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कैंसर पर बेकार की बातें करने वाले मंत्री पर आपको गुस्‍सा नहीं आता?

ये कब होगा कि बीजेपी का कोई बड़ा नेता हेमंत बिस्व सरमा को फोन करके हड़काए और माफी मांगने को कहेगा

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मेरे सामने एक तरफ कैंसर पीड़ितों को ‘पापी’ घोषित करता असम के स्वास्थ्य मंत्री हेमंत बिस्व सरमा का बयान है, दूसरी तरफ अपनी बेटी की तरह दिखने वाली एक दोस्त की बेटी का चेहरा, जो कैंसर से जूझते-जूझते इस दुनिया से चली गई.

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जितनी बार असम के इस मंत्री के बकवास बयान के बारे में सोचता हूं, उतनी बार गुस्से से भर उठता हूं कि कोई मंत्री कैसे कैंसर से जूझते-मरते लाखों लोगों के लिए ऐसे बयान दे सकता है? कब ये होगा कि दिल्ली में बैठा बीजेपी का कोई तो बड़ा नेता हेमंत बिस्व सरमा को फोन करके हड़काए और कहे कि उन्हीं कैमरों के सामने आकर माफी मांगो, जिन कैमरों के सामने अपनी मंदबुद्धि से दुनियाभर के कैंसर पीड़ितों का मजाक उड़ाया है.

क्या माफी मांगेंगे बिस्व सरमा?

अभी तक तो वो कैंसर से मरने वालों को 'पापी' मानने की थ्योरी पर कायम हैं. हेमंत बिस्व सरमा ने कहा है, ''जब हम पाप करते हैं, तो भगवान हमें उसकी सजा देता है. कई बार इस तरह की खबरें सामने आती हैं कि किसी युवा को कैंसर हो गया या फिर कोई दुर्घटना का शिकार हो गया. अगर हम इन कारणों के पीछे जाएंगे, तो पाएंगे कि दैवीय न्याय के कारण ऐसा हुआ है.''

गुवाहाटी में आयोजित एक कार्यक्रम में कैंसर पीड़ितों को ‘पिछले जन्म का पापी‘ करार करते हुए असम की बीजेपी सरकार के स्वास्थ्य मंत्री ने यहां तक कह डाला:

कोई जरूरी नहीं है कि यह गलती हम खुद करें. कई बार संभव है कि शायद मेरे माता-पिता कोई गलती करें. कोई भी गलती करेगा, तो दैवीय न्याय से बचा नहीं जा सकता. उसका परिणाम भुगतना पड़ता है. गीता और बाइबल में भी इसका जिक्र है.
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मेरे दोस्त की उस बच्ची ने तो यकीनन अपने इस जन्म में कोई गुनाह नहीं किया था, तो क्या उसके पूर्व जन्म के गुनाहों की सजा कैंसर के रूप में उसे मिली? या फिर उसे बचाने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा देने वाले मेरे उस दोस्त के गुनाह की सजा उसकी बेटी को मिली? ऐसे न जाने कितने बच्चे, बूढ़े, युवा, महिलाएं हर रोज कैंसर का शिकार हो रहे हैं. तो क्या सबके सब दैवीय न्याय के तहत मौत के मुंह में धकेल दिए गए? एक मंत्री से ऐसे मूर्खतापूर्ण बयान की उम्मीद हम कैसे कर सकते हैं?

सब कैंसर मरीज पूर्व जन्म के पापी हैं?

जिस कैंसर का इलाज खोजने में दशकों से पूरी दुनिया जुटी है, जिस कैंसर के खिलाफ लड़ने की मुहिम के लिए वर्ल्ड कैंसर डे मनाया जाता है, उस कैंसर को असम के इस मंत्री ने पूर्व जन्म का पाप घोषित कर दिया है. हेमंत बिस्व सरमा जिस सूबे के स्वास्थ्य मंत्री हैं, उसी सूबे में पिछले पांच साल के दौरान करीब 90 हजार कैंसर मरीजों की पहचान हुई है.

