कैमरामैन: अभिषेक रंजन
क्रिएटिव प्रोडूसर: पुनीत भाटिया
- 182 मीटर ऊंची
- 1,700 टन कांस्य
- 18,500 टन जंग रोधक स्टील
- 5,700 टन स्ट्रक्चर स्टील
- 2,989 करोड़
- 3,000 कर्मचारी
- 4 साल का वक्त
'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' की हर बात बहुत बड़ी है. लेकिन ये प्रतिमा एक व्यक्ति के विजन का नतीजा है- 93 साल के मूर्तिकार राम वी सुतार.
राम सुतार विशालकाय मूर्तियां बनाने के लिए जाने जाते हैं. इससे पहले राम सुतार ने गांधी सागर डैम पर एक मां और बच्चे की 45 फुट की प्रतिमा बनाई थी
जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स से पढ़ाई पूरी करने वाले राम ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के साथ मिलकर एलोरा गुफाओं से अपने काम की शुरुआत की. कुछ सालों बाद उन्होंने मूर्ति बनाने का काम शुरू किया.
मैं बचपन से मूर्तियां बना रहा हूं, छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी. ऐसे करते हुए, मैं आज यहां पहुंचा हूं.राम वी सुतार
राम सुतार का सपना था 'दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति' बनाने का और जब आज वो इसे साकार होता देखते हैं तो कहते हैं-
आज जो दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है. उसका डिजाइन मैंने बनाया है, बचपन में बड़े से बड़ा काम करने का सपना था ये पूरा हो गया. मुझे बहुत खुशी होती है ये कहने में कि दुनिया की सबसे उंची प्रतिमा मैंने बनाई है.राम वी सुतार
बाप-बेटे की इस जोड़ी ने बनाई दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा
हमारा ये योगदान है कि हमने ही ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ बनाया है. पहले यहां बनाया, फिर चीन में इस पर काम किया. हर दूसरे महीने जा कर हम उस पर काम करते थेअनिल सुतार, राम सुतार के बेटे
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के डिजाइन की बात करते हुए राम वी सुतार बताते हैं- हर छोटी चीज का खयाल रखा गया है, ये बहुत खूबसूरत है. मांसपेशियों की बारीकी, कुर्ते पर नजर आती सिलवटों की बारीकी आपको 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' में दिखाई देगी. इसके डिजाइन में बहुत ही पतले स्ट्रोक का इस्तेमाल किया गया है. ये मास्टरपीस स्ट्रोक हैं और इन बारीकियों के कारण ही कई लोगों को मेरा काम और मेरा स्टाइल पसंद आता है.
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