वीडियो एडिटर: वरुण शर्मा
वीडियो प्रोड्यूसर: कनिष्क दांगी
“दुश्मन न करे दोस्त ने वो काम किया है...!”
बीजेपी इन दिनों शिवसेना के बारे में यही सोच रही है. शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जो ताजा आरोप लगाया है उसके बाद वो केंद्र और राज्य सरकार में हिस्सा बनकर कैसे रह सकती है, ये हैरान करने वाली बात है.
उद्धव ठाकरे ने कहा है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में राफेल से भी बड़ा घोटाला हुआ है.
सरकार में सहयोगी की तरफ से इतना गंभीर आरोप लगाने का मतलब है कि बीजेपी और शिवसेना के बीच दोस्ती का पुल करीब करीब ढह गया है.
शिवसेना सुप्रीमो ठाकरे और उनके कमांडर संजय राउत का मोदी सरकार पर ये सबसे गंभीर हमला है, लेकिन इससे भी बड़ा अचरज इस बात पर है कि शिवसेना इसके बाद भी सरकार में कैसे है?
ठाकरे ने महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में सूखा ग्रस्त इलाकों में किसानों के बीच कह डाला कि फसल बीमा योजना में घोटाला है, मतलब सीधे प्रधानमंत्री इसके जिम्मेदार हैं. ठाकरे ने इसके लिए एक किताब का हवाला दिया. खास बात ये है कि प्रधानमंत्री मोदी किसानों के बीच रैलियों में हमेशा अपनी सरकार की इसी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की जमकर तारीफ करते हैं जिसे ठाकरे घोटाले का नाम दे रहे हैं.
ठाकरे ने वरिष्ठ पत्रकार पी साईनाथ की किताब का हवाला दिया जिसमें दावा किया गया है कि महाराष्ट्र के सिर्फ एक जिले में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के प्रीमियम के तौर पर रिलायंस इंश्योरेंस को 173 करोड़ रुपए मिले. जबकि फसल बर्बाद होने पर इंश्योरेंस कंपनी ने किसानों को केवल 30 करोड़ का ही भुगतान किया. यानी बिना एक पैसा लगाए 143 करोड़ रुपए मुनाफा कमा लिया है.
मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री बीमा योजना साल 2015 में शुरू की थी जिसका मकसद प्राकृतिक आपदा, कीट या बीमारी से खराब हुई किसानों की फसल को सहायता पहुंचाना है.
शाह के ‘पटक देने’ का जवाब है ‘घोटाले’ का आरोप
लगता है शिसवेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने सीधे पीएम को निशाना बनाकर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के शिवसेना को ‘उठाकर पटक देंगे’ वाले बयान का जवाब दिया है. शिवसेना और बीजेपी के बीच ये तनातनी ज्यादा गंभीर है.
अब तक दोनों परदे से पीछे, सोशल मीडिया और अखबारों के जरिए एक दूसरे पर आरोप लगा रहे थे. लेकिन पीएम पर घोटाले के आरोप का मतलब है कि शिवसेना लोकसभा चुनाव में बीजेपी से गठबंधन तोड़ने का बहाना खोज रही है. तो क्या अब वो चुनाव में दो-दो हाथ करने को तैयार है?
लेकिन ये भी एक सच्चाई है कि शिवसेना की राजनीति फिलहाल ‘चित भी मेरी और पट भी मेरी’ जैसी चल रही है. वो आरोप तो खुलकर लगा रही है बयान बड़े दे रही है लेकिन साढ़े चार साल से दिल्ली और महाराष्ट्र दोनों जगह बीजेपी के साथ सत्ता में भी बनी हुई है.
एक कड़वी हकीकत ये भी है कि हिंदुत्व राजनीति वाली शिवसेना को बीजेपी के आलावा दूसरा साथी भी आसानी से नहीं मिलने वाला. अब सबसे अहम है कि शिवसेना और बीजेपी इतनी नोंकझोंक के बाद भी क्या इस साल लोकसभा और विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ेंगे?
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