सेक्सुअल हैरेसमेंट मामले में जर्नलिस्ट प्रिया रमानी ने अपने खिलाफ अवमानना केस की सुनवाई के दौरान बेहद साफगोई से बयान दिए. उन्होंने कहा कि वर्कप्लेस में यौन प्रताड़ना के खिलाफ महिलाओं का बोलना बेहद अहम है. हममें से बहुतों को यह सिखाया जाता है कि चुप रहना अच्छा है. लेकिन मैंने वॉग मैगजीन के अपने आर्टिकल और ट्वीट में जो बोला वह सच है. रमानी ने पूर्व विदेश राज्य मंत्री और दिग्गज पत्रकार एम जे अकबर के खिलाफ यौन प्रताड़ना का आरोप लगाया था. अकबर ने इन आरोपों के खिलाफ रमानी पर अवमानना का मुकदमा किया है.
रमानी ने अपने खिलाफ अवमानना केस में 9 सितंबर को दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में बयान दर्ज कराया .शनिवार को अकबर की ओर से दलील देते हुए सीनियर वकील गीता लूथरा ने कहा था कि वॉग मैगजीन में सेक्सुअल हैरेसमेंट का खुलासा करने वाले उनके लेख को सबूत के तौर पर मंजूर नहीं किया जा सकता. लेकिन रमानी ने कहा
किसी भी महिला के लिए इस तरह का खुलासा करना आसान नहीं होता. चुप रह कर मैं खुद को निशाना बनने से बचा सकती थी. लेकिन ऐसा करना ठीक नहीं होता.
एम जे अकबर केस में आज क्या-क्या हुआ?
‘इस केस को सामने लाने की कीमत निजी तौर पर चुकाई है’
रमानी ने अपने क्लोजिंग स्टेटमेंट में कहा कि उन्होंने मिस्टर अकबर के बारे में पब्लिक ट्रूथ के लिए सच बोला है. इस केस को सामने लाने की कीमत मैंने निजी तौर पर चुकाई है. मुझे इससे कुछ नहीं मिलना है. मैं एक सम्मानित जर्नलिस्ट हूं और अपने परिवार के साथ बेंगलुरू में शांत जिंदगी बिता रही हूं.
लूथरा ने उनसे कई सवाल किए. उन्होंने पूछा कि 1993 में उन दिनों के किन पत्रकारों को आप जानती हैं. उन्होंने हरिंदर बवेजा समेत कई पत्रकारों के नाम लिए.रमानी ने कहा ‘’जब मैं दिल्ली में दस दिन थी तो पेपर शुरू नहीं हुआ था. जब मैं बॉम्बे गई तो वहां शेयर मार्केट की रिपोर्टिंग करती थी. मुझे हर दिन शेयर मार्केटिंग की रिपोर्टिंग करनी होती थी. मैं हर दिन एक आर्टिकल लिखती थी’’
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