देश की राजधानी दिल्ली से एक घंटे की दूरी पर यूपी का दलेलपुर गांव है. जैसे ही हम दलेलपुर की ओर बढ़ते हैं वैसे ही नोएडा की बड़ी-बड़ी इमारतें और पीएम मोदी के किए विकास के वादे धुंधले से होने लगते हैं. गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट में आने वाले 200 लोगों के इस गांव ने चुनाव में वोटिंग का बहिष्कार किया है. यहां पहले चरण के लिए 11 अप्रैल को वोटिंग होनी है.
दलेलपुर निवासी सतबीर त्यागी कहते हैं कि जिस स्थिति में गांव के लोग रहते हैं वैसी स्थिति में रहना मुश्किल है, लेकिन वे लोग मजबूर हैं.
‘‘कोई भी नेता चाहे एमपी हो एमएलए हो या पार्षद हो मैं उसे अपने गांव में बुलाना चाहुंगा और कहूंगा कि जैसे हम रहते हैं वैसे 2 दिन रह के दिखाए. तब समझ आएगा कि हम कैसे रहते हैं.’’सतबीर त्यागी, दलेलपुर निवासी
महिलाओं को भी बुनियादी सुविधाओं की कमी खलती है,
‘‘सबसे बड़ी समस्या तो रोड की है. हम कभी भी अकेले कहीं नहीं जा सकते क्योंकि कोई भी साधन नहीं हैं. कुछ है ही नहीं. कभी हम औरतों को दवाइयां चाहिए होती हैं तो हम कहां से जाकर लें? आसपास कोई अस्पताल भी नहीं है. हमें फरीदाबाद जाना पड़ता है. यहां न ही डॉक्टर है और न ही नर्स.’’हसिंदर कौर, दलेलपुर निवासी
न सड़क, न बिजली, न अस्पताल और न ही सरपंच. इस गांव के लोगों को लगता है कि वो ऐसी जगह रह रहें हैं जो इस दुनिया में है ही नहीं.
हमनें इस चुनाव में तय किया है कि हम वोट नहीं डालेंगे. हमारे गांव से कोई भी वोट डालने नहीं जाएगा. नेता आते हैं वादे करते हैं और चले जाते हैं. यहां कोई कुछ काम नहीं करता. इसलिए हम इसबार पूछेंगे - क्या हुआ तेरा वादा? हमारे गांव में बिजली के खंभे लग गए हैं लेकिन कभी बिजली आई ही नहीं.गुरमीत सिंह, दलेलपुर निवासी
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