने के बाद हताशा में थीं तब उन्हें यहां के नेताओं ने कर्नाटक आमंत्रित किया. उस आमंत्रण में इंदिरा गांधी के राजनीतिक पुनरुत्थान का वादा शामिल था.
चिकमगलूर से 3 बार विधायक रह चुके सगीर अहमद ने इंदिरा गांधी के कैंपेन को नजदीक से देखा है. वो बताते हैं कि इंदिरा को वोट देने के लिए चिकमगलूर के लोगों के बीच उनकी एक झलक ही काफी थी. इंदिरा गांधी को कर्नाटक लाने में पूर्व कांग्रेस मुख्यमंत्री डी देवराज उर्स ने बड़ी भूमिका निभाई थी.
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में उन्हें(इंदिरा गांधी) अयोग्य घोषित कर दिया था. पूरे देश में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर बहस हुई, तब हमारे नेता देवराज उर्स ने राज्य के सभी नेताओं को बुलाया और उनसे चर्चा की और नेताओं से पूछा- क्या हम इंदिरा गांधी को चिकमगलूर नहीं लाएंगे? देवराज उर्स ने ये फैसला दिल्ली में इंदिरा गांधी के लिए लिया. उन्होंने कर्नाटक आकर चिकमगलूर से चुनाव लड़ने के लिए इंदिरा गांधी पर दबाव बनाया. उन्हें बताया कि ये कांग्रेस बेल्ट है, आप आसानी से जीत सकती हैं. तब उन्होंने ये निमंत्रण स्वीकार कर लिया.सगीर अहमद
देखिए इंदिरा गांधी के राजनीतिक पुनरुत्थान के गवाह रहे लोगों का ये स्पेशल इंटरव्यू.
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