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सेना पर राजनीति से आहत शहीद पिंटू सिंह का परिवार

सरकार के रवैये सेआहत शहीद पिंटू सिंह का परिवार

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वीडियो एडिटर: संदीप सुमन, विशाल कुमार

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क्या सेना का राजनीतिकरण किया जा रहा है? क्या सेना पर नेताओं के बयान सीआरपीएफ जवानों के परिवारों को न्याय दिला पा रहे हैं? इन्हीं सवालों के जवाब जानने बिहार के बेगूसराय में शहीद पिंटू सिंह के घर पहुंचा क्विंट.

शहीद पिंटू सिंह की बेटी पूछती है कि “ मां मुझे पापा से गले लगना है पापा कब आएंगे?” तब शहीद की पत्नी अंजू सिंह के पास कोई जवाब नहीं होता है. नेताओं के भाषण में शहीदों के जिक्र पर पिंटू सिंह के भाई मिथिलेश सिंह का कहना है कि शहीदों को जो सम्मान दिया जाना चाहिए वो नहीं दिया जा रहा है.

शहीदों के नाम पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. जो इसका राजनीतिक इस्तेमाल करता है वो दोषी और सबसे बड़ा गुनहगार है.
इंद्रेश प्रसाद सिंह, शहीद पिंटू सिंह के दूसरे भाई
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जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में 1 मार्च, 2019 को आतंकियों के साथ मुठभेड़ में पिंटू सिंह शहीद हो गए थे. पिंटू सिंह की पत्नी अंजू सिंह का मानना है कि सरकार शहीद सीआरपीएफ जवानों के परिवारों का दर्द नहीं समझ पा रही है.

जिसका कोई जाता है उसको दर्द होता है. सरकार को तो पता भी नहीं चलता है. किसी नेता का बेटा, भाई या पति फौज में नहीं जाता है.फौज में आम आदमी या गरीब का ही बच्चा जाता है.
अंजू सिंह, शहीद पिंटू सिंह की पत्नी

पिंटू सिंह का घर फूस से बना है. नौकरी कहीं और भी मिल सकती थी लेकिन उन्होंने देश की रक्षा के लिए फौज में जाने का फैसला किया गया था. लेकिन पिंटू सिंह का पार्थिव शरीर जब पटना पहुंचा तब किसी भी राजनीतिक दल का नेता श्रद्धांजलि देने के लिए मौजूद नहीं था.

सरकार के रवैये से आहत परिवार की मांग है कि पिंटू सिंह को शहीद का दर्जा मिले और शहादत का ये सिलसिला खत्म हो.

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