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आदिवासी परंपराओं को ‘न्यूडिटी’ कहना, उनका अपमान करना है!

क्या फेसबुक अपने बड़े यूजर बेस में जनजातीय समाज को स्वीकर करने को तैयार नहीं है?

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‘फेसबुक के कथित सामाजिक मानक (कम्यूनिटी स्टैंडर्ड) एक कोरा मजाक हैं. फेसबुक भले ही इन मानकों को लेकर शोर मचाता रहे, लेकिन ये मानक जातिवाद और लैंगिकवाद पर आधारित हैं. वे मानक दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं को लेकर असहिष्णु हैं और उनके प्रति अपमानजनक रवैया रखते हैं.

फेसबुक के लिए ये सभी आरोप बेहद संगीन हैं, जिन्हें मढ़ा है ऑस्ट्रेलियाई मूल की स्वतंत्र नारीवादी लेखिका सेलेस्टे लिडल ने. लिडल एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं और लंबे वक्त से आदिवासी कबीलों पर रिसर्च करती रही हैं.

दरअसल, लिडल फेसबुक के ‘दोहरे सामाजिक मानकों’ से निराश हैं. वह बताती हैं, ‘मेलबर्न के क्वीन विक्टोरिया सेंटर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर सालाना आयोजित होने वाले एक कार्यक्रम में मैंने नारीवाद पर एक व्याख्यान दिया था, जिसमें आदिवासी महिलाओं के स्वदेशी अधिकारों का जिक्र था.’

लिडल ने कार्यक्रम में मौजूद लोगों के साथ पारंपरिक वस्त्र पहने खड़ी दो आदिवासी महिलाओं की तस्वीर भी शेयर की थीं.

लिडल बताती हैं कि अपने लेक्चर के एक हिस्से को जब उन्होंने उन पिक्चर्स के साथ शेयर किया, तो फेसबुक ने उनका अकाउंट यह कहते हुए बैन कर दिया कि उन्होंने पब्लिक में ‘न्यूडिटी’ को फैलाया है.

फेसबुक प्रोफाइल किया बैन

इसी व्याख्यान को बाद में एक न्यूज वेबसाइट ने भी शेयर किया, जिसे फेसबुक ने ब्लॉक कर दिया. फोटो में आदिवासी महिलाओं को खुले सीनों के साथ पारंपरिक समारोह के लिए गेरुए रंग में रंगा हुआ दिखाया गया था. इस पोस्ट को शेयर करने वाले सभी लोगों पर कार्रवाई करते हुए फेसबुक ने उनकी प्रोफाइल को कुछ दिन के लिए बैन कर दिया.



क्या फेसबुक अपने बड़े यूजर बेस में जनजातीय समाज को स्वीकर करने को तैयार नहीं है?

‘नग्नता’ को लेकर नई बहस

नारीवादी लेखिका सेलेस्टे लिडल ने सोमवार को इसकी जानकारी स्थानीय मीडिया को देते हुए अपना गुस्सा जताया और कहा कि पारंपरिक परिधान पहने हुए आदिवासी महिलाओं की तस्वीरें शेयर करना नग्नता नहीं कहा जा सकता. फेसबुक ने उनके साथ दूसरी बार ऐसा किया है. इस संबंध में लिडल ने फेसबुक के खिलाफ ‘चेंज डॉट ऑर्ग’ पर एक याचिका की शुरुआत भी की है.



क्या फेसबुक अपने बड़े यूजर बेस में जनजातीय समाज को स्वीकर करने को तैयार नहीं है?
फेसबुक के खिलाफ ‘चेंज डॉट ऑर्ग’ पर शुरू की गई एक याचिका

फेसबुक ने कहा- फोटो गलत थे

इस दौरान फेसबुक ने अपने सामाजिक मानकों (कम्यूनिटी स्टैंडर्ड) का हवाला देते हुए अपना पक्ष रखा.



क्या फेसबुक अपने बड़े यूजर बेस में जनजातीय समाज को स्वीकर करने को तैयार नहीं है?
फेसबुक के सामाजिक मानकों के हिसाब से न्यूडिटी की परिभाषा

फेसबुक के मुताबिक, लोग जागरुकता अभियान, कलात्मक परियोजनाओं या सांस्कृतिक खुलासों के नाम पर नग्न सामग्री साझा करते हैं. उस सामग्री को वैश्विक समुदाय का ख्याल रखते हुए, खासतौर से सांस्कृतिक पृष्ठभूमि या उम्र को देखते हुए हटा लिया जाता है. फेसबुक का मानना है कि फेसबुक के यूजर्स ऐसी सामग्री के प्रति संवेदनशील हो सकते हैं.

बहरहाल, इस मामले में फेसबुक का फाइनल रिस्पॉन्स कुछ भी रहे, लेकिन उसके सामाजिक मानकों को लेकर लिडल की याचिका ने एक नई बहस को जन्म जरूर दिया है, जो सवाल करती है कि क्या फेसबुक अपने बड़े यूजर बेस में जनजातीय समाज को स्वीकर करने को तैयार नहीं है?

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