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मुंबई मेरी जान,कोरोना से लड़ाई में तुम्हारी असल शख्सियत कब दिखेगी?

ध्यान रहे कि तुम कोई साधारण शहर नहीं हो. तुम्हारे हालात का असर दूसरे भाइयों-बहनों पर भी पड़ता है मुबंई

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पिछले करीब 50 दिनों से तुम्हें कोमा में देखकर बड़ा अजीब लग रहा है. पता नहीं तुम्हारी ऐसी हालत और कितने दिनों तक रहने वाली है. तुमको इस हालत में रखने का बड़ा भारी नुकसान भी है.  करीब 25,000 करोड़ की चपत लग गई है और पता नहीं और कितने का फटका लगेगा.

तुम कहोगे कि तुम्हारा अब तक इतनी भयानक महामारी से सामना पहले कभी नहीं हुआ. तुम्हारे सगों में करीब 10,000 कोरोना वायरस की चपेट में हैं और 400 से ज्यादा अलविदा कह चुके हैं.

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तुम्हारे परिवार को बड़ा झटका लगा है. इसीलिए तुम्हारी चिंता है कि बाकी सदस्यों का कैसे खयाल रखा जाए. इसीलिए सबको तुम स्वस्थ रहने, सुरक्षित रहने का सलाह दे रहे हो. सही भी है. अपने परिवार का ऐसे ही तो खयाल रखा जाता है.

लेकिन ध्यान रहे कि तुम कोई साधारण शहर नहीं हो. तुम्हारे हालात का असर दूर-दराज रहने वाले दूसरे भाइयों-बहनों पर भी पड़ता है. कुछ आंकड़ों के जरिए मैं तुम्हें याद दिलाना चाहता हूं कि तुम हम सबकी जिंदगी में कितने खास हो.

  1. 2018 की ब्रुकिंग्स ग्लोबल मेट्रो मोनिटर तुमने देखी होगी. उसके हिसाब से दुनिया के 300 सबसे बड़े शहरों में,  2014 से 2016 के बीच, मनीला, जकार्ता, वुहान, इस्तानबुल, ढ़ाका अबु धाबी जैसे तेजी से बढ़ने वाले शहरों से भी ज्यादा नौकरियों तुमने ही दी. और बसे बसाए सन फ्रांसिस्को, लॉस एंजलेस, न्यू यॉर्क, बार्सिलोना और शंधाई जैसे शहरों को तो इस मामले में तुमने पीछे छोड़ ही दिया है.
  2. 2014 से 2016 के बीच तुम्हारा पर कैपिटा जीडीपी ग्रोथ 6.9 परसेंट रहा जो दुनिया के 300 बड़े शहरों में से अधिकांश से काफी ज्यादा है. डब्लिन, सन जोस और हैदराबाद जैसे कुछ चुनिंदा शहर ही इस मामले में तुमसे आगे रहे.
  3. तुमको पता ही होगा कि देश की अर्थव्यवस्था का करीब 7 परसेंट हिस्सा तुमसे ही आता है. इतने बड़े बोझ को तुम कई सालों से ढोते आ रहे हो. इसीलिए देश की रिकवरी के लिए जरूरी है कि तुम अपने पैरों पर जल्दी से खड़े हो जाओ.
  4. माना जाता है कि तुम्हारे यहां बड़े उद्योगपतियों का वास है. लेकिन 2014 के जे पी मॉर्गन चेज की एक रिपोर्ट पढ़कर तुम्हें इस बात का भी नाज होगा कि तुम्हारे यहां छोटे कारोबारियों का भी काफी खयाल रखा जाता है. रिपोर्ट के मुताबिक डिजाइन, फैशन, ज्यूलरी, टुरिज्म से जुड़े सेक्टर्स में तुम्हारे यहां छोटे करोबारियों को भी राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पहुंच का फायदा मिलता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि शहर क्रिएटिविटी, कंजप्शन के मामले में काफी आगे है और टैक्स जेनेरेशन में तो कितने को पीछे छोड़ ही चुका है.
  5. उसी रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के 54 सबसे बड़े उद्योग घरानों में 21 का हेडक्वाटर्स मुंबई में ही है. देश के पूरे अंतरराष्ट्रीय व्यापार का एक तिहाई हिस्सा इसी शहर से होता है. देश के कुल कस्टम ड्यूटी का 60 परसेंट और इनकम टैक्स का 40 परसेंट इसी शहर से आता है. ये बड़े भारी आंकड़े हैं और साबित करते हैं कि कॉरपोरेट सेक्टर के साथ-साथ सरकारी खजाने के लिए तुम्हारा सेहतमंद रहना काफी जरूरी है.
  6. अनुमान है कि तुमको एक महीने लॉकडाउन में रखने का मतलब है करीब 16,000 करोड़ रुपए का नुकसान. अनुमान के मुताबिक इस शहर में सालाना 4 लाख करोड़ रुपए का कारोबार होता है. इसमें से 80 परसेंट सर्विसेज सेक्टर में है. इसमें एक बार मांग गई तो फिर वो नुकसान हो गया.

