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Bangladesh Election: शेख हसीना और अवामी लीग को मिली एक नई जिंदगी

Bangladesh Election 2024: यह देखते हुए कि 60% पात्र मतदाताओं ने वोटिंग नहीं किया, BNP का दावा है कि उसका बहिष्कार सफल रहा.

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बांग्लादेश (Bangladesh) के 42 हजार से ज्यादा मतदान केंद्रों पर आठ घंटे की वोटिंग के बाद रात भर में 12वें आम चुनाव के नतीजे सामने आए. देश की चार बार की प्रधानमंत्री शेख हसीना पांचवी बार उसी पद को संभालने जा रही हैं. 170 मिलियन की आबादी वाले देश में 119 मिलियन मतदाताओं के लिए चुनाव नतीजों को एक नियति के रूप में देखा गया है.

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पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने 'डमी इलेक्शन' कहे जाने वाले चुनाव में भाग नहीं लेने का फैसला किया. हर कोई जानता था कि चुनाव के नतीजे क्या होंगे. और वही हुआ. सत्तारूढ़ अवामी लीग (AL) की जीत हुई.

Bangladesh Election 2024: यह देखते हुए कि 60% पात्र मतदाताओं ने वोटिंग नहीं किया, BNP का दावा है कि उसका बहिष्कार सफल रहा.

2024 बांग्लादेश आम चुनाव में अपना वोट डालने के लिए कतार में खड़े लोग.

(फोटो: जिबोन अहमद) 

'निर्दलीय' उम्मीदवारों की रिकॉर्ड जीत

चुनाव आयोग की ओर से जारी किए गए अनौपचारिक नतीजे बताते हैं कि अवामी लीग (AL) ने जातीय संसद (बांग्लादेश की संसद) में 299 में से 223 सीटें हासिल कीं. एक उम्मीदवार की मौत होने की वजह से एक सीट पर वोटिंग रोक दी गई थी.

Bangladesh Election 2024: यह देखते हुए कि 60% पात्र मतदाताओं ने वोटिंग नहीं किया, BNP का दावा है कि उसका बहिष्कार सफल रहा.

दिवंगत जनरल एच एम इरशाद की जातीय पार्टी की चुनाव में सबसे बड़ी हार होती दिख रही है. इसकी सीटें आधे से भी कम हो गई हैं, पार्टी को मात्र 11 सीटें मिलती दिख रही हैं. जातीय पार्टी (इरशाद), AL के गठबंधन सहयोगी और एक विपक्ष होने की अपनी संदिग्ध दोहरी भूमिका के लिए जानी जाती है.

हालांकि, AL ने 26 निर्वाचन क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार नहीं उतारकर जातीय पार्टी को 'वॉकओवर' दे दिया, लेकिन अन्य AL नेताओं ने (जिन्होंने स्वतंत्र उम्मीदवारों के रूप में चुनाव लड़ने का फैसला किया) जातीय पार्टी के उम्मीदवारों को कड़ी चुनौती दी.

Bangladesh Election 2024: यह देखते हुए कि 60% पात्र मतदाताओं ने वोटिंग नहीं किया, BNP का दावा है कि उसका बहिष्कार सफल रहा.

आम चुनाव में वोट डालती एक महिला

(फोटो: जिबोन अहमद)

Bangladesh Election 2024: यह देखते हुए कि 60% पात्र मतदाताओं ने वोटिंग नहीं किया, BNP का दावा है कि उसका बहिष्कार सफल रहा.

व्हीलचेयर पर एक व्यक्ति को मतदान केंद्र पर लाया जा रहा

(फोटो: जिबोन अहमद)

इस चुनाव में अगर सबसे ज्यादा गौर करने वाली बात है, तो वो रिकॉर्ड 61 निर्दलीय उम्मीदवारों की जीत है. और उनमें से 58 वास्तव में सत्तारूढ़ दल के नेता हैं, जिन्हें पार्टी प्रमुख शेख हसीना ने उन सीटों पर AL के आधिकारिक उम्मीदवारों की कीमत पर चुनाव लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया था, जिससे इस चुनाव को प्रतिस्पर्धी बनाने और वोटर्स को आकर्षित करने में मदद मिल सके.

