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साड्डा हक: चुनावी शोर, नेताओं के बोल, आचार संहिता से करें कंट्रोल

चुनावों का मतलब सिर्फ शोर, ट्रैफिक जाम और पुराने, अधूरे वादे नहीं!

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कैमरा: नितिन चोपड़ा, सुमित बडोला

वीडियो एडिटर: राहुल सांपुई

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भारत में चुनावों का मतलब काफी शोर, ट्रैफिक जाम और वही पुराने, अधूरे वादे. लेकिन क्या हमारे राजनेता और उनके चुनाव अभियान किसी नियम के अधीन हैं? क्विंट हिंदी आपको बता रहा है कि आदर्श आचार संहिता कैसे लागू होती है और इसका आपके लिए क्या मतलब है.

आचार संहिता क्या है?

आदर्श चुनाव आचार संहिता (MCC) स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग की ओर से जारी दिशानिर्देशों का एक सेट है. ये उसी दिन से लागू होता है, जिस दिन चुनाव आयोग चुनाव की तारीखों की घोषणा करता है.

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आदर्श चुनाव आचार संहिता के महत्वपूर्ण प्रावधान क्या हैं?

सामान्य व्यवहार- किसी भी राजनीतिक पार्टियों की आलोचना उसकी नीतियों और कार्यक्रमों, अतीत के रेकॉर्ड और काम तक सीमित होगी. किसी उम्मीदवार पर निजी हमले नहीं किए जा सकते हैं. गैर प्रमाणित रिपोर्ट्स के आधार पर किसी उम्मीदवार की आलोचना नहीं की जा सकती है. वोट पाने के लिए जातिगत और सांप्रदायिक उन्माद नहीं भड़का सकते हैं.

मीटिंग- किसी तरह की मीटिंग का आयोजन करना हो तो संबंधित पार्टी को स्थानीय पुलिस को सूचना देनी होगी. उनको मीटिंग के स्थान और समय के बारे में जानकारी देनी होगी ताकि पुलिस सुरक्षा का व्यापक बंदोबस्त कर सके.

जुलूस- एक ही मार्ग पर दो या उससे ज्यादा उम्मीदवार जुलूस की योजना बना रहे हैं तो आयोजकों को पहले सूचित करना होगा ताकि जुलूस के दौरान टकराव पैदा न हो. अन्य राजनीतिक पार्टियों के सदस्यों का पुतला ले जाने और जलाने की इजाजत नहीं दी जाएगी.

मतदान दिवस- हर पार्टी को अपना एजेंट नियुक्त करना होगा. उन एजेंट को पहचान का बैज देना होगा. बैज पर पार्टी का नाम, चुनाव चिह्न या कैंडिडेट का नाम नहीं होना चाहिए.

मतदान केंद्र- मतदान केंद्र में हर किसी को जाने की अनुमति नहीं होगी. सिर्फ मतदाता ही मतदान केंद्र पर जा सकेंगे. इसके अलावा वे लोग ही मतदान केंद्र पर जा सकेंगे, जिनको चुनाव आयोग की ओर से एक वैध पास जारी किया गया होगा.

ऑब्जर्वर(पर्यवेक्षक)- चुनाव आयोग पर्यवेक्षकों को नियुक्त करेगा. चुनाव के दौरान किसी तरह की गड़बड़ी होने पर उम्मीदवार पर्यवेक्षक के पास अपनी शिकायत दर्ज करा सकेंगे.

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