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बृजभूषण सिंह और रुबियालेस: स्पेन ने महिला खिलाड़ियों का साथ दिया, क्या भारत कभी देगा?

स्पेनिश फुटबॉलर को बिना सहमति किस करने के लिए लुइस रुबियालेस को स्पेन फुटबॉल महासंघ प्रमुख के पद से सस्पेंड कर दिया गया है

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स्पेन के फुटबॉल महासंघ, RFEF (रॉयल स्पेनिश फुटबॉल फेडरेशन) के निलंबित प्रमुख लुइस रुबियालेस अब अपने देश के नंबर एक विलेन के रूप में जाने जा रहे हैं.

लुइस रुबियालेस कुछ दिन पहले ही अपने करियर के शिखर पर थे, जब स्पेन की महिला फुटबॉल टीम ने FIFA वर्ल्ड कप जीता था. लेकिन इसी ऐतिहासिक जीत के बाद सिडनी में जब मेडल समारोह हुआ तो लुइस रुबियालेस ने स्पेनिश फुटबॉलर जेनी हर्मोसो के होठों पर 'जबरन' किस किया.

इसी के साथ रुबियालेस के लिए सब कुछ खत्म हो गया. तब से, रुबियालेस ने जब भी जेनी हर्मोसो को झूठा बताने की कोशिशों की, उसे नाकामी ही हाथ लगी.

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अब शायद रुबियालेस कहीं से प्रेरणा खोजना की तलाश में होंगे कि इस मामले में आगे कैसे बढ़ा जाए. ऐसे में अगर उन्हें भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के हाल में निलंबित हुए अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह के बारे में पता लगेगा और वो उनकी सराहना करेंगे क्योंकि अभी तक भारत में पहलवानों के शोषण मामले में बृज भूषण का पलड़ा भारी है.

भारत और विदेश में हुए कई इवेंट के दौरान और यहां तक ​​कि उनके घर में भी कई महिला पहलवानों द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना करने के बावजूद, बृजभूषण सिंह को बाहर का रास्ता नहीं दिखाया गया.

बृजभूषण सिंह पर जो आरोप लगे हैं, वे रुबियालेस पर लगे आरोपों से कहीं बढ़कर हैं. यहां तक कि भारत के कुछ बेहतरीन और दिग्गज वैश्विक मेजल विजेता पहलवानों - विनेश फोगट, बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक - ने उनके खिलाफ महीनों तक भारत की सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया. लेकिन फिर भी सरकार इतनी हिम्मत नहीं दिखा पाई कि वह बृज भूषण की जगह किसी और को ला सके.

तो, आइए एक तुलना करने का प्रयास करते हैं. लुइस रुबियालेस बनाम बृज भूषण शरण सिंह. स्पेन बनाम भारत. किस देश ने अपने दिग्गज के खिलाफ यौन दुर्व्यवहार के आरोपों पर बेहतर प्रतिक्रिया दी? किस देश ने अपनी महिला खिलाड़ियों का समर्थन किया और किस देश ने उन्हें निराश किया?

मुझे डर है कि इन सवालों के जवाबों को पढ़ना हम भारतीयों को अच्छा नहीं लगेगा.

रुबियालेस वाली घटना कैसे घटी?

रुबियालेस ने ये दिखाने की काफी कोशिश की कि उसने जो अपराध किया है वो कोई बड़ा अपराध नहीं है. रुबियालेस ने यह ऑन रिकॉर्ड कहा कि किस "अचानक हुआ, दोनों तरफ से हुआ, उत्साह में आकर किया गया और दोनों की सहमति से था." उन्होंने इसे 'गलती' मानकर पल्ला झाड़ने की कोशिश की.

रुबियालेस ने RFEF द्वारा जेनी को झूठा साबित करवाने की कोशिश की और यहां तक ​​कि उसे कानूनी कार्रवाई की धमकी भी दी. लेकिन इनमें से रुबियालेस के पक्ष में कुछ काम नहीं आया है. रूबियालेस के पक्ष में कोई नहीं था - न स्पेन की सरकार, न फुटबॉल बिरादरी और न ही स्पेन के फुटबॉल दीवाने.

जेनी ने इस बात से इनकार किया कि 'किस' सहमति से हुआ था और कहा कि वह उस पल बेहद असुरक्षित महसूस कर रही थी. बृजभूषण सिंह की तरह रुबियालेस भी इस मामले के दौरान सख्त रहे. मीडिया को संबोधित करते हुए उन्होंने जोर देकर कहा कि वह इस्तीफा नहीं देंगे और दावा किया कि उन पर 'झूठे नारीवादियों/फेमिनिस्ट्स' द्वारा हमला किया जा रहा है. लेकिन वह किसी के आक्रोश या उनके खिलाफ हुए एक्शन को नहीं रोक सके.