तो क्या ये सब पूर्व जन्म के पापी हैं? क्या इनके पिछले जन्म के पाप की सजा भगवान इस जन्म में दे रहा हैं? हेमंत बिस्व सरमा ने ये भी कहा कि माता-पिता ने भी अगर कोई गलती की होगी, तो उसकी भी सजा भुगतनी पड़ सकती है.

कैंसर पीड़ितों में भारत नंबर-1

मंत्री जी के हिसाब से मानें, तो सरकारी आंकड़ों में दर्ज देश में जो 33 लाख कैंसर पीड़ित हैं, उन्हें या तो पूर्व जन्म के गुनाहों की सजा मिल रही है या फिर उनके माता-पिता के पापों की सजा. असम के स्वास्थ्य मंत्री के इस मूर्खतापूर्ण बयान के बाद मैंने थोड़ा रिसर्च किया, तो पता चला कि दुनिया में कैंसर से होने वाली मौतों में भारत का नंबर अव्वल है. मतलब हर साल कैंसर से सबसेअधिक मौतें भारत में होती हैं.

तो क्या मान लिया जाए कि दुनिया में सबसे अधिक ‘पापी‘ भारत में हैं और भगवान उन्हें पूर्व जन्म की सजा दे रहा है? हैरत की बात तो ये है कि अपने मूर्खतापूर्ण बयान की वजह से आलोचनाओं में घिरने के बाद भी हेमंत बिस्व सरमा माफी मांगने की बजाय अपनी बातों को सही साबित करने की कोशिश ही करते दिखे.

मंत्री को अपने किए पर कोई पछतावा नहीं

पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने ट्वीट के जवाब में बिस्व सरमा ने जो लिखा, उससे साफ है कि उन्हें अपने कहे पर न तो कोई पछतावा है, न ही वो पीछे हटने को तैयार हैं.

चिंदबरम ने ट्विटर पर लिखा,  ''असम के मंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने कहा, कैंसर पिछले जन्म के पाप का फल है. एक आदमी पर पार्टी बदलने का क्या यह असर होता है.''

तो बिस्व सरमा ने जवाब दिया, “हिंदू धर्म में यह मान्‍यता है कि पिछले जन्‍म के कर्मों से मनुष्‍य के दु:ख जुड़े हुए हैं.”

इतना ही नहीं उन्होंने एक कदम आगे बढ़कर चिदंबरम से पूछा भी कि “क्‍या आप यह नहीं मानते हैं? बिल्‍कुल आपकी पार्टी में मुझे नहीं मालूम कि हिंदू धर्म दर्शन पर बात होती भी है?”

अब सवाल ये नहीं है कि चिदंबरम की पार्टी में हिन्दू धर्म दर्शन पर बात होती है या नहीं, सवाल ये है कि क्या हेमंत बिस्व सरमा की पार्टी में हिन्दू धर्म दर्शन की ये व्याख्या होती है कि हर महीने देश मरने वाले हजारों कैंसर पीड़ितों को उनके पूर्व जन्म की सजा मिली है? या उन्हें उनके मां-बाप के गुनाहों की सजा मिलीहै?

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क्या लाखों लोगों का यूं मजाक उड़ाना ठीक?

असम विधानसभा चुनाव के पहले तक कांग्रेसी विधायक रहे हेमंत बिस्व सरमा का बीजेपी में शामिल होने के बाद दो सालों में ही इतना ‘कायांतरण‘ हो गया है कि हिन्दू दर्शन की ऐसी व्याख्या करने लगे? कोई मंत्री क्या इस हद तक गैरजिम्मेदार हो सकता है कि कैंसर जैसी बीमारी से मरने वाले या जूझने वाले लाखों लोगों का यूं मजाक उड़ाए?

