उत्तर प्रदेश के जेलों की आंतरिक सुरक्षा (Uttar Pradesh Crime) के दावों को धता बताते हुए अभी हाल ही में 2 ऐसे मामले आए हैं जिससे यह साफ हो गया है कि कुख्यात अपराधी पैसे के दम पर इन जेलों की सुरक्षा में आराम से सेंध लगा सकते हैं.
पहला वाकया इसी साल फरवरी महीने की 10 तारीख का है जब डीएम और एसपी के औचक निरीक्षण के दौरान माफिया मुख्तार अंसारी की बहू निखत बानो और उनके ड्राइवर को गिरफ्तार किया गया. निखत चित्रकूट जेल में बंद अपने पति अब्बास अंसारी से निर्धारित जगह से अलग एक कमरे में मिल रही थी.
निखत और उनके ड्राइवर की गिरफ्तारी के बाद रिमांड पर पूछताछ के दौरान चौंकाने वाले तथ्य सामने आए. जांच कर रहे आला अधिकारियों की मानें तो अब्बास अंसारी और उनकी पत्नी निखत को नियम विरुद्ध सुविधाएं उपलब्ध कराने में चित्रकूट जेल प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका थी जिन्होंने लाखों रुपए के एवज में जेल की नियम को ताक पर रख दिया. गंभीर आरोपों से घिरे इन तीनों जेल अधिकारियों को निलंबित कर गिरफ्तार कर लिया गया है.
अभी चित्रकूट जेल का मामला थमा नहीं था कि उधर 24 फरवरी को प्रयागराज में हुए उमेश पाल और उनके दो गनर के हत्या के तार बरेली जेल से जुड़ गए. उमेश पाल हत्याकांड में मुख्य आरोपी अतीक अहमद का छोटा भाई अशरफ इस समय बरेली जेल में बंद है. घटना की जांच की दिशा जब अशरफ की तरफ मुड़ी तब पता चला की अशरफ अपने साले सद्दाम और उनके गुर्गों से लगातार बरेली जेल में मिल रहा था. अशरफ के खाने पीने से लेकर रुपए तक- सारी सहूलियत की चीजें जेल में मुहैया हो रही थीं. इसके अलावा अशरफ का साला सद्दाम और उनके करीबी लगातार अशरफ से जेल में मुलाकात कर रहे थे.
इस पूरे मामले में जेल कैंटीन में सामान सप्लाई करने वाले दयाराम उर्फ नन्हे और बंदी रक्षक शिव हरी अवस्थी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. सूत्रों की मानें तो इस पूरे मामले में जेल के वरिष्ठ अधिकारियों की मिलीभगत भी सामने आई है लेकिन अभी तक जांच में इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है.
एक के बाद एक हुए इन दोनों घटनाओं के बाद उत्तर प्रदेश का जेल प्रशासन सकते में आ गया है. जेलों की सुरक्षा को लेकर खड़े हो रहे कई सवालों के बीच पुलिस महानिदेशक कारागार आनंद कुमार ने जेल के वरिष्ठ अधिकारियों को एक सर्कुलर के माध्यम से सख्त निर्देश जारी करते हुए लिखा है, कि जेल में बंद टॉप टेन अपराधियों की गतिविधियों की लाइव फीड सीसीटीवी के माध्यम से मुख्यालय को उपलब्ध कराई जाए.
साथ ही जेलों में बंद कुख्यात अपराधियों और आतंकी गतिविधियों में गिरफ्तार अपराधियों से मुलाकात को लेकर नए दिशा निर्देश भी जारी किए गए हैं.
हालांकि जेलों में घटित बड़ी वारदातों और चूक के बाद ऐसी कागजी कार्यवाहियां वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा हर बार की जाती है लेकिन कुछ कमी रह जाती है जिससे अपराधी सेंध लगाने में सफल हो जा रहे हैं. अब यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि जेल की सुरक्षा को लेकर किए गए इंतजाम मुकम्मल हैं या फिर ऐसे कागजी दिशा निर्देश बड़ी वारदात के बाद जेल प्रशासन का मीडिया में अपनी छवि सुधारने का सिर्फ एक हथकंडा है.
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