ADVERTISEMENTREMOVE AD

VIDEO | कैसे काशी कॉरिडोर प्लान झगड़े की गली में मुड़ चुका है

काशी वासी नहीं चाहते इस योजना में शामिल होना

Updated
छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

कैमरा: विक्रांत दूबे

वीडियो एडिटर: विशाल कुमार

प्रोड्यूसर: अभिनव भट्ट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की असल पहचान उसके मंदिर, घाट और गलियां हैं. लेकिन जब से 'नया' काशी बनाने की तैयारी शुरू हुई है, लोगों में गुस्सा और विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है.

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और गंगा पाथवे को बनाने की तैयारियां चल रही हैं. इस दौरान काशी की संकरी गलियों को 40 फुट तक चौड़ा किया जाएगा, जिससे कॉरिडोर के दायरे में आने वाले कई मकानों को तोड़ने की योजना है.

काशी वासी नहीं चाहते इस योजना में शामिल होना
अपने घरों को नहीं बेचना चाहते काशी निवासी
(फोटो: विक्रांत दूबे)
0

कॉरिडोर प्रोजेक्ट के खिलाफ उठी आवाजें

अब लोगों को डर है कि अगर ऐसा होता है तो वो कहां जाएंगे?

काशी विश्वनाथ क्षेत्र के निवासियों का कहना है कि कॉरिडोर के लिए गुपचुप तरीके से कई मकानों को खरीदा गया है, जो मकान नहीं देना चाहते हैं उन्हें डराया और धमकाया जा रहा है.

काशी वासी नहीं चाहते इस योजना में शामिल होना
काशी की संकरी गलियों को 40 फुट तक चौड़ा किया जाएगा
(फोटो: विक्रांत दूबे)

धरोहर बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष राजनाथ तिवारी के मुताबिक,

मकानों को खरीदा और बेचा जा रहा है, लेकिन अब तक किसी ने भी ये साफ नहीं किया है कि योजना क्या है. जमीन पर इन लोगों का आतंक बढ़ गया है. धमकियां दी जा रही हैं कि अगर अभी मकान नहीं बेचा तो बाद में अधिग्रहण कर लिया जाएगा और सही दाम भी नहीं मिल पाएगा.

हालांकि काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के सीईओ विशाल सिंह के मुताबिक, लोगों को डराने धमकाने की बात गलत है. उन्हें उचित रेट देकर मकान खरीदे जा रहे हैं. ये सारे काम मंदिर के विकास के लिए किए जा रहे हैं.

आस्था का सवाल

काशी का इतिहास काफी पुराना है. यहां के लगभग सभी घरों में मंदिर हैं. लोगों के लिए ये रहने का ठिकाना भी है और आस्था का केंद्र भी.

काशी वासी नहीं चाहते इस योजना में शामिल होना
लोग अपने प्राचीन घरों को देने के लिए तैयार नहीं 
(फोटो: विक्रांत दूबे)

नीलकंठ निवासी गौरी शंकर शुक्ला के मुताबिक, वो किसी भी कीमत पर अपना घर देने को तैयार नहीं हैं. उनका कहना है कि ऐसे विकास का कोई फायदा नहीं है जिसकी वजह से ऐतिहासिक धरोहरों को नुकसान हो.

'वाराणसी ही असली भारत'

इस प्रोजेक्ट की तैयारियों के बाद से यहां के टूरिस्ट गाइड भी काफी परेशान हैं.

काशी वासी नहीं चाहते इस योजना में शामिल होना

उनका कहना है कि विदेशी सैलानी यहां की ऐतिहासिक धरोहरों, मंदिरों और गलियों को ही देखने आते हैं. अगर ये सब टूट जाएगा तो फिर वो क्या देखने आएंगे.

फिलहाल, योजना दबे पांव आगे तो बढ़ रही है लेकिन लोगों के पुरजोर विरोध को देखते हुए जल्द आफत के बादल मंडराते भी दिखते हैं.

ये भी देखें- वीडियो | काशी विश्वनाथ मंदिर के पास क्या वाकई बन रही थी सुरंग?

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×