रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी(Anil Ambani) को रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रा के डायरेक्टर के पद से इस्तीफा देना पड़ा है. SEBI ने एक ऑर्डर दिया था जिसमें उन्हें किसी भी लिस्टेड कंपनी के साथ जुड़ने पर पाबंदी लगाई गई थी. SEBI ने उन्हें फंड की गड़बड़ी करने का दोषी माना था। लेकिन अनिल अंबानी के लिए ये नौबत कैसे आई. आखिर मुकेश अंबानी की तरह धीरूभाई अंबानी की विरासत मिली थी? बिजनेस में लगातार नाकामी और परिवार से झगड़ा सबने मिलकर अनिल अंबानी के सितारे को अंधेरे में धकेला. अनिल अंबानी के एंपायर के डूबने की कहानी कॉरपोरेट जगत के लिए नसीहत का एक चैप्टर है
रिलायंस ग्रुप ऑफ कंपनीज में रिलायंस कम्यूनिकेशन, रिलायंस कैपिटल , रिलायंस इंफ्रा, रिलायंस पावर, रिलायंस डिफेंस और इंजीनियरिंग और रिलायंस डिफेंस टेक्नोलॉजी आती है
अनिल अंबानी की शुरुआत
अनिल अंबानी अपने मिड 40s में एक मैरॉथन धावक गजब के आत्मविश्वास से भरी शख्सियत थे .पिता धीरूभाई अंबानी के रहते हुए कॉरपोरेट वर्ल्ड में अपने एक्सस्ट्रोवर्ट पर्सनैलिटी से सबके चहेते थे. साल 2002 में पिता धीरुभाई अंबानी की मौत जब हुई तो उन्होंने मुकेश अंबानी के साथ मिलकर ही विरासत को संभाला. तब मुंबई के एक कॉलेज से केमिकल इंजीनियरिंग और स्टैनफोर्ड से MBA की डिग्री रखने वाले बड़े बेटे मुकेश RIL के चेयरमैन बन गए.
छोटे बेटे अनिल जो WHARTON से MBA थे वो बने MD. पेट्रोकेमिकल का पूरा कामकाज मुकेश संभालने लगे और टेक्सटाइटल में अनिल अंबानी का सिक्का चलने लगा. तब सबने ये समझा पिता की विरासत को दोनों भाई मिलकर आगे बढ़ाएंगे लेकिन जल्दी ही भाई-भाई में महाभारत छिड़ गई.
साम्राज्य का बंटवारा
साल 2005 आते आते मीडिया में कुछ कुछ रिपोर्ट्स आने लगीं कि भाइयों में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा. बिना किसी के नाम का जिक्र आए ही परिवार में बंटवारे की खबरें बढ़ती गई. आखिर मां कोकिला बेन की पहल पर साल 2005 में दोनों भाइयों में सुलह हुई. एग्रीमेंट ये हुआ कि न्यू एज बिजनेस टेलीकॉम जो तब भारतीय कारोबारी जगत में ध्रुवतारा की तरह चमक रहा था वो अनिल रखेंगे. अनिल के पास R COM , R POWER, R CAPITAL और R INFRA गया तो मुकेश अंबानी के पास ऑयल एंड गैस, पेट्रोकेमिकल, रिफाइनरी और मैन्युफैक्चरिंग आया. मुकेश अंबानी की नेटवर्थ उस वक्त 4.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी तो अनिल के पास 4.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर. दोनों भाइयों ने एक दूसरे से भविष्य में 5 साल तक किसी तरह का कारोबारी मुकाबला नहीं करने के करार पर दस्तखत किए.
अनिल अंबानी की तरक्की
रिलायंस अनिल धीरू भाई अंबानी ग्रुप –R-ADAG के चेयरमैन अनिल अंबानी की चमक उन दिनों देखते ही बनती थी. मीडिया में चारों तरफ वो छाए रहते. लेकिन मुकेश हमेशा मीडिया की चमकदमक से दूर रहते. अक्सर मीडिया मुंबई-दिल्ली में किसी मैराथन दौड़ में शामिल अनिल की फोटो और उनकी कारोबारी तरक्की के किस्से सुनाता. बात –बात में प्रेस कॉनफ्रेंस करके अपने प्रोडक्ट की जानकारी मीडिया को देना अनिल अंबानी को बहुत पसंद था. महानायक अमिताभ बच्चन और समाजवादी पार्टी अमर सिंह से निकटता की खबरें छपती थीं. उन्होंने शादी भी फिल्म स्टार टीना मुनिम से की थी. जब अपनी कंपनी के वो चेयरमैन बने तो फिल्म कारोबार में भी R-ADAG ग्रुप ने स्टीवेन स्पिलबर्ग के साथ पार्टनरशिप की. बाद में एडलैब्स को खरीदकर सबसे बड़े मल्टीप्लेक्स चेन ओनर बन गए.