आधिकारिक पार्टी के उम्मीदवारों के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवारों को खड़ा करने से AL को फायदा मिला है. वहीं ऐसा अंदेशा जताया जा रहा था कि चुनाव में वोटिंग के लिए बेहद कम लोग आएंगे, लेकिन आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, कम से कम 40 प्रतिशत मतदाता सामने आने में सफल रहे.

लेकिन कई 'राजा की पार्टियों' ने, जाहिर तौर पर सत्ता में मौजूद पार्टी के सपोर्ट से, 300 निर्वाचन क्षेत्रों में सैकड़ों उम्मीदवार उतारे थे, जो एक भी सीट सुरक्षित करने में कामयाब नहीं हो पाईं.

अवामी लीग के बने रहने के लिए एक नई लीज

यह देखते हुए कि 60 फीसदी पात्र मतदाताओं ने रविवार को अपना वोट नहीं डाला, BNP का दावा है कि वह लोगों से बहिष्कार की अपनी अपील में कामयाब रही. BNP और उसके सहयोगी नई सरकार को स्वीकार नहीं करेंगे और एक तटस्थ, गैर-पक्षपातपूर्ण, कार्यवाहक सरकार के तहत नए सिरे से चुनाव कराने के लिए आंदोलन जारी रखने की कसम खाई है.

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1973 के बाद से बांग्लादेश में हुए 12 राष्ट्रीय चुनावों में से चार गैर-पक्षपातपूर्ण कार्यवाहक प्रशासन के तहत हुए (यानी 1991, 1996, 2001 और 2008) और वे चुनावी तटस्थता और निष्पक्षता के मामले में यकीनन सबसे अच्छे थे.

Bangladesh Election 2024: यह देखते हुए कि 60% पात्र मतदाताओं ने वोटिंग नहीं किया, BNP का दावा है कि उसका बहिष्कार सफल रहा.

मतदान पेटी के साथ एक चुनाव अधिकारी

(फोटो: जिबोन अहमद)

Bangladesh Election 2024: यह देखते हुए कि 60% पात्र मतदाताओं ने वोटिंग नहीं किया, BNP का दावा है कि उसका बहिष्कार सफल रहा.

चुनाव चिन्हों के साथ पार्टियों की लिस्ट.

(फोटो: जिबोन अहमद)

2014 और 2018 में AL सरकार के तहत हुए संदिग्ध चुनावों के बाद, धांधली के कई आरोपों के साथ, BNP और उसके सहयोगियों ने जोरदार आह्वान किया और 2024 के चुनावों को प्रशासित करने के लिए एक कार्यवाहक सरकार की मांग करते हुए लंबे वक्त तक सड़क पर आंदोलन किया, लेकिन AL नहीं मानी.

हालांकि, चुनाव की निष्पक्षता पर ज्यादा सवाल नहीं हैं, लेकिन यह देश के गैर-समावेशी, गैर-भागीदारी वाले चुनावों के इतिहास में एक लंबा सफर तय करेगा. इस चुनाव से AL को जो नई जिंदगी मिली है, वह अनिवार्य रूप से बांग्लादेश के बारहमासी राजनीतिक विभाजन में और ज्यादा दरारें पैदा करेगा.

फिलहाल, दुनिया की सबसे लंबे समय तक सेवा में रहने वाली महिला राष्ट्र प्रमुख शेख हसीना, उस देश की प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने के लिए तैयार हैं, जिस पर वह पहले ही 20 सालों तक शासन कर चुकी हैं.

(रेयाज़ अहमद, Dhaka Tribune के एक्जीक्यूटिव एडिटर हैं. यह एक ओपिनियन पीस है और व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने हैं. द क्विंट न तो उनका समर्थन करता है और न ही उनके लिए जिम्मेदार है.)

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