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"श्रीलंका संकट से भारतीय कपड़ा उद्योग को हो सकता है फायदा,आयात शुल्क बना रुकावट"

श्रीलंका के आर्थिक संकट से भारतीय परिधान इकाइयों को हो सकता है फायदा

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न्यूज
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तमिलनाडु में क्लोथ एक्सपोर्ट ग्रुप के एक पदाधिकारी का कहना है कि मौजूदा श्रीलंका संकट से भारतीय कपड़ा उद्योग को फायदा हो सकता है. लेकिन इसके लिए केंद्र सरकार को कपास पर लगाई गई 11 प्रतिशत का आयात शुल्क हटाना होगा.

तिरुपुर एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (टीईए) के अध्यक्ष राजा ए शनमुगम का कहना है कि भारत में अपनी प्रोडक्शन यूनिट चलाने वाली श्रीलंकाई कंपनियां, आर्थिक संकट के चलते, श्रीलंका के बजाए अपनी भारतीय यूनिटों से ऑर्डर डिलीवर कर सकती हैं.

श्रीलंका में, निर्यात के लिए किया जाने वाला होजरी के कपड़ो का उत्पादन कई घंटों की बिजली कटौती, डीजल की कमी और आवश्यक वस्तुओं की ऊंची कीमतों का शिकार बन रहे लोगों के चलते बुरी तरह प्रभावित हुआ है.
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क्या भारतीय कंपनियों पर पड़ेगा सकारात्मक असर?

शनमुगम ने कहा कि रुई और धागे की ऊंची कीमतों के कारण तिरुपुर (तमिलनाडु) में फिलहाल क्लॉथ यूनिटों के पास बड़ी संख्या में ऑर्डर नहीं आ रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय ब्रांड बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देशों में अपनी सोर्सिंग पहुंचा सकते हैं.

यह उम्मीद करते हुए कि केंद्र सरकार कपास पर 11 प्रतिशत आयात शुल्क को समाप्त कर देगी, उन्होंने कहा कि कुछ स्पिल ओवर ऑर्डर भारतीय परिधान निर्माताओं को मिल सकते हैं क्योंकि अन्य देशों में उत्पादन की कमी हो सकती है.

उन्होंने कहा कि कपास में लागू 11 प्रतिशत आयात शुल्क के चलते ट्रेडर्स अपने कपड़ों के उत्पादन में वृद्धि कर रहे हैं. ऊंची कीमतों के चलते यह अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉम्पीटीशन नहीं दे पाते.

शनमुगम ने कहा कि कुछ श्रीलंकाई क्लोथ यूनिटों की भारत में सहायक कंपनियां हैं, और ऐसी श्रीलंकाई कंपनियां अपनी भारतीय इकाइयों से अपने ऑर्डर का निर्माण कर सकती हैं.

तिरुप्पुर, जिसे भारत की होजरी राजधानी कहा जाता है, लगभग 32,000 करोड़ रुपये के वस्त्र बाहर भेजता है और लगभग 30,000 करोड़ रुपये का माल भारतीय बाजार के लिए भेजता है.

जबकि श्रीलंकाई परिधान के कुछ ऑर्डर भारत में आने की उम्मीद है, द्वीप राष्ट्र के लोगों के एक छोटे समूह ने तमिलनाडु में शरण मांगी है.

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आर्थिक संकट के चलते भारत पहुंचे 21 श्रीलंकाई तमिल

तमिलनाडु सरकार के अनुसार, 21 श्रीलंकाई, आर्थिक संकट के कारण तमिलनाडु पहुंचे हैं।श्रीलंकाई लोगों ने अधिकारियों से कहा कि वे अपना खर्च उठाने में सक्षम नहीं थे क्योंकि कीमतें काफी बढ़ गईं हैं।

उन्हें रामनाथपुरम जिले के रामेश्वरम के पास मंडपम में ट्रांजिट कैंप में रखा गया है। इस बीच तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से श्रीलंकाई तमिलों को आवश्यक वस्तुएं और दवाएं उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार को अनुमति देने का आग्रह किया है.

पढ़ें ये भी: संडे व्यू: कर्ज के लिए चीन पर दोष क्यों? श्रीलंका-भारत में एक जैसा बहुसंख्यकवाद

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