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श्री श्री रविशंकर,जन्मदिन पर यमुना किनारे वाला जश्न मत दोहराइएगा

2016 में श्री श्री के इवेंट से यमुना किनारा बर्बाद होने का आरोप

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श्री श्री रवि शंकर अपना 62 वां जन्मदिन मना रहे हैं. इस मौके पर हमने उनकी ‘उपलब्धियों’ पर नजर डालने का फैसला किया. इन उपलब्धियों में ये तमाम चीजें शामिल हैं- एक आध्‍यात्‍म‍िक गुरु, आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक और 'यमुना किनारे बर्बादी'.

जी हां, ऐसा यमुना किनारे खेती करने वाले किसानों का कहना है.

श्री श्री रवि शंकर की ओर से दिल्ली में पहले से ही दयनीय हालत वाली यमुना किनारे साल 2016 में विश्व सांस्कृतिक महोत्सव आयोजित करने का फैसला किया गया था. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) का आदेश था कि यमुना के मैदानों पर किसी भी तरह के निर्माण न किया जाए लेकिन इसकी धज्जियां उड़ाते हुए 40 फीट लंबा मंच बनाया गया. उस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत 155 देशों के गणमान्य व्यक्तियों को आमंत्रित किया गया. मकसद था यमुना को बचाना. लेकिन इसके उलट श्री श्री पर उत्सव के दौरान यमुना नदी को प्रदूषित करने के आरोप लगे.

इसलिए श्री रविशंकर जी, आपके जन्मदिन पर, यमुना किनारे के कुछ किसानों और पर्यावरणविदों ने आपके लिए एक खास संदेश दिया है.

कुछ किसानों ने दावा किया कि जब आर्ट ऑफ लिविंग के कार्यकर्ता यमुना किनारे कार्यक्रम की तैयारी कर रहे थे, तो उन्होंने खेतों पर बुलडोजर चलाकर खराब कर दिया.

मैंने फसलों के लिए बीज बोए थे. लौकी, अरबी, टमाटर सभी फसलें लगभग तैयार थीं. उनपर बुलडोजर चलाकर वो भाग गए. मैंने अपनी फसलों के लिए कर्ज लिया था. अब, अगर हम भुगतान नहीं कर पाए तो ये हमारे लिए एक बड़ा नुकसान होगा. अगर प्रधानमंत्री मोदी ने अनुमति नहीं दी होती, तो क्या श्री श्री रविशंकर ने यहां आयोजन किया होता?
हरवती, किसान

दिसंबर 2017 में, श्री रविशंकर के वर्ल्ड कल्चरल फेस्टिवल के आयोजन पर विवाद के बाद एनजीटी ने आर्ट ऑफ लिविंग पर 5 करोड़ का जुर्माना भी लगाया था.

मानसून के दौरान, नदी किनारे मैदानों (floodplains) का मुख्य काम अतिरिक्त पानी को सोखना और वॉटर टेबल रिचार्ज करना है, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. ये एक खेल के मैदान जैसा दिखता है. ये ऐसा नहीं था. ये एक वेटलैंड था, पर्यावरण के हिसाब से अहम क्षेत्र, जिसे बाबा ने नष्ट कर दिया.
विमलेंदु झा, पर्यावरण कार्यकर्ता
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इस मामले में आर्ट ऑफ लिविंग के खिलाफ याचिकाकर्ता आनंद आर्य का दावा है कि विश्व संस्कृति महोत्सव ने हरेक साल का कम से कम 9 करोड़ रुपये का नुकसान किया है.

ग्राउंड वाटर रिचार्ज क्षमता का नुकसान प्रति हेक्टेयर 3,000 क्यूबिक मीटर हो गया है. अगर आप 15 पैसे प्रति लीटर के ट्रांसपोर्टेशन की साधारण लागत पर इसकी गणना करते हैं, तो ये 4.5 लाख रुपये आता है. अब, इसे 200 हेक्टेयर से गुणा करें, ये कम से कम 9 करोड़ रुपये का नुकसान है. तो, अब ये 9 करोड़ रुपये का ग्राउंड वॉटर रिचार्ज है जो हमने 2016, 2017 और 2018 किया है.
आनंद आर्य, याचिकाकर्ता

2016 में आयोजित किए गए विश्व सांस्कृतिक महोत्सव के लगभग 2 साल बीत चुके हैं, और न ही आर्ट ऑफ लिविंग ने 35 लाख विजिटर के अपने लक्ष्य को पूरा किया है, न ही यमुना नदी की स्थिति बदली है.

लेकिन, लोगों का मानना है कि ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ के इस इवेंट से नदी की स्थिति और ज्यादा बिगड़ जरूर गई है.

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