कैंसर पर पूरी दुनिया में दशकों से रिसर्च हो रहा है. इस देश के तमाम बड़े शहरों में कैंसर के लिए अलग से अस्पताल खोले गए हैं. फिर भी हर साल पांच से छह लाख लोगों को बचाने में नाकामी ही हाथ लगती है. महंगे इलाज और बड़े अस्पताल जिन कैंसर पीड़ितों की पहुंच से दूर होते हैं, उनकी मौत हो जाती है.

कई बार सब कुछ होने के बाद भी कैंसर इस कदर लाइलाज हो जाता है कि मरीज को बचाना किसी के बूते की बात नहीं होती. हाल ही में सांसद और अभिनेता विनोद खन्ना कैंसर से जूझते हुए चल बसे थे. इससे पहले राजेश खन्ना, आदेश श्रीवास्तव, नरगिस समेत फिल्मी दुनिया की कई हस्तियां कैंसर की भेंट चढ़ चुकी हैं.

दूसरी तरफ युवराज सिंह, लीजा रे, मनीषा कोइराला, अनुराग बासु जैसी मशहूर हस्तियां हैं, जिन्हें महंगे इलाज के दम पर बचाया जा सका है. दुनियाभर में कैंसर से मरने और बचने वाले नामचीन लोगों की लंबी फेहरिस्‍त है. इन्हीं में हॉलीवुड अभिनेत्री एंजलीना जोली जैसी भी हैं, जो कैंसर से बच गईं तो कैंसर के खिलाफ लड़ाई में जुट गई हैं. दुनिया भर में लाखों बच्चे और महिलाएं कैंसर की शिकार हैं, जिन्हें बचाने की कोशिशें हो रही हैं.

हर साल कैंसर से मरने वालों की तादाद 80-90 लाख

हर रोज इस देश में अब भी करीब 1300 लोग कैंसर से मरते हैं. मौत के बाद वो सिर्फ आंकड़ों में दर्ज होकर रह जाते हैं. जिंदगी की फाइल एक दिन में बंद हो जाती है. दुनिया में हर साल कैंसर से मरने वालों की तादाद 80 से 90 लाख है.

भारत में कैंसर से लड़ने के लिए सरकार की तरफ से नेशनल कैंसर कंट्रोल प्रोग्राम चलाया जाता है. 25 रीजनल कैंसर सेंटर चलाए जाते हैं. केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री की तरफ से कैंसर पेशेंट फंड है. दो महीने पहले ही पीएमओ की निगरानी में 3495 करोड़ की लागत से अगले तीन सालों के भीतर देश भर में कैंसर के 49 नए सेंटर खोलने का फैसला हुआ है. इसके अलावा सरकार दुनियाभर की योजनाओं पर काम कर रही हैं. इन सबकी जरूरत ही क्या है, अगर कैंसर के मरीज पिछले जन्मों के पाप की वजह से मरने के ही काबिल हैं?

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कैंसर पीड़ितों में भारत क्यों है सबसे आगे?

एम्स के मशहूर डॉक्टर जीके रथ के मुताबिक, देश के कैंसर रोगियों में से 20 फीसदी ही बच पाते हैं. 80 फीसदी मरीज जब तक अस्पताल पहुंचते हैं, तब तक देर हो चुकी होती है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक, भारत में कैंसर के मरीजों के मौत की तादाद दुनिया के तमाम देशों से ज्यादा है. इसकी एक वजह तो देर से अस्पताल पहुंचना है, दूसरी कैंसर के इलाज के लिए सही सुविधाओं का न होना है.

एक मंत्री का ये बयान उन लाखों कैंसर पीड़ितों और उनके परिवार वालों के लिए कितना तकलीफ देने वाला है, ये वही समझ सकते हैं. मेरे घर में मेरी दादी की मौत कैंसर से हुई थी. मेरे कई रिश्तेदारों या जानने वालों की मौत कैंसर से हुई है.

मेरे एक बेहद करीबी दोस्त की 12 साल की बेटी की मौत कैंसर से हुई है. हो सकता है कि आप से जुड़े किसी की मौत कैंसर से हुई हो. क्या आपको मंत्री के इस बयान पर गुस्सा नहीं आ रहा है?

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