उन्हें फीफा द्वारा तुरंत 90 दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया था, जबकि वे शक्तिशाली यूनियन ऑफ यूरोपियन फुटबॉल एसोसिएशन (यूईएफए) के उपाध्यक्ष थे, फिर भी उन्हें कहीं से भी मदद नहीं मिली. स्पेन सरकार ने उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही शुरू कर दी है.
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यहां तक ​​कि RFEF को भी घटना के लिए जांच बैठानी पड़ी, जिसका वे 2018 से नेतृत्व और नियंत्रण कर रहे हैं. स्पेन के प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों ने उनकी आलोचना की. जावी हर्नांडेज, एंड्रेस इनिएस्ता, इकर कैसिलस, डेविड डीगया सहित शीर्ष स्पेनिश फुटबॉल सितारों ने भी उनके खिलाफ बोला.

पूरी स्पेनिश महिला टीम पूरी तरह से जेनी के साथ है - जब तक कि रुबियालेस इस्तीफा नहीं दे देते, उन्होंने स्पेन के लिए फिर से खेलने से इनकार कर दिया. स्पैनिश ला लीगा टीमें और दर्शक 'कॉन्टिगो जेनी', जिसका अर्थ है 'जेनी हम आपके साथ हैं', लिखे बैनर और स्पोर्टिंग रिस्टबैंड का इस्तेमाल कर रहे हैं.

सेविला पुरुष फुटबॉल टीम ने #SeAcabo लिखी टी-शर्ट पहनी थी, जिसका अर्थ है 'यह खत्म हो गया है'. और अब ऐसा लग रहा है कि रुबियालेस के लिए सब कुछ खत्म हो गया है.
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लेकिन बृजभूषण के चारों ओर सब शांति-शांति है

इसके विपरीत, बृजभूषण सिंह के मामले को देखिए. प्रधानमंत्री ने उनकी आलोचना नहीं की. न ही किसी अन्य मंत्री ने बृज भूषण के बारे में कुछ बोला. हां, उन्हें बचाने की कोशिशें जरूर हो रही हैं.

अनुराग ठाकुर के नेतृत्व वाले खेल मंत्रालय ने आरोपों की जांच के लिए एक आंतरिक निरीक्षण समिति का गठन किया, जिसकी अध्यक्षता भारत की सबसे प्रतिष्ठित खिलाड़ी मैरी कॉम ने की. लेकिन अप्रैल 2023 में समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है और मैरी कॉम खुद चुप हैं.

एक और बड़ी भारतीय स्पोर्ट्स स्टार जो बोल सकती थी, वह पीटी उषा थीं, जो भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की पहली महिला और वर्तमान प्रमुख हैं. लेकिन उषा ने विरोध करने वाले पहलवानों की आलोचना करते हुए कहा कि वे 'भारत की छवि खराब कर रहे हैं' और विरोध को 'अनुशासनहीनता' भी बताया.

इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि मैरी कॉम और पीटी उषा, दोनों ही बीजेपी द्वारा नामित संसद सदस्य हैं. ऐसा लगता है कि दोनों दिग्गजों की पार्टी की वफादारी ने उन पहलवानों के प्रति उनकी जिम्मेदारी को खत्म कर दिया है जिन्होंने बृज भूषण पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाकर अपने खेल करियर को खतरे में डाल दिया है.

यहां तक ​​कि बीजेपी नेता योगेश्वर दत्त और बबीता फोगट जैसे प्रमुख पहलवानों ने भी विरोध करने वाले पहलवानों की आलोचना करना ही सही समझा. वहीं बबीता फोगाट की बहन संगीता और चचेरी बहन विनेश प्रमुख प्रदर्शनकारियों में से हैं. बबीता की पार्टी के प्रति वफादारी ज्यादा है और आपसी रिश्तों के प्रति शून्य!

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इसके विपरीत, 31 अगस्त को यूईएफए के अवॉर्ड कार्यक्रम पर एक नजर डालें तो यहां भी रुबियालेस को बख्शा नहीं गया. जेनी हर्मोसो की राष्ट्रीय और बार्सिलोना टीम की साथी ऐटाना बोनमती ने यूईएफए महिला प्लेयर ऑफ द ईयर पुरस्कार स्वीकार करते हुए कहा,

"स्पेनिश फुटबॉल के लिए यह अच्छा समय नहीं है... एक समाज के रूप में हमें सत्ता के दुरुपयोग की अनुमति नहीं देनी चाहिए, न ही अनादर को बढ़ावा देना चाहिए... उन सभी महिलाओं के लिए जो जेनी के साथ हुई घटना का शिकार हुई हैं, हम आपके साथ खड़े हैं."

