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राज्यसभा में मारपीट के वीडियो का पूरा सच क्या? सुनिए वहां मौजूद सांसद मनोज झा से

"भीड़ से वोट ले सकते हैं, लेकिन ये भीड़ आपको भी लील जाएगी"

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वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद आलम

दिन-11 अगस्त 2021, स्वतंत्रता दिवस से ठीक 4 दिन पहले.

जगह- भारत की संसद, जहां देश की जनता का भाग्य लिखा जाता है.

क्या हुआ?- वो सब कुछ जो किसी भी मजबूत और गर्व करने वाले लोकतंत्र में नहीं होना चाहिए.

15 अगस्त को देश एक बार फिर आजादी की याद में स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) मनाएगा, लेकिन उससे पहले 11 अगस्त 2021 को संसद के उच्च सदन राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ. पेगासस जासूसी कांड पर बहस से शुरू हुआ संसद का मॉनसून सत्र, मार्शल के धक्कों से खत्म हुआ. वो भी समय से पहले. असल में 11 अगस्त को क्या हुआ था संसद में इस बात को जानने के लिए क्विंट ने आरजेडी के राज्यसभा सांसद प्रोफेसर मनोज झा (Manoj Jha) से बात की.

मनोज झा कहते हैं,

"संसद में आखिरी दिन जो हुआ उसके लिए आपको ये जानना होगा कि पहले दिन से क्या हो रहा था. कोरोना मिसमैनेजमेंट, कोविड से मौत का मामला हो, बेरोजगारी, काले कृषि कानून या पेगासस का मामला हो, हमारे पास बहुत से मुद्दे थे. संसदीय लोकतंत्र में बड़ी भूमिका सत्ता पक्ष की होती है, चुनाव आप जीतते हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि संसद कोई ट्रेजरी बेंच है. यहां हारे और जीते हुए लोग मिलकर विमर्श करते हैं, अगर जीते हुए लोग गुरूर में हों तब आप जनसरोकार पर खुले दिल से बात करने को तैयार नहीं होते हैं. आखिरी दिन संसद में लगभग ये तय था कि ओबीसी बिल पर बातचीत के बाद और कोई मुद्दा नहीं लिया जाएगा. लेकिन अचानक से सप्लीमेंट्री में जनरल इंश्योरेंस बिल लेकर सरकार आ जाती है. सरकार के साथ वाली पार्टियों ने भी कहा कि इसे सेलेक्ट कमेटी को भेजा जाए. लेकिन सत्ता पक्ष पर क्रोनी कैपिटलिस्ट का ऐसा दबाव है कि जनसरोकार को खारिज कर मार्शल लॉ जैसे हालात पैदाकर बिना बहस किए इतने बड़े सेक्टर में तब्दील करना चाहा. जिस वजह से पूरी दुनिया ने देखा कि संसद में क्या हुआ."

राज्यसभा में हंगामे का सीसीटीवी फुटेज आया सामने

बता दें कि संसद में धक्का देने और हंगामा करने का एक सीसीटीवी फुटेज सामने आया है. सरकार इस सीसीटीवी फुटेज के सहारे विपक्ष को कटघरे में खड़ा करना चाह रही है.

इसी पर मनोज झा कहते हैं,

"मैं एक बात ईमानदारी से कहूंगा, क्योंकि मैं पूरे वक्त वहीं था. कैमरे का एंगल, कैमरे पर क्या दिखाना है, कहां की फुटेज बाहर आ रही है, ये सब महत्वपूर्ण सवाल है. मैं समझता हूं कि पूरे घटनाक्रम की सुबह से लेकर पूरे दिन की सीसीटीवी फुटेज जारी हो. इन दिनों एक नया चलन चला है कि विपक्ष अगर प्रतिरोध करता है तो वो स्क्रीन पर नहीं दिखाया जाएगा. विपक्ष के लोग जनता के नुमाइंदे हैं. उनका प्रतिरोध भी जनता को दिखाना चाहिए. 2011 में यूपीए की सरकार के दौरान भी संसद में हंगामा होता था लेकिन तब टीवी पर विरोध को ब्लैकआउट नहीं किया जाता था स्क्रीन से. हमने शिकायत की है इस बात की. अगर ये न्यू नॉर्मल हो गया है तो लोकतंत्र के हक में बिल्कुल सही नहीं है."

"भीड़ से वोट ले सकते हैं, लेकिन ये भीड़ आपको भी लील जाएगी"

मनोज झा ने लोकतंत्र में भीड़तंत्र पर भी अपनी बात रखी. बता दें कि कानपुर में बजरंग दल के कार्यकर्ताओं द्वारा धर्मांतरण के आरोप में एक मुस्लिम शख्स को पीटने के साथ 'जय श्रीराम' के नारे लगवाने की बात सामने आई है. इसी पर मनोज झा ने कहा कि मैंने सदन में भी कहा था भीड़ पैदा करने वाले लोग भीड़ से वोट ले सकते हैं, लेकिन ये भीड़ आपको भी लील जाएगी. कमोबेश इसी तरह की भीड़ का मसौदा संसद में भी तैयार हो रहा है.

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