तुमने लोगों पर भरोसा किया और लोगों नें तुम्हें हर मुसीबत से निकाला

तुम्हारी खासियतों की लिस्ट काफी लंबी है. तुम्हारे लोग, उसकी विविधता, वहां का लोकल रेल नेटवर्क जिसमें क्षमता से कई गुना लोग रोज सफर करते हैं, तुम्हारी पॉपुलेशन डेंसिटी जो किसी और शहर के लिए संभालना नामुमकिन जैसा लगता है- ये सारे माया नगरी को बहुआयामी बनाते हैं.

अब हाल के दिनों के कुछ मुसीबतों को भी देख लो. 1993 के बम धमाके और उससे पहले के सांप्रदायिक दंगे, 2005 की वो बाढ़ , 2008 का ताज और ट्राइडेंट होटल पर आतंकवादी हमला- ये सारी ऐसी घटनाएं थी जिसने तुम्हारे अस्तित्व पर सवाल खड़े किए थे.

इन सबके बावजूद तुम बुलंदी के साथ आगे बढ़े. क्या कोरोना संकट कुछ अलग होगा? मुझे पूरा भरोसा है कि मुंबई का जज्बा कोरोना पर भी विजय पाएगा.

इसके लिए जरूरी है कि तुम्हारे अभिभावक, जिनमें शहरी प्रशासन के अलावा राज्य और केंद्र की सरकारें भी हैं, लॉकडाउन के फायदे और उससे होने वाले नुकसान का सही आकलन करें.

मुझे पता है कि इसका जवाब आसान नहीं है. हमने इससे पहले ऐसी महामारी नहीं देखी है. फिलहाल हम सभी हवा में तीर मार रहे हैं. ऐसे में सबसे जरूरी है कि हमारे रिस्पांस में फ्लेक्सिबिलिटी होनी चाहिए. ऐसी महामारी जिससे लड़ाई में हम हर दिन कुछ नया सीख रहे हैं, उसको रोकने के लिए एक ही पॉलिसी को लगातार ढोते रहना सही है क्या?

हमने काफी लंबे समय तक सख्त लॉकडाउन करके देख लिया. क्या कोरोना के ग्राफ को फ्लेटेन कर पाए हैं. ऐसे में जरूरी नहीं है कि दूसरे तरीके आजमाए जाएं? शायद ऐसी पॉलिसी जिसके केंद्र में लोगों का सशक्तिकरण हो.

जिस मुंबई स्पिरिट को हम सलाम करते हैं वो भी तो वहां रहने वाले 2 करोड़ से ज्यादा लोगों के सामूहिक जज्बे का ही तो मूर्त रूप है. इसमें करोड़ो ऐसे सपनों को भी जोड़ दीजिए जिसके हिसाब से मुंबई उनके लिए जादू कर सकता है.

डियर मुंबई, चूंकि तुम करोड़ो सपनों के कस्टोडियन हो, तुम्हारी सही देखभाल हो, ये बेहद जरूरी है.  और तुम्हें फिर से याद दिला दूं कि तुम्हारी असली ताकत वहां रहने वालों का कभी नहीं हार मानने वाला जज्बा है. उसको पहचानो.

तुम्हारा एक प्रशंसक

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