अनिल पर मुश्किलों के बादल
यहां तक तो अनिल अंबानी की कंपनी ठीक ही चल रही थी . लेकिन रिस्क को ठीक से कैलकुलेट किए बिना ही अनिल लगातार विस्तार करते गए. तब सस्ते कर्ज का जमाना था और देश के कई दिग्गज कारोबारी घराने पावर और इंफ्रा पर बुलिश थे. न्यू एज बिजनेस पर फोकस रखने वाले अनिल भी कहां पीछे रहने वाले थे. सो उन्होंने भी कदम बढ़ा दिए. 2008 में रिलायंस पावर ने एक आईपीओ से रिकॉर्ड 11563 करोड़ रुपए जुटाए . तब 2008 में ही अनिल FORBES की अमीरों की सूची में दुनिया में छठे नंबर पर थे.
अनिल के एंपायर पर मुश्किलें तब बढ़ी जब 2G स्पेक्ट्रम हुआ. ए राजा ने जिस तरह स्पेक्ट्रम बांटे उससे भी अनिल की परेशानी बढ़ी. उधर दादरी पावर प्लांट के लिए KG बेसिन यानि मुकेश अंबानी से जो गैस अनिल को मिलनी थी वो नहीं मिली. अनिल अंबानी ने मामले को कोर्ट में घसीटा. बाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से गैसे देने के लिए मुकेश राजी हुए लेकिन दोनों भाइयों के बीच जो आपसी कंपीटिशन नहीं करने का क्लॉज था वो खत्म हो गया.
JIO की एंट्री और अनिल अंबानी के RCOM का डूबना
साल 2010 में आपस में कंपीटीशन नहीं करने के दोनों भाइयों के बीच का क्लॉज खत्म होते ही मुकेश अंबानी ने टेलीकॉम में एंट्री मारी और RCOM जिसका अब तक एकछत्र राज था उसके दुर्दिन शुरु हो गए। साल 2016 में सुपीरियर 4G टेक्नोलॉजी के साथ JIO की एंट्री ने RCOM का भट्ठा बिठा दिया. टेलीकॉम में पिछड़ने और निवेश में नुकसान के बाद अनिल बुरी तरह कर्ज के जाल में फंस चुके थे. आखिर में नौबत एक एक करके अपनी एसेट बेचने की आ गई. RCom ने कई अनमोल पूंजियां बेचकर कर्ज चुकाने की कोशिश की. दिसंबर 2017 में रिलायंस जियो के साथ 23,000 करोड़ रुपए की डील भी की. लेकिन ये पूरी नहीं हो पाई
दरअसल टेलीकॉम डिपार्टमेंट ने मुकेश अंबानी से कहा कि अगर वो R COM को खरीदते हैं तो उन्हें RCOM के कर्ज भी लेने होंगे
फिर ये डील खत्म हो गई. उसके बाद से अनिल अंबानी का सितारा ऐसा डूबा कि वो उससे उबर नहीं पा रहे हैं. एक एक करके उनको कंपनियां बेचनी पड़ी रही हैं. अपनी ही कंपनियों से अनिल अंबानी को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है. अब उन्हें रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रा से भी इस्तीफा देना पड़ा. पीरामल कैपिटल और हाउसिंग फाइनेंस ने पहले ही उनको 526 करोड़ रुपए का एक लोन नहीं चुकाने को लेकर NCLAT में घसीट लिया है. ऐसे में क्या अनिल अंबानी कभी कम बैक कर पाएंगे ? वैसे अनिल भी फाइटर रहे हैं ..उन्हें एक बड़ी डील की जरूरत है जो उन्हें इस मुसीबत से निकल सके.
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