कांग्रेस के फुल टाइम अध्यक्ष का चुनाव अगले साल 21 अगस्त से 20 सितंबर के बीच होगा. यह फैसला कांग्रेस कार्यकारिणी (Congress Working Committee) की बैठक में हुआ. वो बैठक जो करीब पांच घंटे चली. और जिसमें G-23 में शामिल आनंद शर्मा और गुलाब नबी आजाद जैसे नेताओं ने भी हिस्सा लिया. इस बैठक की दो बड़ी बातें- सोनिया गांधी ने कहा कि अगर साथी इजाजत दें तो वो कांग्रेस की लाइफ टाइम अध्यक्षा हैं. दूसरी बात सूत्रों ने बताई कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) कांग्रेस अध्यक्ष बनने पर विचार कर सकते हैं.
कांग्रेस में कुछ तो बदला है
बैठक में सोनिया गांधी ने कहा कि वो आजीवन अध्यक्षा हैं. जाहिर है यह एक भावनात्माक बात है. 2019 से ही बिना अध्यक्ष चल रही पार्टी ने अध्यक्ष पद के चुनाव का ऐलान किया है तो सबको G-23 की मांगों की याद जरूर आ रही है. राहुल गांधी ने जो कहा कि वो अध्यक्ष बनने पर विचार कर सकते हैं, यह इस बात का संकेत है कि कांग्रेस में आत्म चिंतन की स्थिति है.
कांग्रेस में कुछ तो बदला है, इसका सबूत हाल के दिनों में पंजाब में आई समस्या को हैंडल करने के तरीके से भी पता चलता है. जो सिद्धु कह चुके थे कि वो पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नहीं रहेंगे, उन्होंने अब आलाकमान पर आस्था जताई है. छत्तीसगढ़ में भी नेतृत्व परिवर्तन की मांग उठी थी, लेकिन पार्टी बघेल पर टिकी रही. इससे पहले राजस्थान में गहलोत बनाम पायलट पर पार्टी ने संकल्प दिखाया.
पंजाब से लेकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के मसले तक, पार्टी ने एक तरह से संदेश दिया है कि वो सुनने को तैयार है, झुकने को नहीं. सोनिया गांधी का यह कहना ध्यान देने योग्य है कि जो कहना है पार्टी में कहिए, मीडिया में नही.
राहुल ही होंगे अध्यक्ष
पार्टी झुकेगी नहीं, विरोधियों को झुकाएगी. इसका एक संकेत देखिए. G-23 में रहे आनंद शर्मा और गुलाम नबी आजाद इस कार्यसमिति की बैठक में शामिल थे. सूत्र बताते हैं कि आजाद ने सोनिया के नेतृत्व में पूर्ण आस्था व्यक्ति की. एक तरफ चुनाव का ऐलान और दूसरी तरफ अंबिका सोनी का ये कहना कि कार्यसमिति में सब चाहते हैं कि राहुल ही अध्यक्ष बनें, इसके बावजूद G-23 के किसी नेता ने एक शब्द तक नहीं कहा.
राहुल ही होंगे अध्यक्ष तो चुनाव क्यों और अगले साल क्यों?
राहुल ही होंगे अध्यक्ष, स्वाभाविक भी है, क्योंकि फिलहाल गांधी परिवार के बाहर झांकने पर कोई ऐसा सर्वमान्य नेता नजर नहीं आता जो कांग्रेस की बागडोर संभाल पाए.
अंबिका ने कहा है कि सब राहुल पर राजी हैं. ऐसा है तो चुनाव की लंबी-चौड़ी औपचारिकता क्यों और वो जरूरी है तो अगले साल क्यों? जल्द ही पांच राज्यों में चुनाव होने हैं. इन पांच राज्यों में यूपी भी है, तो जरूरी काम अभी क्यों नहीं? शायद इसी सवाल के जवाब में कांग्रेस के कायाकल्प की कूंजी है.
पांच राज्यों में चुनाव हैं. अहम हैं. तो अभी स्थाई अध्यक्ष लाओ. बैकफुट पर क्यों? फ्रंट फुट पर खेलो. जीत-हार आगे की चीज है. खेलो तो.
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