देश में मीडिया को लेकर बहस छिड़ी हुई है. कहा जा रहा है कि पहले के मुकाबले मीडिया अब काफी बदल गया है. टीवी डिबेट से लेकर सोशल मीडिया तक आजाद आवाज को दबाने की कोशिश की जाती है. अचानक मीडिया को लेकर बहस तेज हो गई है कि इतना बदलाव क्यों और कैसे आया. इसी मुद्दे को लेकर क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने बात की कंज्यूमर बिहेवियर, एडवरटाइजिंग और मीडिया एक्सपर्ट संतोष देसाई से.
मीडिया एक्सपर्ट संतोष देसाई के मुताबिक, हर चैनल में पूर्वाग्रह हैं और गलतियां छिपाने की कोशिश की जाती है. बिना छानबीन और जांच के नतीजे पर पहुंचना गलत है. देसाई कहते हैं कि अगर आपके पास वर्चस्व है तो प्रोपेगेंडा को चलाया जा सकता है. इस तरह से शायद नॉर्थ कोरिया में काम चल सकता है, लेकिन लोकतंत्र में प्रोपेगेंडा की जगह नहीं है.
इस बातचीत का पूरा वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक करें.
(क्विंट और बिटगिविंग ने मिलकर 8 महीने की रेप पीड़ित बच्ची के लिए एक क्राउडफंडिंग कैंपेन लॉन्च किया है. 28 जनवरी 2018 को बच्ची का रेप किया गया था. उसे हमने छुटकी नाम दिया है. जब घर में कोई नहीं था,तब 28 साल के चचेरे भाई ने ही छुटकी के साथ रेप किया. तीन सर्जरी के बाद छुटकी को एम्स से छुट्टी मिल गई है लेकिन उसे अभी और इलाज की जरूरत है ताकि वो पूरी तरह ठीक हो सके. छुटकी के माता-पिता की आमदनी काफी कम है, साथ ही उन्होंने काम पर जाना भी फिलहाल छोड़ रखा है ताकि उसकी देखभाल कर सकें. आप छुटकी के इलाज के खर्च और उसका आने वाला कल संवारने में मदद कर सकते हैं. आपकी छोटी मदद भी बड़ी समझिए. डोनेशन के लिए यहां क्लिक करें.)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)