बोनमती फुटबॉल के प्रमुखों के सामने झुक सकती थी, जो उनके करियर, उनकी आजीविका को नियंत्रित करते हैं. लेकिन उन्होंने एक खेल आइकन के रूप में अपनी जिम्मेदारी को समझा और जेनी का समर्थन करने के लिए अपने लिए उपलब्ध सबसे बड़े मंच का इस्तेमाल किया. यह भारत के कई शक्तिशाली खेल आइकनों के लिए एक सबक है, जो अक्सर तब चुप रहते हैं जब आवाज उठाने की जरूरत सबसे ज्यादा होती है.

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नीचे दी गई तस्वीर विनेश फोगट, बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक की है, जिनके साथ पुलिस ने दुर्व्यवहार किया, क्योंकि उन्होंने हमारे नए संसद भवन के सामने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया था.

ये तस्वीरें नई संसद के उद्घाटन समारोह में शामिल हुए बृजभूषण सिंह की तस्वीरों से एकदम अलग थीं. पूछने लायक सवाल यह है कि - यौन उत्पीड़न के आरोपी को इतना समर्थन क्यों, जबकि भारत के शीर्ष पहलवानों के साथ आम अपराधियों जैसा व्यवहार किया जाता है?

इसका सीधा जवाब है कि बृजभूषण शरण सिंह एक 'नेता' हैं. और कोई ऐसा वैसा 'नेता' नहीं. उत्तर प्रदेश में वह 6 लोकसभा सीटों- गोंडा, श्रावस्ती, कैसरगंज, बहराईच, डोमरियागंज और फैजाबाद तक के नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं.

6 बार के लोकसभा सांसद और ठाकुर नेता बीजेपी के लिए अपने महत्व के बारे में इतने जागरूक हैं कि उन्होंने अतीत में योगी आदित्यनाथ की आलोचना करने का साहस भी किया है. 2008 में उन्होंने कुछ समय के लिए बीजेपी भी छोड़ दी और समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे.

उन्होंने हाल ही में ऐसे संकेत भी दिए कि वह फिर से बीजेपी छोड़ सकते हैं. यह इस प्रकार का वास्तविक राजनीतिक प्रभाव है जिसका लुइस रुबियालेस में अभाव है. जबकि भारत में राजनेताओं द्वारा खेल चलाना लगभग सामान्य बात है, स्पेन जैसे देशों में यह दुर्लभ है.

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सर्वेक्षणकर्ताओं का कहना है कि 2024 के आम चुनावों से ठीक पहले, सत्तारूढ़ एनडीए और नए 'INDIA' विपक्षी गठबंधन के बीच अंतर कम हो रहा है. यानी यूपी में बृजभूषण के 'कब्जे' वाली 6 सीटों की कीमत, जो पहले से ही बहुत ज्यादा थी, अब और बढ़ गई है.

बहस यहीं खत्म नहीं होती, और भी बहुत कुछ है - सितंबर 2023 में बेलग्रेड में आगामी विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में भारत की कुश्ती टीम को राष्ट्रीय ध्वज के तहत भाग लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी! क्यों? क्योंकि WFI को उसकी विश्व संस्था यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) ने निलंबित कर दिया है. और ऐसा क्यों है? क्योंकि WFI नए प्रमुख की तलाश के लिए अब तक चुनाव नहीं करा पाया है.

पहले से लंबित हो रहे चुनाव को कई बार स्थगित किया गया - 7 मई से 6 जुलाई तक, 11 जुलाई से 12 अगस्त तक इसके बाद UWW को WFI को निलंबित करना पड़ा.

ऐसे देश में जहां राष्ट्रीय प्रतीक बहुत मायने रखते हैं, भारत सरकार ने सिंह को बदलने की जगह हमारे पहलवानों के भारतीय ध्वज के बिना भाग लेने की राष्ट्रीय शर्मिंदगी को प्राथमिकता दी है.

ऐसा शायद इसलिए हुआ क्योंकि यदि डब्ल्यूएफआई में चुनाव होता और बृज भूषण द्वारा समर्थित उम्मीदवार हार गया होता, तो इससे एक राजनीतिक आपदा आ जाती जिसे बीजेपी बर्दाश्त नहीं कर सकती थी.

इस बीच, लुइस रुबियालेस को केवल तिनके का सहारा ही है. हाल में उनकी मां को उनके समर्थन में भूख हड़ताल पर बैठाना पड़ा है. यह सब थोड़ा नाटकीय है ये काम नहीं करेगा. अब यही कह सकते हैं कि रुबियालेस की तीव्र इच्छा होगी कि वह भारत में होते, स्पेन में नहीं.

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