बीसीसीआई के सालाना कॉन्ट्रेक्ट में महेंद्र सिंह धोनी का नाम नहीं है. पिछले छह महीनों से धोनी भारतीय क्रिकेट से दूर हैं. लिहाजा बीसीसीआई के इस कदम से यह कयास लगाया जा रहा है कि इस महान खिलाड़ी को अब शायद इंडियन कैप नहीं मिलेगी. और आखिरकार उन्हें क्रिकेट के सभी फॉरमेट से संन्यास लेने को मजबूर होना पड़ सकता है.,
लंबे वक्त से प्रदर्शन पर उठ रहे थे सवाल
दरअसल धोनी के प्रदर्शन के लेकर लंबे वक्त से सवाल उठाए जाते रहे हैं, लेकिन वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में भारत की हार के बाद धोनी को टीम से बाहर करने की मांग जोर पकड़ने लगी थी. आलोचकों का कहना है कि वह चूकने लगे हैं. वनडे और टी-20 में खेलना अब उनके वश में नहीं है और उन्हें संन्यास का ऐलान कर देना चाहिए. दूसरी ओर धोनी के प्रशंसकों का मानना है कि वह अब भी मिरेकल कर सकते हैं. उनमें काफी क्रिकेट बची है. लिहाजा उनके संन्यास का सवाल ही नहीं उठता है.
धोनी टेस्ट फॉरमेट से पहले ही संन्यास ले चुके हैं. और अब बीसीसीआई के सालाना कॉन्ट्रेक्ट में उनका नाम न होने से माना जा रहा है कि धोनी के लिए इंडियन टीम का रास्ता मुश्किल हो गया है. तो क्या यह मान लेना चाहिए कि भारतीय क्रिकेट में धोनी युग खत्म हो रहा है?
धोनी को बाहर रखना सही क्यों है?
धोनी का सालाना कॉन्ट्रेक्ट में नाम न होने को कुछ एक्सपर्ट्स सही ठहरा रहे हैं. उनका कहना है कि कॉन्ट्रेक्ट में नाम न होने का कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए क्योंकि वर्ल्ड कप सेमीफाइनल के बाद उन्होंने कोई मैच नहीं खेला है. इस दौरान वह क्रिकेट से दूर रहे हैं. इसके अलावा उन्होंने अपना कोई फ्यूचर प्लान नहीं बताया है. लिहाजा उनका कॉन्ट्रेक्ट रीन्यू नहीं होना कोई आश्चर्य की बात नहीं है.
कुछ दिनों पहले ही इंडियन टीम के कोच रवि शास्त्री ने कहा कि धोनी को वनडे में खेलना बंद कर सकते हैं लेकिन टी-20 वर्ल्ड कप के लिए भारतीय टीम में उन्हें जगह मिल सकती है, बशर्ते वह आईपीएल में अच्छा प्रदर्शन करें. पूर्व सेलेक्टर एमएसके प्रसाद ने कहा था कि धोनी को लेकर उनका रुख बिल्कुल साफ है. अगर उनका परफॉरमेंस अच्छा रहता है तो उन्हें टीम में जगह मिल सकती है.
धोनी के खेल के मुरीद के लिए यह दिल तोड़ने वाली बात हो सकती है. क्या भारतीय क्रिकेट के सबसे बड़े सुपर स्टार्स में से एक के साथ सेलेक्टर्स का यह सुलूक ठीक है?
परफॉर्म न करके टिके रहना मुश्किल
यह वही धोनी हैं जो 2011 का वर्ल्ड कप और 2007 में टी-20 वर्ल्ड कप भारत को दिला चुके हैं. खुद उनका प्रदर्शन उनके महान खिलाड़ी होने का तसदीक कर रहा है. उन्होंने अब तक 90 टेस्ट खेले हैं. 350 वन डे, 98 टी-20 और 17,000 रन उनके परफॉरमेंस की कहानी बयां कर रहे हैं. इसके अलावा वह दुनिया के दिग्गज विकेटकीपर्स में शुमार किए जाते हैं. विकेट के पीछे रह कर उन्होंने 829 खिलाड़ियों को आउट किया गया है.
लेकिन इंटरनेशनल क्रिकेट के मैदान में अब भावनाओं के बल्ले चलाना मुश्किल हो गया है. साल भर चलने वाले क्रिकेट और एक के बाद एक प्रतिभाशाली युवा खिलाड़ियों की मजबूत दावेदारी के बीच परफॉर्म न करके लीजेंड खिलड़ियों का भी टिके रहना मुश्किल हो गया है. लिहाजा यह मानने में कोई हिचक नहीं होना चाहिए कि जैसे हर महान खिलाड़ी का दौर खत्म होता है वैसे ही भारतीय क्रिकेट के एक और नायक महेंद्र सिंह धोनी का भी शानदार दौर अब उतार पर है. लेकिन क्या धोनी के फैन यह मानने को तैयार होंगे.
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