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VIDEO | हरियाणा में रेप का ठीकरा लड़की के सिर ही क्यों फोड़ते हैं?

हरियाणा में रेप के लिए महिला को क्यों माना जाता है जिम्मेदार?

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(ये स्टोरी असल में 10 अप्रैल 2018 को पब्लिश हुई थी. इसे क्विंट के आर्काइव से देश में हाल ही में हुई कई रेप की घटनाओं के बाद रिपोस्ट किया जा रहा है.)

कैमरा: अभय शर्मा और अनुभव गुप्ता
मल्टीमीडिया प्रोड्यूसर: प्रशांत चौहान
एग्जीक्यूटिव प्रोड्यसर: रितु कपूर

जनवरी 2018 को हरियाणा में 10 दिन में 10 रेप हुए, जिससे हर कोई चौंक गया था. और एक बार फिर सभी यही सवाल पूछने लगे.

इतने रेप क्यों होते हैं, यार?

हम हरियाणा में घूमे और देखा कि इस बारे में यहां के लोग क्या कहते हैं?

बात ये सामने आई कि यहां ऐसी मानसिकता है जिसमें रेप में रजामंदी को कारण बताया जाता है. इस समाज में यौन हिंसा का शिकार होने के लिए महिला को ही आरोपी माना जाता है. ये समाज तो रेप को रेप नहीं मानता बल्कि कहा जाता है कि लड़की ऐसा चाहती है.

इसका ये मतलब कतई नहीं कि पूरा हरियाणा ऐसा मानता है, लेकिन ऐसी सोच एक बड़े दायरे में फैली है.

यहां पीड़ित पर ही दोष मढ़ा जाता है. जींद, रोहतक, भिवानी और चरखी दादरी में घूमने के बाद पता चला कि यहां एक रेप कल्चर है, जिसका पहला आधार है कि पीड़ित पर ही इल्जाम लगा दो. इन जिलों के गांवों में हमने बच्चों से लेकर बुजुर्गों और यहां तक कि पेट्रोलिंग कर रहे पुलिसवालों से भी बात की तो सभी पीड़ित पर ही दोष मढ़ते नजर आए.

जब एक लड़की 14 -15 साल की हो जाती है, तो वो रेप नहीं है. ये आपसी सहमति होती है.
एक बुजुर्ग, मनकास गांव, चरखी दादरी जिला
लड़कियां भी कुछ गलत करती हैं, इसलिए उनके साथ रेप होता है.
भिवानी में 8वीं क्लास का लड़का
लड़के और लड़कियां दोनों ही गलत करते हैं. क्या सिर्फ लड़का जिम्मेदार होता है? लड़की को घर पर बैठा दिया जाता है और लड़के को जेल भेज दिया जाता है. ये कैसा कानून है?
चरखी दादरी जिले में रेप आरोपी की मां

और अब जानिए की पुलिस वाले क्या कहते हैं, '' दोनों का दोष होता है. बिना जाने तो मैं आपसे बात भी नहीं कर सकता. अगर आपको कोई जानता नहीं है तो कुछ नहीं करेगा. बिना सहमति के तो कोई बात भी नहीं कर सकता. क्या बिना सहमति को कोई लड़की किसी से बात करेगी?

लेकिन जब हमने पूछा कि अगर किसी का अपहरण हो जाए तो...

पुलिस कर्मी ने कहा, ''कोई कैसे किसी का अपहरण कर लेगा?''

यहां सम्मान के नाम पर अपने ही परिवार वाले अपने बच्चों को मार देते हैं. बुनियादी तौर पर 'सम्मान' या 'ऑनर' महिलाओं को काबू करने का तरीका है. अपने तथाकथित सम्मान को बनाए रखने के लिए एक आदमी कुछ भी कर सकता है.

खाप पंचायतों की सीख

खाप पंचायत ने साल 2013 में आदेश दिया था कि 10 साल से ऊपर की लड़की जींस नहीं पहनेंगी और मोबाइल नहीं रखेंगी. यहां तक कि सर्व खाप पंचायत ने तो ये भी कहा था कि लड़कियों की 16 साल की उम्र में शादी करा देनी चाहिए ताकि उनका पति उनकी सेक्शुअल जरूरतों को पूरा कर सके और कहीं और न जाना पड़े. इस तरह रेप नहीं होंगे.

जो हम सिखाएंगे, बच्चे वही सीखेंगे. देखिए ये छोटे बच्चे रेप के बारे में क्या कह रहे हैं.

हां, लड़की को रेप के केस में आरोपी ठहराया जाता है. ये लड़कियां दोस्त बनाती हैं और उसके बाद इन्हें गलत संगति का नतीजा भुगतना पड़ता है.
भिवानी से 8वीं क्लास की एक लड़की
लड़के और लड़कियों दोनों का कसूर होता है. ताली एक हाथ से नहीं बजती.
भिवानी से 7वीं क्लास का एक लड़का

रेप और इस तरह की मानसिकता सिर्फ हरियाणा में नहीं है, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश बाकी राज्यों से भी ऐसी बातें पूरे देश से निकलकर आती हैं. हमारे कई नेता भी ऐसी सोच रखते हैं. इसलिए अगली बार जब आपके सामने ये सवाल आए कि इतने रेप क्यों होते हैं, तो याद रखिएगा जवाब आपके सामने है.

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