वीडियो एडिटर: विवेक गुप्ता/आशुतोष भारद्वाज
अमृतसर में जोड़ा फाटक रेलवे ट्रैक के पास 2018 में रावण दहन के दौरान हुए रेल हादसे में 62 लोगों की मौत हो गई थी. लोग रेल की पटरियों पर खड़े होकर रावण दहन देख रहे थे, तभी अचानक तेज रफ्तार ट्रेन आई और कई लोगों को कुचलती हुई चली गई. लेकिन हादसे के एक साल बाद भी लोगों का पटरियों के ऊपर से गुजरना जारी है. वहां के लोग अभी भी बेरोक-टोक ट्रैक को पार करते रहते हैं.
रेलवे एक्ट के सेक्शन 147 के मुताबिक रेलवे ट्रैक से गुजरना दंडनीय अपराध है, लेकिन कानून का पालन करवाने के लिए वहां कोई जीआरपी या आरपीएफ का जवान मौजूद नहीं है.
अमृतसर हादसे के तुरंत बाद 19 अक्टूबर 2018 को रेल मंत्री पीयूष गोयल ने रेलवे ट्रैक्स में लोगों को घुसने से रोकने के लिए 3,000 किलोमीटर की दीवार बनाने का फैसला किया था. ट्रैक की एक साइड पर तो दीवार बनाई गई, लेकिन उसकी ऊंचाई इतनी कम है कि कोई भी आसानी से पार कर ले.
रेलवे ट्रैक के दोनों ओर रहने वाले लोगों ने क्विंट को बताया कि एक क्रॉसिंग से दूसरी बहुत दूर है, जिससे बहुत वक्त लगता है. कोई फुट ओवर ब्रिज भी नहीं है, इसलिए लोगों को ट्रैक से ही गुजरना पड़ता है.
लेकिन सच तो ये है कि क्रॉसिंग से सिर्फ एक मिनट की दूरी के बावजूद लोग रेलवे ट्रैक का ही इस्तेमाल करते हैं.
रेलवे सेफ्टी के चीफ कमिश्नर की जांच में हादसे का दोष लापरवाही और लोगों के बेरोक-टोक ट्रैक पर घुसने को दिया गया था. मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी एक जांच शुरू करवाई थी, जिसकी रिपोर्ट पिछले साल दे दी गई थी, लेकिन वो कभी सार्वजनिक नहीं की गई. ऐसा माना गया कि इस जांच में आयोजक, स्थानीय प्रशासन और रेलवे गेटमैन को दोषी ठहराया था. कथित तौर पर इस जांच में कार्यक्रम की चीफ गेस्ट नवजोत कौर को क्लीन चिट दे गई थी.
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